हिन्दी दिवस के दिन टीकमगढ़ में जन्मे सत्यम श्रीवास्तव दिल की आवाज पर इंजीनियरिंग की पढ़ाई छोड़कर साहित्य और दर्शन की ओर मुड़े, तो जन आंदोलनों से जुड़ गए। छतरपुर में शुरुआती सामाजिक-सांस्कृतिक उद्यमों के बाद वे वर्धा के महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय चले गए। वहां से एमफिल करने के बाद पूरे दो दशक तक देश के जन आंदोलनों के साथ दिल्ली में रहकर उन्होंने समन्वय का काम किया। हाल ही में भोपाल आकर बस गए।
दो दशक के दिल्ली प्रवास में लगातार साहित्यिक पत्रिकाओं के लिए कहानियां लिखीं। द वायर, न्यूज़लॉन्ड्री, डाउन टू अर्थ, न्यूज़क्लिक, कारवां, जनपथ के लिए सैकड़ों लेख लिखे। स्तंभ लिखे। भाषण दिए। प्रशिक्षण दिए।
वन अधिकार, आदिवासी प्रश्न, मानवाधिकारों पर सत्यम ने अपने लेखन और काम से नागरिक समाज में अपनी खास पहचान बनाई है।
ई-मेल : satyam.shilyn@gmail.com
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