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Mrityu: Vishwa Sahitya kee ek Yatra / मृत्यु : विश्व साहित्य की एक यात्रा
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Author(s) — Vijay Sharma
लेखिका — विजय शर्मा
| ANUUGYA BOOKS | HINDI| 192 Pages |
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…पुस्तक के बारे में…
मैं मौत हूँ, जैसाकि तुम साफ़ तौर पर देख सकते हो, लेकिन तुम्हें डरने की जरूरत नहीं है। मैं मात्र तस्वीर हूँ। जो भी हो, मैं तुम्हारी आँखों में दहशत पढ़ती हूँ। जबकि तुम्हें बहुत अच्छी तरह से मालूम है मैं असली नहीं हूँ – जैसे बच्चे खुद को खेल में खो देते हैं – तुम अभी भी दहशत से जकड़े हुए हो, मानो तुम असल में खुद मौत से मिले हो। यह मुझे खुशी देता है। जब अपरिहार्य पल तुम्हारे सामने आता है, तुम मुझे देखते हो, तुम्हें लगता है कि डर से तुम्हारी पोंक निकल गई है। यह मजाक नहीं है। जब मौत का सामना होता है, लोगों का अपनी जिस्मानी हरकत पर से अख्तियार खतम हो जाता है – खासकर ज्यादातर उन लोगों का जो बहादुर माने जाते हैं। इसी कारण, हजारों बार जिसकी तुम तस्वीर बनाते हो, लाशों से पटे जंग के मैदान खून, बारूद और गर्म हथियारों से नहीं मल तथा सड़े हुए माँस से बदबू मारते हैं। मुझे मालूम है तुमने पहली बार मृत्यु का चित्रण देखा है।…“यह मैं हूँ, एज़रियल, मृत्युदूत,” उसने कहा। ‘‘मैं इस दुनिया में आदमी की यात्रा का अंत करता हूँ। मैं हूँ जो बच्चों को उनकी माताओं से, पत्नियों को उनके पतियों से, प्रेमियों को एक-दूसरे से और पिताओं को उनकी बेटियों से अलग करता हूँ। इस दुनिया में कोई भी नश्वर मुझसे मिलने से बच नहीं सकता है।”
– ‘माई नेम इज रेड’
ये पाँचों उपन्यास – ‘द पर्ल’, ‘क्रोनिकल ऑफ़ ए डेथ फ़ोरटोल्ड’, ‘बिलवड’, ‘ए पर्सनल मैटर’ तथा ‘माई नेम इज रेड’ – मृत्यु के इर्द-गिर्द घूमते हैं। हत्या इनकी केंद्रीय थीम है। कभी सुनियोजित हत्या हुई है, कभी संयोग से हत्या हो जाती है। कभी मौके की नजाकत को देखते हुए तक्क्षण निर्णय हत्या में फ़लित होता है और कभी हत्या का पूरा सारसंजाम किया जाता है। एक उपन्यास में बच्चा अपंग है और पिता प्राणपण से चाहता है कि बच्चा जीवित न रहे। ‘बिलवड’ एक जटिल उपन्यास है जिसमें रचनाकार ने ममता की पराकाष्ठा में माँ को अपने बच्चे की जान लेते हुए दिखाया है। ‘क्रोनिकल ऑफ़ ए डेथ फ़ोरटोल्ड’ में एक हत्या होती है लेकिन हत्यारे दो हैं, या यूँ कहें सारा कस्बा, सारा समाज हत्यारा है। ‘माई नेम इज रेड’ उपन्यास में एक से अधिक हत्या होती है मगर यहाँ हत्या बच्चों की नहीं हो रही है, मरने वाले और मारने वाले सब वयस्क हैं तथा सब पुरुष हैं। लोककथा पर आधारित ‘द पर्ल’ में बच्चा कोयोटीटो विष दंश से बच जाता है मगर बाद में गोली का शिकार होकर मरता है।
‘ए पर्सनल मैटर’ के नायक बर्ड में आत्म-धिक्कार का भाव प्रबल है, ‘द पर्ल’ के लोगों में गर्वीली गरीबी है। ‘बिलवड’ के पात्र आत्म-गौरव से भरे हुए हैं। ‘क्रोनिकल ऑफ़ ए डेथ फ़ोरटोल्ड’ के कई पात्र अपनी अमीरी तथा सत्ता की शान में हैं। ‘माई नेम इज रेड’ के पात्र चित्रकार के रूप में अद्वितीय हैं। ‘द पर्ल’ और ‘बिलवड’ के पात्र मनुष्य के रूप में अप्रतिम हैं।
…इसी पुस्तक से…
अनुक्रम
- अपनी बात
- पर्ल : सहमति-असहमति
- हत्या की मुनादी तथा समाज का दायित्व
- बिलवड : एक हॉिटंग कहानी
- पिता और पुत्र
- लाल है नाम मेरा
- परिशिष्ट-1
- परिशिष्ट-2
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