







Bhojpuri Sahitya ke Samajik Sarokar / भोजपुरी साहित्य के सामाजिक सरोकार
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पुस्तक के बारे में
आधुनिक इतिहासकार लोग मालवा के राजा भोजदेव भा उनका वंशजन के द्वारा भोजपुर विजय पर सन्देह व्यक्त कइले बा। एह पर विचार करत दुर्गाशंकर सिंह नाथ लिखले बानी कि (मालवा के भोज) “भोजपुर भोजदेव पूर्वी प्रान्त में कभी नहीं आये।”
दूसरा मत के अनुसार एकर नामकरण वेद से जोड़ल गइल बा। वेद में भोज शब्द के प्रयोग मिलेला। एह मत के समर्थन में डॉ. ए. बनर्जी शास्त्री, रघुवंश नारायण सिंह, जितराम पाठक के नाँव प्रमुख बा।
असल में ई मत पुनरुत्थानवादी मानसिकता के देन हवे, जवना में हवाई जहाज बनावे से लेके परमाणु बम सबकर उत्स वेद में साबित कइल जाला। कुछ लोग के इहो बुझाला कि कवनो चीज के प्राचीन सिद्ध कऽ देला से ओकर महत्त्व बढ़ जाला, ऊ स्वतः प्रामाणिक हो जाला। एही मानसिकता के लोग भोजपुरी के उत्स वेद में सिद्ध करेला।
एकरा बारे में एगो तीसरो मत बा जवना के मुताबिक भोजपुरी भाषा के नामकरण कन्नौज के राजा मिहिरभोज के नाम से जुड़ता। एह मत के अनुसार राजा मिहिर भोज के नाँव पर भोजपुर बसल रहे। एह मत के पक्षधर पृथ्वी सिंह मेहता, परमानन्द पाण्डेय आदि बा लोग। परमानन्द पाण्डेय के अनुसार “गुर्जर प्रतिहारवंशी राजा मिहिरभोज का बसाया हुआ भोजपुर आज भी पुराना भोजपुर नाम से विद्यमान है।” मिहिर भोज के शासन-काल सन् 836 ई. के आस-पास मानल जाला।
राहुल सांकृत्याययन भोजपुरी के ‘मल्ली’ आ ‘काशिका’ दूगो नाँव देले रहीं। असल में उहाँ के प्राचीन गणराज्यन (सोरह महाजनपद) के व्यवस्था से सम्मोहित रहीं। एही से उहाँ के महाजनपद के नाँव पर ओजवाँ के भाषा के नाँव रखे के चाहत रहीं। बिहार के दूगो भाषा अंगिका आ वज्जिका के नामकरण उहें के कइल ह। अंग नाँव के महाजनपद के नाँव पर ओजवाँ के भाषा के नाँव उहाँ के अंगिका रखनी। एकरा पहिले जार्ज अब्राहम ग्रिर्यसन अंगिका के मैथिली के अन्तर्गत रखले रहीं बाकिर एकर स्वतन्त्र भाषिक विशेषतो कावर उहाँ के ध्यान गइल रहे। एही से उहाँ के अंगिका के मैथिली के ‘छींका-छाकी’ रूप कहले बानी।
इसी पुस्तक से…
एह किताब में भोजपुरी के सब पक्ष पर विमर्श भइल बावे। भोजपुरी के नामकरण, क्षेत्र, मानकीकरण, विदेशन में भोजपुरी के स्थिति से धइले कबीर, राहुल सांकृत्यायन, भिखारी ठाकुर, महेंद्र मिसिर, गोरख पांडेय सहित साहित्य के आउर पक्षन पर विचार-विमर्श भइल बावे। जीतेन्द्र वर्मा भोजपुरी के संगे-संगे हिंदी में आ थोड़ बहुत अंग्रेजी में भी लेखन करेनी। बाकिर सबमें जवन चीझ कॉमन बा उ हवे सामाजिक सरोकार। एह किताब के शुरुआत सामाजिक सरोकार से जुड़ल रचनन से होता।
– धर्मेंद्र सुशांत
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जीतेन्द्र वर्मा
जन्मतिथि : 15 सितम्बर 1973
शिक्षा : एम.ए., पीएच.डी., पटना विश्वविद्यालय, पटना
प्रकाशित पुस्तकें :
1. साहित्य का समाजशास्त्र और मैला आँचल
(आलोचना)
2. संत दरियादास (जीवनी)
3. जगदेव प्रसाद (जीवनी)
4. सुबह की लाली (उपन्यास)
5. अब ना मानी भोजपुरी (हास्य-व्यंग्य)
6. आधुनिक भोजपुरी व्याकरण (व्याकरण)
7. सरोकार से संवाद (बातचीत)
संपादित पुस्तकें :
1. गोरख पांडेय के भोजपुरी गीत
2. श्रीमंत रचनावली
संपर्क : वर्मा ट्रांसपोर्ट, राजेन्द्र पथ, सीवान–841226, बिहार। ईमेल : jvermacompany@gmail. com। मोबाईल : 9955589885।
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