सुधीर पाल
उन दुर्लभ लोगों में हैं, जिनकी लेखनी सत्ता से नहीं, समाज की धड़कनों से संचालित होती है। अपने लेखन में वह दस्तावेज़ों, जनसंघर्षों और भावनाओं को इस तरह पिरोते हैं कि पाठक शब्दों से ज़्यादा सच को महसूस करता है।
राँची एक्सप्रेस जैसे प्रतिष्ठित अख़बार से अपनी पत्रकारिता की शुरुआत करने वाले सुधीर पाल न सिर्फ़ संपादकीय नेतृत्व तक पहुँचे, बल्कि समाचार की सीमाओं को पार कर ज़मीनी आंदोलनों और लोकतांत्रिक सुधारों के सक्रिय सूत्रधार बन गए। राज्य और केंद्र सरकार की कई समितियों में बतौर सदस्य जनपक्षीय राजनीति और नीतिगत सुधार की वकालत में सक्रिय रहे।
‘आदिवासियों की पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था एवं पंचायती राज’, ‘पेसा का विरोध कारपोरेट का समर्थन’ तथा ‘ग्राम सभा : नए लोकतंत्र की दस्तक’ जैसी चर्चित पुस्तकों के लेखक। चार खंडों में ‘झारखंड एनसाइक्लोपीडिया’ और पंचायती राज पर आधारित ‘हाशिए से हुकूमत तक’ तथा चार खंडों में ‘हाशिये के स्वर’ पुस्तक का लेखन और सम्पादन। राजनैतिक सुधार, अभिशासन और पत्रकारिता से जुड़े मुद्दों पर नियमित लेखन एवं शोध में विशेष रुचि।
प्रस्तुत कविता-संग्रह ‘सबसे अच्छी लड़ाइयाँ’ — अनुभव-यात्रा, वैचारिक गहराई और संवेदनशील मन का एक सजीव प्रतिबिंब है।
संपर्क : 3-डी, सुखन राम अपार्टमेंट, हिंदपीड़ी, थर्ड स्ट्रीट, रांची-834 001, रांची, झारखंड
मोबाईल : 7004127649 / 9431107277
ईमेल : sudhirpal.skp@gmail.com
- Poetry / Shayari / Ghazal / Geet, Tribal Literature / Aadivasi
Sabse Achhi Ladayina / सबसे अच्छी लड़ाइयाँ (कविता संग्रह)
₹299.00कविता मेरे लिए सिर्फ़ अभिव्यक्ति नहीं, एक ज़िम्मेदारी है। जैसे किसी किसान के हाथों में हल होता है, किसी मज़दूर के कंधे पर ईंट, किसी स्त्री की गोद में भविष्य…
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