Author: Tayeb Salih / तय्यब सालिह

तय्यब सालिह

तय्यब सालिह– एक मशहूर सूडानी लेखक और उपन्यासकार हैं। आधुनिक अरबी उपन्यास लेखन में उन्हें एक प्रबुद्ध लेखक माना जाता है। वे 1929 में सूडान के उत्तरी क्षेत्र में नील नदी के किनारे बसे एक गाँव में छोटे किसानों और मज़हबी उस्तादों के घराने में पैदा हुए। ख़रतूम यूनीवर्सिटी से तालीम हासिल करने के बाद उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए लंदन यूनीवर्सिटी में दाख़िला लिया। लंदन आने से पहले उन्होंने कुछ समय एक स्कूल में पढ़ाया लेकिन इसके बाद उनका सारा जीवन ब्रॉडकास्टर के तौर पर बीता। पहले वे बीबीसी की अरबी सर्विस से वाबस्ता रहे और बाद में क़तर के सूचना मंत्रालय के डायरेक्टर जनरल बन गए। लंदन में प्रवास के दौरान उन्होंने वहां से छपने वाली एक अरबी पर्त्रिका अल-मुजल्ला के लिए दस वर्ष तक साप्ताहिक कॉलम लिखा जो साहित्यिक विषयों पर होता था। अपनी ज़िंदगी के दस साल उन्होंने यूनेस्को से वाबस्ता रह कर पैरिस में गुज़ारे। 2009 में अस्सी वर्ष की उम्र में लंदन में उनका निधन हुआ।
तय्यब सालिह का लेखन सूडानी देहात के सामूहिक जीवन और संस्कृति के अनुभवों पर आधारित है और वहां के बाशिंदों की मनोदशा का गहरा विश्लेषण करता और उनके परस्पर पेचीदा रिश्तों का हाल सुनाता है। पश्चिमी देशों की संस्कृति के साथ टकराव और तालमेल के रिश्तों की जटिलताएं भी उनका प्रिय विषय हैं। उनकी मुख्य कृतियाँ हैं: नख़्ला अलल-जदवल (नहर के किनारे खजूर का पेड़ 1953), दूमा वद हामिद (वद हामिद का दूमा वृक्ष 1960), हुफ़्ना समर (मुट्ठी भर खजूरें, 1964), उर्स-उज़-ज़ैन (उर्स की शादी, 1966), मौसिम-उल-हिज्रा इलश-शमाल (उत्तर की ओर गमन का मौसम, 1966), बन्दरशाह-I ज़ुवल-बैत (1971), बन्दरशाह-II मरयूद. समस्त रचनाओं पर आधारित संकलन 1984 में प्रकाशित हुआ। इनकी अधिकतर रचनाओं का अंग्रेज़ी अनुवाद डेनिस जॉनसन डेवीज़ ने किया है।

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