जुमसी सिराम
जुमसी सिराम अरुणाचल प्रदेश के पहले अरुणाचली हिन्दी लेखक हैं। 1983 से शुरू हुआ उनका लेखकीय सफर आज भी जारी है। उनका जन्म 23 मार्च 1968 को अरुणाचल प्रदेश (तत्कालीन नेफ़ा) के आलो कस्बे से थोड़ी दूर तादिन गाँव में हुआ। जब वे अपने गाँव से दूर एक सरकारी विद्यालय में दसवीं कक्षा में पढ़ रहे थे, तभी उनकी माँ का देहांत हो गया। इसके बाद उनकी पढ़ाई छूट गयी। जुमसी जी अपनी माँ की इकलौती संतान हैं। पिता ने दूसरी शादी कर ली तो किशोर जुमसी बिल्कुल अकेले हो गए। उन्हीं दिनों उनकी मुलाकात डॉ. रमण शांडिल्य से हुई। शांडिल्य जी उन दिनों पेसिङ्ग के सरकारी स्कूल में अध्यापक थे। कुछ समय तक उन्होंने जुमसी जी को अपने पास रखा। उसी दौरान किशोर जुमसी को हिन्दी के प्रति लगाव पैदा हुआ जो साहित्य लेखन के रूप में सामने आया।
जीवन की तमाम विसंगतियों और प्रतिकूल परिस्थितियों से लड़ते हुए उन्होंने अपना लेखन-कार्य जारी रखा है। उनके लेखन से प्रभावित होकर कई संस्थाओं (अरुण नागरी संस्था, अरुणाचल हिन्दी समिति, गालो विकास संगठन, अरुणाचल प्रदेश लिटरेरी सोसाइटी, हिन्दी साहित्य सम्मेलन आदि) ने उन्हें सम्मानित किया है। सिराम जी की अब तक प्रकाशित पुस्तकें हैं– ‘शिला का रहस्य’, ‘जायीबोने’, ‘गालो लोक जीवन’, ‘मातमुर जामोह’, ‘मेहनत से मुकाम तक’ और ‘तोदक बासार के ऐतिहासिक पत्र’ आदि। इसके अतिरिक्त उनके कई लेख देश की विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। वे अपने गाँव तादिन में परिवार के साथ रहते हैं और खेती करते हैं। संपर्क–1. शीला सिराम, हिन्दी विभाग, राजीव गांधी विश्वविद्यालय, रोनो हिल्स, दोईमुख, अरुणाचल प्रदेश-791112 2. जुमसी सिराम, ग्राम–तादिन, पोस्ट–आलो, अरुणाचल प्रदेश- 791001
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SaleSelect options This product has multiple variants. The options may be chosen on the product pageQuick ViewFiction / कपोल -कल्पित, Hard Bound / सजिल्द, Kala avam Sanskriti / कला एवं संस्कृति (Art and Culture), North East ka Sahitya / उत्तर पूर्व का सााहित्य, Novel / उपन्यास, Panchayat / Gramin / पंचायत / ग्रामीण परिप्रेक्ष्य (Village Milieu), Paperback / पेपरबैक, Tribal Literature / आदिवासी साहित्य
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