







Ko Banaes (Baal Manovigyan par Kendrit Bagheli Laghukathain) / को बनाइस (बाल मनोविज्ञान पर केन्द्रित बघेली लघुकथाएँ)
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पुस्तक के बारे में
बहुप्रचलित कथन है, ‘जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ’। यह संसार अनेकानेक विचित्रताओं से भरा पड़ा है। हमें जीवन के हर मोड़ पर अनेक वस्तुओं, व्यक्तियों और स्थानों का सामना करना पड़ता है। कई बार हम अपनी व्यस्तता में, अपने गुरूर में या अपनी धुन में उनसे मुँह फेरकर आगे बढ़ जाते हैं। वास्तव में देखा जाय तो यह सारे उपादान हमें जीवन में अनायास नहीं मिलते, वरन् हमें कुछ देने के लिए ही हमारे सामने आते हैं।
बच्चों का अबोध बाल-मन सबसे पहले अपनी माँ से सीखता है, तो आगे चलकर अपने वातावरण व अपनी जिज्ञासाओं से सीखता है। यही वह समय होता है, जब उसके मन में अनेकानेक सवाल उठते हैं और अपने माता-पिता से या घर के किसी अन्य बड़े से अपनी जिज्ञासाओं का समाधान करना एक बहुत स्वाभाविक सी प्रक्रिया है। यहाँ आकर अंग्रेजी की कहावत ‘Asking questions is the best way of learning’ चरितार्थ होती है।
दरअसल बच्चों के यह सवाल उनके सीखने की प्रक्रिया के अनिवार्य अंग होते हैं, तो यही सवाल हमारे लिए सचेतक की भूमिका भी निभाते हैं। वर्तमान भौतिकतावादी और विकासवादी अन्धी दौड़ में हम प्रायः अनेक छोटी-छोटी, बड़ी बातों को नजरअंदाज कर जाते हैं। बच्चों के सवाल उन बातों की ओर हमारा ध्यान अवश्य खींचते हैं।
अंग्रेजी के प्रसिद्ध कवि और विचारक विलियम वर्ड्सवर्थ का कथन ‘Child is the father of the man’ भी इसी मत के समर्थन में खड़ा मिलता है। हमारी लोक मान्यता है, कि बच्चे भगवान का रूप होते हैं। प्रकारान्तर से कहें तो बच्चों के सवालों के रूप में कोई दैवीय शक्ति हमारे सामने सवाल रखती है और हमें अपने आचरण और व्यवहार के बारे में पुनर्विचार हेतु प्रेरित करती है।
विगत कुछ महीने पहले लघुकथा विधा के विकास के प्रति समर्पित भाव से प्रयासरत डॉ. अशोक भाटिया जी का एक साक्षात्कार सुनने को मिला। जब उन्होंने बाल मनोविज्ञान पर केन्द्रित लघुकथाओं के सृजन की आवश्यकता की बात की, उसी समय मन में यह विचार आया कि इस दिशा में काम किया जाना चाहिए। ‘बघेली कथा-साहित्य वर्ष 2023’ की महती संकल्पना के साथ अपनी मातृबोली बघेली की सेवा में एक और पुष्प अर्पित करने का विचार पहले से ही चल रहा था।
‘बघेली कथा-साहित्य वर्ष 2023’, बाल मनोविज्ञान पर केन्द्रित लघुकथाओं का सृजन एवं अन्यान्य योजनाओं को देखते हुए यह कार्य स्वयं साध पाना जब सम्भव प्रतीत नहीं दिखा, तब मैंने अपनी समस्या का उद्घाटन गीता शुक्ला ‘गीत’ के सम्मुख किया और उन्होंने सहर्ष इस काम को आगे बढ़ाने का जिम्मा ले लिया।
‘बघेली कथा-साहित्य वर्ष 2023’ के पंचम् पुष्प के रूप में उनका बाल मनोविज्ञान पर केन्द्रित बघेली का लघुकथा संग्रह ‘को बनाइस’ सामने है। संग्रह की लघुकथाओं में अबोध बच्चों की बाल सुलभ जिज्ञासाओं और सवालों को उन्होंने जिस तरह से कथानक के कलेवर में ढाला है, वह सराहनीय है। इन लघुकथाओं में हमारे समाज, परिवार और समूचे परिवेश के प्रति बच्चों के सवालों के माध्यम से पुनर्विचार का जो संकेत और सन्देश मिलता है, वह लघुकथाओं की सफलता की ओर इंगित करता है।
— डॉ. राम गरीब पाण्डेय ‘विकल’
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