SALE
Sale

Rasul Gamzatov Ki Kavitayen / रसूल हमज़ातफ़ की कविताएँ

Original price was: ₹250.00.Current price is: ₹230.00.

FREE SHIPMENT FOR ORDER ABOVE Rs.149/- FREE BY REGD. BOOK POST

Language: Hindi
Pages: 160
Book Dimension: 5.5″x8.5″
Format: Paper Back

Amazon : Buy Link

Flipkart : Buy Link

Kindle : Buy Link

NotNul : Buy Link

Translator(s) – Madanlal ‘Madhu’, Faiz Ahmed, Suresh Salil, Sabir Siddiqui, Shrivila Singh, Pragati Tipnis, Ramesh Kaushik, Anil Janvijay, Ramnath Viyas Parikar
अनुवाद — मदनलाल ‘मधु’, फ़ैज़ अहमद, सुरेश सलिल, साबिर सिद्दीक़ी, श्रीविलास सिंह, प्रगति टिपणीस, रमेश कौशिक, अनिल जनविजय, रामनाथ व्यास परिकर

Editor(s) – Anil Janvijay
संपादक — अनिल जनविजय

SKU: N/A

Description

कोहेकाफ़ पर्वतमाला की वादियों में कई देश बसे हुए हैं, दग़िस्तान भी उनमें से एक है। दग़िस्तान की एक पहाड़ी बस्ती त्सादा में कवि और अनुवादक पिता हमज़ात त्सदासा के घर बेटे रसूल का जन्म हुआ। इनके पूर्वज वैसे तो किसान थे, पर अपने इलाक़े की काव्य-प्रथा को आगे ले जाने में भी इनका बड़ा योगदान रहा। रसूल के पिता कविताएँ तथा नीति-कथाएँ लिखते थे। उन्होंने रूसी कवि अलिक्सान्दर पूश्किन की कविताओं एवं अन्य रचनाओं का रूसी से अवारी भाषा में अनुवाद किया था। रसूल की परवरिश अपने दो बड़े भाइयों के साथ कविताओं और साहित्य में रचे-बसे वातावरण में हुई और उसने छोटी उम्र से ही पिता की सरपरस्ती में कविताएँ लिखनी शुरू कर दीं।

द्वितीय विश्‍व युद्ध के समय हमज़ातव की कृतियाँ अख़बार ‘बल्शिवीक गोर’ (पहाड़ों का बल्शिवीक) में छपा करती थीं। वे उन दिनों सैनिकों के पराक्रम की कहानियाँ, रेखाचित्र, लेख आदि लिखा करते थे और दग़िस्तान के वीरों द्वारा जर्मनी के ख़िलाफ़ लड़े जा रहे ‘महान देशभक्तिपूर्ण युद्ध’ में दिखाए गए वीरतापूर्ण कारनामों का बखान किया करते थे। सन् 1942 से उन्होंने रेडियो में बतौर प्रोग्राम एडिटर काम किया। शुरूआती दौर में वे कविताएँ त्सदासा के नाम से ही लिखते थे लेकिन बाद में उन्होंने पिता के नाम ‘हमज़ात’ से ही अपना तख़ल्लुस हमज़ातफ़ बना लिया।

Additional information

Weight 300 g
Dimensions 9 × 6 × 0.5 in
Product Options / Binding Type

Related Products