Sale

Ek Boond Ujala / एक बूँद उजाला – हिंदी उपन्यास

Original price was: ₹499.00.Current price is: ₹350.00.

FREE SHIPMENT FOR ORDER ABOVE Rs.149/- FREE BY REGD. BOOK POST

Language: Hindi
Pages: 176
Book Dimension: 5.5″x8.5″

Amazon : Buy Link

Flipkart : Buy Link

Kindle : Buy Link

NotNul : Buy Link

विषय के लिहाज़ से देखें तो “एक बूंद उजाला” का विषय कोई नया नहीं लेकिन अहमद सगीर ने रचनात्मक सतह पर कमाल की बुनत और फनकारी से काम लेते हुए उस औरत की बगावत का मनोविज्ञानिक विश्लेषण पेश करने की कोशिश की है जिस का पति उसे छोड़कर अरब देश में रोजी कमाने गया हुआ है। ये उस मुल्क में मुसलमानों की त्रासदी है कि जब उन्हें रोजगार से वंचित कर दिया जाता है तो बाहर के मुल्कों में रोजग़ार तलाश करने की कोशिश में लग जाते हैं। वह उसमें कामयाब भी होते हैं, लेकिन त्रासदी ये है कि ऐसे बहुत से मर्द अपनी पत्नी, बच्चों को साथ नहीं रख पाते, नई नवेली दुल्हन शौहर के इन्तजार में जिस्मानी और रूहानी दोनों सतह पर जिस तरह घुटन का शिकार होती है। उसका खूबसूरत विश्लेषण इस उपन्यास में किया गया है। किसी कमजोर लड़की के लिए इस उत्पीड़न को सह जाना शायद आसान होता हो लेकिन आम तौर पर पढ़ी लिखी लड़कियों में तकलीफदह तन्हाई जिस्मानी और रूहानी उत्पीड़न और घुटन से घबरा कर बगावत का माद्दा भी सर उठाने लगता है और यही इस उपन्यास की हिरोईन के साथ होता है। वह इस एक बूंद उजाला के लिए बगावत करती है। उपन्यासकार के संवेदनशील स्वभाव ने इस नाजुक विषय को इतने सलीके से उठाया है कि इंसानी मनोविज्ञानिक परतें दिलचस्प अंदाज में खुलती जाती है और यही अहमद सग़ीर की कामयाबी की दलील भी है। उपन्यास में मजहब भी है और इंसानी फितरत की दास्तान भी, नई तहजीब का मंजरनामा भी और बगावत की आंच भी। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि ये उपन्यास विषय के लिहाज़ से इंसाफ करता और उनका दिलकश अंदाज उन्हें एक मंझे हुए उपन्यासकार के तौर पर परिचय कराता है।
— मुशर्रफ़ आलम जौकी

SKU: N/A

Description

पुस्तक के बारे में

हवा का एक तेज़ झोंका फिर कमरे में दाखि़ल होता है। गुलनार उठ कर खिड़कियाँ बन्द कर देती है। पर्दे ठीक करती है बल्ब बुझाती है और बिस्तर पर दराज़ हो जाती है। कमरे में फैला सन्‍नाटा और भी ग़हरा हो गया। ऐन उसी वक़्त बादल ज़ोर से गरजा और पानी यकायक यूँ टूट कर बरसने लगा जैसे आसमान बोसीदा चादर की तरह झरझर हो गया हो। गुलनार ने चादर को सर तक ढाँप लिया और सोने की कोशिश करने लगी।
रात जितनी स्याह थी सुबह उतनी ही सफ़ेद।
रोशनदान से छन कर आने वाली सूरज की रोशनी गुलनार के कमरे में उजाला कर रही है। सात बज चुके हैं मगर वो अभी तक सोई हुई है कि अचानक एक आवाज़ उस की समाअत से टकराई और वो नींद से बेदार हो गयी। चादर फेंकती हुई पलंग से दुपट्टे को उठाती हुई लगभग दौड़ती हुई ड्राइंगरूम में पहुँची। ड्राइंगरूम में उसके वालिद अब्दुर्रहमान टी.वी. ऑन किये बैठे थे। टी.वी. पर ख़बरें आ रही थीं। स्क्रीन पर तबरेज़ हाशमी अपने मुंफ़रिद अंदाज़ में न्यूज़ पढ़ रहा था। गुलनार अपने दुपट्टे को सीने पर सँभालती हुई टीवी से थोड़े फ़ासले पर खड़ी हो गयी। उसकी बहन शमामा जो एक सोफ़े पर बैठी थी गुलनार की तरफ़ मुस्कुरा कर देखा– उसकी आँखों में कशिश थी और गालों पर शफ़क़ खिली हुई थी लेकिन गुलनार तमाम बातों से बेनियाज़ तबरेज़ हाशमी की रिपोर्ट सुन रही थी।
करप्शन यानी बदउनवानी और रिश्‍वत सतानी पर इस वक़्त पूरे मुल्क़ में गुफ़्तगू जारी है। माज़ी में भी हो रही थी और मुस्तक़बिल में भी होती रहेगी। 2G स्पेक्टरम घोटाला मुल्क के सभी घोटालों की माँ है तो मुल्क़ में कोयला Allotment के नाम पर तक़रीबन अट्ठाईस लाख करोड़ रुपये की लूट घोटालों का बाप है। ये घोटाला वज़ीरे-आज़म मनमोहन सिंह के दौरे-इक़्तेदार में ही नहीं हुआ। इन्हीं की वज़ारत में हुआ है। हद तो ये है कि राष्‍ट्र-मंडल खेलों में भी घोटाले की काली परछाई नज़र आयी। करप्शन के पहलू से मुल्क़ में जो तशवीशनाक सूरते-हाल है इस पर अन्‍ना हज़ारे जैसे हज़रात सरकार और अहले-वतन के ज़मीर को झिंझोड़ रहे हैं लेकिन ये मर्ज़ इतना ख़तरनाक और समाज के रग-ओ-पै में ऐसा सरायत किये हुए कि किसी भी आम इलाज से इस का ख़ात्मा आसान नहीं है तो आखि़र इस का हल क्या है ये तो आपको सोचना है। कमर्शियल ब्रेक के बाद आपसे ही इस का हल तलाश करेंगे….” जब रिपोर्ट ख़त्म हुई तो दूसरी ख़बरें आने लगीं। अब्दुर्रहमान जो इस रिपोर्ट में खोये थे ख़त्म होने के बाद गुलनार की तरफ़ देखा–

…इसी पुस्तक से…

 

Additional information

Weight N/A
Dimensions N/A
Product Options / Binding Type

,

Related Products