डॉ. शशांक शुक्ला

जन्म : 22 सितंबर 1979 में बेलाहीं, सोनभद्र में। उच्च शिक्षा काशी हिन्दू विश्‍वविद्यालय के हिन्दी विभाग से। अध्यापन अनुभव : लगभग 16 वर्षों का अध्यापन अनुभव। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ; वसन्त महिला महाविद्यालय; केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, हैदराबाद केन्द्र; हैदराबाद केन्द्रीय विश्‍वविद्यालय में अध्यापन के पश्‍चात उत्तराखंड मुक्त विश्‍वविद्यालय के हिन्दी विभाग में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर एवं विषय समन्वयक के रूप में लगभग 9 वर्ष कार्य। तत्पश्‍चात दिसंबर, 2019 से जम्मू केन्द्रीय विश्‍वविद्यालय के हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषा विभाग में एसोसिएट प्रोफ़ेसर पद पर कार्यरत। सम्पादन : शोध पत्रिका परमिता का लगभग 10 वर्ष तक सम्पादन, उत्तराखंड मुक्त विश्‍वविद्यालय के न्यूज़ लेटर उड़ान का सम्पादन, जम्मू केन्द्रीय विश्‍वविद्यालय की पत्रिका उत्तर वाहिनी के उप सम्पादक। साहित्य सिद्धान्त : साम्वेदनिक साहचार्यता का सिद्धान्त, रचना-अन्तराल का सिद्धान्त, साहित्यिक विकास का सिद्धान्त नामक नए साहित्य सिद्धान्त का निर्माण कार्य। स्थायी भाव और संचारी भाव पर नए ढंग से कार्य विस्तार। पुस्तकें : रामनारायण शुक्ल : शब्द और कर्म के प्रतिबद्ध साधक (जीवनी ); एक आलोचक की डायरी (डायरी-आलोचना); साहित्य और अश्लीलता का प्रश्न (डायरी-आलोचना); गिरोह का ब्रह्मभोज तथा अन्य कहानियां (कहानी संग्रह) – शीघ्र प्रकाश्य; मेरी कला डायरी (शीघ्र प्रकाश्य); उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के लिए 16 पाठ्य पुस्तकों का संपादन। सम्प्रति : जम्मू केन्द्रीय विश्‍वविद्यालय के हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषा विभाग में एसोसिएट प्रोफ़ेसर पद पर कार्यरत। सम्पर्क : parmita.shukla@ gmail. com मो. : 9917157035

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