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BaalKand-2 : Tana-Bana / बालकाण्ड-2 : ताना-बाना

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Language: Hindi
Pages: 32
Book Dimension: 5.5″x8.5″

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स्कूल

ढाई-तीन बरस की छुटकी पार्क में खेल रही थी। वह मां के आगे-आगे गेंद को ठोकरें मारती हंसती हुई आगे बढ़ती जा रही थी।
सामने एक बच्चे ने छुटकी और गेंद को देखा। वह गिरता-पड़ता छुटकी की तरफ बढ़ने लगा। उसे अपनी तरफ़ आते देख छुटकी ने फ़ौरन बॉल उठा ली और उसे बाएं कंधे से लगाकर टेढ़ी नज़र से बच्चे को देखा। बच्चा आगे बढ़ा और अपना हाथ आगे बढ़ा दिया।
– दे दो बेटे।’ मां ने कहा। छुटकी ने गेंद दे तो दी, पर आकर मां से लिपट गई और रुआंसी-सी हो गई। मां ने उसके सर पर हाथ रखकर समझाया– अभी दे देगा वापिस।’
पल-भर बाद ही छुटकी बच्चे के पास गई और उससे गेंद लेकर मां के पास आ गई। बच्चा छुटकी और गेंद को देखता रह गया।
छुटकी फिर उसके पास गई। इस बार दोनों तरफ से हाथ बढ़े। बच्चे को गेंद मिली, तो वह उमंग में तेज़ चलने लगा। गिरा भी, पर गेंद को पकड़े रहा।
छुटकी ने एक बार फिर गेंद ले ली और पीछे हट गई। गेंद देने और लेने की यह क्रिया एक-दो बार और हुई। आसपास के लोग भी यह रोचक दृश्य देख रहे थे। आखिर छुटकी ने बच्चे के पास जाकर उसके हाथ में गेंद थमा दी, फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा।
अब उसकी चाल में अजीब मस्ती आ गई थी।

SKU: 9789386835802-1

Description

अशोक भाटिया

अम्बाला छावनी (पूर्व पंजाब) में जन्म। साहित्यकार एवं समीक्षक। हिन्दी में पी-एच.डी.। पूर्व एसोसिएट प्रोफेसर। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेखों, लघुकथाओं, कविताओं आदि का निरन्तर प्रकाशन। प्रकाशित पुस्तकों में आलोचना एवंशोध तथा कविताओं, लघुकथाओं के संग्रह और बाल-पुस्तकें। कई पुस्तकों का संपादन। हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा ‘बाबू बालमुकुन्द गुप्त सम्मान’ (2017) सहित राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर अनेक पुरस्कार व सम्मान। लघुकथा पर विशेष कार्य।
संपर्क : 1882, सेक्टर-13, करनाल-132001 (हरियाणा)।
फोन : 94161-52100
ईमेल : ashokbhatiahes@gmail.com

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