राना इशरत रसायन-शास्त्र की अध्यापिका रही हैं। इन्होंने दसवीं और बारहवीं के छात्रो को पढ़ाया है। इन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से एम.एससी. (रसायन-शास्त्र ) और बी.एड. की डिग्री प्राप्त की है। लखनऊ विश्वविद्यालय से बी.एससी. किया है। हाई स्कूल और इन्टर-मीडिएट इलाहाबाद यू.पी. बोर्ड से किया है। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा प्रोजेक्ट हायर सेकेण्ड्री स्कूल, किरीबुरू से हुई। उस समय किरीबुरू बिहार राज्य में था। अब ये झारखण्ड में है। इनके पति डाक्टर इशरत आलम अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में इतिहास विभाग में प्रोफेसर हैं।
इनका बचपन और युवा अवस्था के कुछ साल किरीबुरू के माइन्स एरिया में गुजरी हैं। जिसे उस समय एक मिनी हिन्दुस्तान कहा जा सकता था। ये एक आदिवासी बाहुल्य एरिया था। किरीबुरू चारों तरफ से हरियाली से भरपूर था। पहाड़ियों पर झरनों की भरमार थी। इनकी कहानियों में इसकी छाप मिलेगी। इन्होंने अपनी कहानियों को लिखने के लिए साधारण बोलचाल वाली हिन्दी का प्रयोग किया है। जो एक आम हिन्दुस्तानी बोलता है। वो जिस प्रदेश के जिस हिस्से में रहता उसकी छाप उसके हिन्दी बोलने में नज़र आती है। इसलिए इनकी कहानियो में उर्दू, अंग्रेज़ी, बंगाली शब्द आए हैं।