राजेन्द्र लहरिया
जन्म – 18 सितम्बर, 1955 ई. को, मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले के सुपावली गाँव में l शिक्षा – स्नातकोत्तर (हिन्दी साहित्य) l प्रकाशित कृतियाँ – कहानी-संग्रह : ‘आदमी बाज़ार’ (1995), ‘यहाँ कुछ लोग थे’ (2003), ‘बरअक्स’ (2005), ‘युद्धकाल’ (2008), ‘सियासत’ (तीन आख्यान) (2018) l लघु उपन्यास : ‘राक्षसगाथा’ (1995), ‘जगदीपजी की उत्तरकथा’ (2010), ‘यक्षप्रश्न-त्रासान्त’ (2015), ‘अग्नि-बीज’ (2018), ‘अंधकूप’ (2019) l उपन्यास : ‘आलाप-विलाप’ (2011), ‘यातनाघर’ (2015), ‘लोकलीला’ (2017), ‘समय-रथ के घोड़े’ (2019), ‘द डार्क थियेटर’ (2021) l आत्म-आख्यान : ‘मेरी लेखकीय अन्तर्यात्रा’ (2016) l सन्
1979-1980 ई. के आस-पास से कथा-लेखन की शुरुआत; एवं बीसवीं शताब्दी के नौवें दशक के कथाकार के तौर पर पहचाने जाने वाले प्रमुख कथाकारों में शुमार। तब से अद्यावधि निरन्तर रचनारत l हिन्दी साहित्य की प्राय: सभी महत्त्वपूर्ण पत्रिकाओं में कहानियाँ प्रकाशित lअनेक कहानियाँ महत्त्वपूर्ण कहानी-संकलनों में संकलित l कई कथा-रचनाओं का मलयालम, उर्दू, ओड़िया, मराठी, पंजाबी आदि भारतीय भाषाओं एवं अँग्रेजी भाषा में अनुवाद l लेखन के साथ-साथ, गाहे-बगाहे चित्रांकन भी करते हैं
l संपर्क – EWS-395, दर्पण कॉलोनी, ग्वालियर– 474011 (मध्य प्रदेश) l Cell Phone 98272–57361 l e-Mail : lahariya_rajendra@yahoo. com
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