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The Dark Theatre / द डार्क थियेटर – एक बहुरूपिया की कालकथा

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Language: Hindi
Pages: 148
Book Dimension: 6.25″ X 9.25″

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…पुस्तक के बारे में…

“इसे ही तो पॉलिटिक्स कहते हैं।… झूठ को सच बनाने की कला पॉलिटिक्स कही जाती है!… मेरे सिर पर गोबर को देखकर यह कौन जाँच करने बैठेगा कि वह गोबर भैंस का है या गाय का!… लोग तो सिर्फ मेरे कहे के आशय की तरफ़ ही ध्यान देंगे कि मैं कितना बड़ा गोभक्त हूँ, कितना बड़ा धार्मिक हूँ कि गाय के सिर पर गोबर कर देने को गाय का आशीर्वाद मान रहा हूँ!… मैं लोगों को बताऊँगा कि शास्त्रों के अनुसार गाय में तैंतीस करोड़ देवी-देवता निवास करते हैं, तो इस प्रकार यह मेरे ऊपर तैंतीस करोड़ देवी-देवताओं का आशीर्वाद है!… मैं पूरे विश्‍वास के साथ कह सकता हूँ कि मेरी यह बात सुनकर लोग गाय के साथ-साथ मेरे भी भक्त हो जायेंगे!… तो राजनीति में हर एक स्थिति का इस्तेमाल हो सकता है!… बहरहाल, बात यह है कि राजनीति में उठाया गया कोई भी कदम गलत या सही नहीं होता; बल्कि सफल या असफल होता है!… और राजनीति में बार-बार प्रयोग करते रहना होता है… प्रयोग! एक्सपेरीमेंट्स!…. उस आदमी ने जीवन-भर क्या किया था, जो आज राष्ट्र का बाप बना बैठा है! वह राष्ट्र का बाप कैसे बन गया? अपने प्रयोगों के द्वारा बन गया!… यदि वह कभी कोई प्रयोग ही नहीं करता, तो…?… लेकिन करता क्यों नहीं? वे प्रयोग ही तो उसकी राजनीति थे!… तो राजनीति में प्रयोग ज़रूरी होते हैं… साथ ही ज़रूरी होता है उन प्रयोगों का उपयोग भी!… मैंने जो किया है, वह एक प्रयोग ही है!” कहकर बद्री ने विश्‍वसनीय को बेधती निगाहों से देखा।

…इसी उपन्यास से…

SKU: 978-93-90973-86-6

Description

राजेन्द्र लहरिया

जन्म – 18 सितम्बर, 1955 ई. को, मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले के सुपावली गाँव में l शिक्षा – स्नातकोत्तर (हिन्दी साहित्य) l प्रकाशित कृतियाँ – कहानी-संग्रह : ‘आदमी बाज़ार’ (1995), ‘यहाँ कुछ लोग थे’ (2003), ‘बरअक्स’ (2005), ‘युद्धकाल’ (2008), ‘सियासत’ (तीन आख्यान) (2018) लघु उपन्यास : ‘राक्षसगाथा’ (1995), ‘जगदीपजी की उत्तरकथा’ (2010), ‘यक्षप्रश्न-त्रासान्त’ (2015), ‘अग्नि-बीज’ (2018), ‘अंधकूप’ (2019) उपन्यास : ‘आलाप-विलाप’ (2011), ‘यातनाघर’ (2015), ‘लोकलीला’ (2017), ‘समय-रथ के घोड़े’ (2019) आत्म-आख्यान : ‘मेरी लेखकीय अन्तर्यात्रा’ (2016) l सन् 1979-1980 ई. के आस-पास से कथा-लेखन की शुरुआत; एवं बीसवीं शताब्दी के नौवें दशक के कथाकार के तौर पर पहचाने जाने वाले प्रमुख कथाकारों में शुमार। तब से अद्यावधि निरन्तर रचनारत l हिन्दी साहित्य की प्राय: सभी महत्त्वपूर्ण पत्रिकाओं में कहानियाँ प्रकाशित l अनेक कहानियाँ महत्त्वपूर्ण कहानी-संकलनों में संकलित l कई कथा-रचनाओं का मलयालम, उर्दू, ओड़िया, मराठी, पंजाबी आदि भारतीय भाषाओं एवं अँग्रेजी भाषा में अनुवाद l लेखन के साथ-साथ, गाहे-बगाहे चित्रांकन भी करते हैं l संपर्क – EWS-395, दर्पण कॉलोनी, ग्वालियर– 474011 (मध्य प्रदेश)
Cell Phone : 98272–57361
e-Mail : lahariya_rajendra@yahoo. com

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