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Prachin Vishwa Itihas ka Parichay – Introduction to World’s Ancient History (With B&W Photographs) प्राचीन विश्व इतिहास का परिचय (श्याम-श्वेत चित्रों में)

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Language: Hindi
Pages: 328
Book Dimension: 5.5″x8.5″

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अनुक्रम

  • विषय परिचय
  • यह पुस्तक कैसे पढ़ें?

आदिम लोगों का जीवन

  • आदिम संग्राहक और शिकारी
    सबसे प्राचीन लोग कैसे थे और किस प्रकार रहते थे?
    शिकारियों के गोत्र समुदाय
    कला और धार्मिक विश्वासों का जन्म
  • आदिम पशुपालक और कृषक
    पशुपालन और कृषि का आरम्भ
    लोगों के बीच असमानता की उत्पत्ति

प्राचीन पूर्व

  • प्राचीन मिस्र
    प्राचीन मिस्र की प्रकृति और उसके लोगों के धन्धे
    मिस्र में वर्गों की उत्पत्ति
    प्राचीन मिस्र में राज्य की उत्पत्ति
    प्राचीन मिस्र में शासन-व्यवस्था और वर्ग संघर्ष
    मिस्री साम्राज्य का उत्कर्ष और पतन
    प्राचीन मिस्र में धर्म
    प्राचीन मिस्र में विज्ञान और लेखन कला की उत्पत्ति
    प्राचीन मिस्री साहित्य और कलाएँ
  • प्राचीन पश्चिमी एशिया
    मेसोपोटामिया में वर्गों की उत्पत्ति

    सबसे प्राचीन मेसोपोटामिया राज्य और बेबीलोनी साम्राज्य
    पहली सहस्राब्दी ईसापूर्व का पश्चिमी एशिया
    पश्चिमी एशिया के प्राचीन निवासियों की संस्कृति
  • प्राचीन भारत
    पहली सहस्राब्दी ईसापूर्व के आरम्भ तक का भारत

    पहली सहस्राब्दी ईसापूर्व में भारत में दासप्रथात्मक राज्यों का आविर्भाव और विकास
    प्राचीन भारत की संस्कृति
    प्राचीन श्रीलंका
  • प्राचीन चीन
    चीनी राज्य का निर्माण

    चीन में जन विद्रोह
    प्राचीन चीन की संस्कृति

प्राचीन यूनान

  • यूनान का आरम्भिक इतिहास
    प्राचीन यूनान की भौगोलिक व प्राकृतिक विशेषताएँ और लोग

    प्राचीन यूनान की पौराणिक कथाएँ
    होमर के महाकाव्य ‘इलियड’ और ‘ओडिसी’
    ग्यारहवीं-नौवीं शताब्दी ईसापूर्व में यूनानियों के धन्धे और यूनान में वर्गों की उत्पत्ति
    प्राचीन यूनानियों का धर्म
  • आठवींछठी शताब्दी ईसापूर्व में यूनान में दासप्रथात्मक व्यवस्था की स्थापना और नगरराज्यों का निर्माण
    एथेन्स के दासप्रथात्मक राज्य का उदय

    आठवीं-छठी शताब्दी ईसापूर्व में स्पार्टा का दासप्रथात्मक राज्य
    यूनान में और भू मध्य तथा काला सागरों के तट पर नगर-राज्यों का निर्माण
  • पाँचवीं शताब्दी ईसापूर्व में यूनान में दासप्रथा का विकास और एथेन्स का उत्कर्ष
    यूनानी-पारसीक युद्ध

    पाँचवीं शताब्दी ईसापूर्व के यूनान में दासप्रथा
    पाँचवीं शताब्दी ईसापूर्व के मध्य में एथेन्स का शक्ति-प्रसार  और समृद्धि
    एथेन्स का दासप्रथात्मक जनतन्त्र
  • पाँचवींचौथी शताब्दी ईसापूर्व में यूनानी संस्कृति का उत्कर्ष
    लेखन-कला, शिक्षा और ओलिम्पिक खेल

    प्राचीन यूनानी रंगमंच
    पाँचवीं शताब्दी ईसापूर्व की यूनानी वास्तुकला, मूर्तिकला और चित्रकला
    प्राचीन यूनान में ज्ञान-विज्ञान
  • पूर्वी भूमध्यसागर से लगे प्रदेशों में यूनानीमक़दूनी राज्यों की स्थापना
    चौथी शताब्दी ईसापूर्व में यूनान का पतन और उस पर मक़दूनिया का आधिपत्य

    सिकन्दर के साम्राज्य का निर्माण और पतन
    चौथी शताब्दी के अन्त – दूसरी शताब्दी ईसापूर्व में पूर्वी भूमध्यसागर से लगे प्रदेशों की अर्थव्यवस्था और संस्कृति

प्राचीन रोम

  • रोमन गणतन्त्र का निर्माण और उसकी इटलीविजय
    रोम का आरम्भिक इतिहास

    तीसरी शताब्दी ईसापूर्व के मध्य का रोमन अभिजातीय गणतन्त्र
  • रोमन गणतन्त्र का भूमध्यसागर क्षेत्र का सबसे शक्तिशाली राज्य  बन जाना
    पश्चिमी भूमध्यसागर क्षेत्र में प्रभुत्व के लिए रोम और कार्थेज का संघर्ष

    दूसरी शताब्दी ईसापूर्व की रोमन विजयें
    दूसरी-पहली शताब्दी ईसापूर्व की रोमन दास प्रथा
    इटली के किसनों की दुर्दशा और उनका भूमि के लिए संघर्ष
    स्पार्टकस के नेतृत्व में दासों का विद्रोह
  • रोमन गणतन्त्र का पतन और रोमन साम्राज्य का उत्कर्ष
    रोम में सीज़र द्वारा सत्ता पर अधिकार

    आक्टेवियन आगस्टन और उसके उत्तराधिकारियों के काल का रोमन साम्राज्य
  • गणतन्त्रकाल के अन्त और साम्राज्यकाल के आरम्भ में रोम की संस्कृति और जनजीवन
    प्राचीन रोम की कला

    साम्राज्य कालीन रोम नगर
  • रोमन साम्राज्य का पतन और विनाश
    दूसरी शताब्दी के अन्त और तीसरी शताब्दी में दासप्रथात्मक अर्थव्यवस्था के पतन का आरम्भ

    तीसरी शताब्दी में साम्राज्य का दुर्बल होना और सम्राट डायोक्लीशियन के शासन काल में उसका पुन: सुदृढ़ बनना
    ईसाई धर्म की उत्पत्ति
    चौथी शताब्दी में रोमन साम्राज्य की हालत का और बिगड़ना
    पश्चिमी रोमन साम्राज्य का पतन
  • उपसंहार
  • परिशिष्टरंगीन चित्र
SKU: 9789386835536-1

Description

पुस्तक के बारे में

इतिहास शब्द संस्कृत से आया है और उसका अर्थ है : निश्चय ही ऐसा था या हुआ था। इतिहास एक विज्ञान है। वह इसका अध्ययन करता है कि भूतकाल में लोग किस प्रकार रहते थे, उनकी मेहनत और कामों ने धरती को कैसे बदला, खुद उनके जीवन में क्या परिवर्तन आए और क्यों आए और आज हम उसे जैसा पाते हैं, वैसा वह क्यों बना।
हर देश का इतिहास विश्व इतिहास का, सारी धरती के लोगों के इतिहास का अंग होता है।
काल या समय के हिसाब से इतिहास को मोटे तौर पर तीन भागों में बाँटा जाता
है : प्राचीन काल, मध्य काल और आधुनिक काल। इस पुस्तक में हम आपको बताएँगे कि प्राचीन काल में लोग कैसे रहते थे और उन्होंने क्या-क्या किया।
किन्तु हमें कैसे मालूम हुआ कि तब, यानी हजारों साल पहले लोग कैसे रहते थे?
बात यह है कि लोग अपने पीछे अपने कुछ निशान छोड़ जाते हैं। इन्हें हम अवशेष या पुरावशेष भी कहते हैं। इन्हीं से वैज्ञानिक यह पता चलाते हैं कि वे लोग कौन थे और कैसे रहते थे।
‘‘बोलते चिह्न’’। प्राचीन काल में ही लोगों ने अपने कामकाज के ब्यौरों, घटनाओं आदि को लिखकर दर्ज करना सीख लिया था। वे पेड़ की छाल, पत्तों, पत्थर, चमड़े, आदि पर लिखा करते थे। ऐसे सबसे प्राचीन लेख कोई 5000 वर्ष पुराने हैं। (पृष्ठ 36-37 पर दी गई काल-मापनी पर यह काल-बिन्दु खोजें।)
मगर हमें पुराने लेखों को पढ़ना भी आना चाहिए। उनमें से बहुत से ऐसे चिह्नों अथवा लिपियों और भाषाओं में लिखे गए हैं, जिनका लोगों ने अरसे से प्रयोग करना बन्द कर दिया है। विद्वानों ने उन्हें पढ़ने का बीड़ा उठाया और प्राचीन विश्व की बहुत-सी जातियों के लेखों को पढ़ने में वे सफल भी हो गए। जो चिह्न पहले समझ में नहीं आते थे, वे सहसा ‘‘बोलने’’ लग गए। उनसे हमें प्राचीन काल के शक्तिशाली राज्यों, जन-विद्रोहों, वैज्ञानिक, दार्शनिक और राजनीतिक विचारों और बहुत-सी दूसरी बातों के बारे में मालूम हुआ।
ऐतिहासिक जानकारी देने वाले लेखों को लिखित स्रोत-सामग्री या ऐतिहासिक दस्तावेज कहा जाता है। इनमें से कई के बारे में हम आपको आगे चलकर बताएँगे।
वस्तुएँ और चित्र भी बताते हैं। प्राचीन लोग लेखों के अलावा दूसरे ‘‘निशान’’ भी छोड़ गए हैं, जैसे अपने काम के औजार, इस्तेमाल की दूसरी चीजें, अपनी कब्रेें, घरों के खंडहर आदि। एक कहावत है : जैसा घर, वैसा जीवन। वैज्ञानिक लोग कहते हैं : हम प्राचीन मानव की हड्डियाँ देखकर बता सकते हैं कि वह शक्ल-सूरत से कैसा था। हम प्राचीन मानव की वस्तुएँ देखकर बता सकते हैं कि वह क्या करता था, क्या जानता था और कैसे रहता था। प्राचीन चित्र भी बहुत कुछ बता सकते हैं। उनमें लोगों के जीवन, उनके काम-काज, लड़ाइयों, उत्सव-त्यौहारों, उनकी इस्तेमाल की चीजों आदि का चित्रण हुआ है।
वस्तुओं और चित्रों को भौतिक स्रोत-सामग्री कहा जाता है। वे उस बहुत ही प्राचीन काल की भी हो सकती हैं, जब लोगों को लिखना नहीं आता था। इस अति प्राचीन काल को वैज्ञानिक प्रागैतिहासिक काल कहते हैं और इसके बारे में जानने का मुख्य साधन भौतिक स्रोत-सामग्री ही है।
प्राचीन ‘‘निशानों’’ के खोजी। आपने देखा होगा कि चीजें अगर कुछ दिन भी अछूती पड़ी रहें, तो उन पर धूल की परत जम जाती है। प्राचीन काल के लोगों द्वारा छोड़ी हुई चीजों पर इन हजारों वर्षों में धूल, मिट्टी या रेत की इतनी मोटी परत जम गई है कि उस पर घास और पेड़-पौधे भी उग आए हैं। इसलिए उनकी खोज आसान नहीं है। जहाँ ये चीजें हो सकती हैं, वैज्ञानिक वहाँ खुदाई करते हैं।

…इसी पुस्तक से…

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