







Ek aur Jani Shikar (1967 se 2019 tak likhi kavitaon me sei chayanit kavitayen) / एक और जनी शिकार (सन् 1967 से 2019 तक लिखी कविताओं में से चयनित कविताएँ)
₹149.00 – ₹275.00
FREE SHIPMENT FOR ORDER ABOVE Rs.149/- FREE BY REGD. BOOK POST
Read eBook in Mobile APP
ग्रेस कुजूर ने ‘एक और जनी शिकार’ कविता में बड़ी श्रद्धा से सिनगी दई को याद किया है। पूरे भारत के जन आंदोलनों में महिलाओं की भागीदारी की महत्ता को समझते हुए उन्होंने महिलाओं को सिनगी दई की तरह नेतृत्व करने की प्रेरणा दी है। ग्रेस कुजूर की कविताओं में उन सभी स्त्रियों को जगह मिली है जो संघर्षरत हैं और तमाम बड़े दरख्तों के बीच बिरवे की भांति उगने, पनपने का साहस रखती हैं। उनकी लगभग 20 कविताएं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं और पुस्तकों में प्रकाशित, प्रशंसित, चर्चित हो चुकी हैं। यह उनका पहला काव्य संग्रह है जिसमें सन् 1967 से 2019 के बीच लिखी कविताओं में से चयनित 70 कविताएं शामिल हैं। इस संकलन की कविताएँ समकालीन हिन्दी कविता की रचनाशीलता को समृद्ध करेंगी और हिन्दी की श्रीवृद्धि भी करेंगी क्योंकि देशज बिम्ब, प्रतीक और मुहावरे सम्भवतः प्रथम बार हिन्दी कविता से जुड़ रहे हैं। ग्रेस कुजूर सन् 1989 से ‘कलम को तीर होने दो’ का उद् घोष करती हुई कविता में आग लेकर आती हैं और भूमण्डलीकरण के बाद के जटिल, कुटिल समय में आदिवासियों के अस्तित्व संकट को समझते हुए मशाल की तरह भभककर पठार पर पसरे अंधकार को मिटाने, विभिन्न जनांदोलनों के द्वारा प्रतिरोध का अलाव जलाकर उजास फैलाने के लिये कृतसंकल्प हैं। उनकी कविताओं में कला जीवन के लिये है। वे अपनी कविताओं में सिर्फ ‘कला, कला के लिए’ के विचार के साथ उपस्थित नहीं होती, बल्कि उलगुलान की मशाल लेकर आती हैं। साथ ही पठार के जीवन और कला का सरल, सहज, पहाड़ी नदी के संगीत-सा स्वाभाविक संगीत पूरी ऊर्जा से रचती हैं।
—सावित्री बड़ाईक
* * *
इस काव्य संकलन की सभी 70 कविताओं में ग्रेस कुजूर की लगभग 50 वर्षों की रचनाशीलता को देखा जा सकता है। उन्होंने प्रारम्भिक कविताओं में किशोर मन की भावुकता और अनाम चेहरे के प्रति उत्सुकता को दर्ज किया है। देश भक्ति गीतों के साथ ही उन्होंने कई भावपूर्ण गीत लिखे हैं, जिसमें स्त्री सुलभ भावुकता को साफ तौर पर देखा जा सकता है। उनके तीखे स्वर वाली कविताओं से ही पाठक परिचित थे परन्तु अब यह स्वीकार करना पड़ेगा कि उनकी कविताओं का विषय विविधतापूर्ण है। यह काव्य संकलन इस अर्थ में भी स्वागत योग्य है क्योंकि ग्रेस कुजूर ने समाज के विभिन्न तबकों की स्त्रियों के जीवन की कठोरता, असंगतियों को भी अपनी कविता का सौंदर्य बनाया है। इस पुस्तक से ग्रेस कुजूर की कवि के रूप में मुकम्मल पहचान तो बनेगी। ग्रेस कुजूर की कविताएं आधुनिक हिन्दी काव्य जगत में अनिवार्य और गंभीर हस्तक्षेप होंगी। उनको राष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी कवि के रूप में स्थापित करने में समर्थ होंगी। विषय, भाषा और शिल्प के स्तर पर हिन्दी की समकालीन कविता से किसी भी रूप में कम नहीं हैं। ग्रेस कुजूर की कविताएँ सिर्फ आदिवासी जीवन संघर्षों, जिजीविषा, सपनों की कविता नहीं है। उनकी कविताओं का फलक व्यापक है और वितान बड़ा है। स्थानीय बिम्बों, प्रतीकों के द्वारा वे इंसानियत, धरती-प्रकृति की सलामती की कामना करती है। इस संग्रह की कविता ग्रेस कुजूर को राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलायेंगी। उनकी कविताओं में लयात्मक कौशल, परिपक्व वैचारिकता, यथार्थ-बोध, संकल्प की दृढ़ता, अकृतिमता, जिजीविषा, विषय की विविधता, श्रम के प्रति निष्ठा का सौन्दर्य मौजूद है।
इसी पुस्तक से…
- Description
- Additional information
Description
Description
ग्रेस कुजूर
जन्म : 13 अप्रैल 1948, ईटकी, राँची, झारखण्ड। शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी), बी.एड., राँची विश्वविद्यालय, राँची से। कार्य क्षेत्र : आकशवाणी भागलपुर, राँची, पटना में केन्द्र निदेशक। सितम्बर 2001 से 2008 तक आकाशवाणी महानिदेशालय, प्रसार भारती, नई दिल्ली में उपमहानिदेशक। अप्रैल 2008 में उपमहानिदेशक पद से सेवानिवृत। कविताएँ : आर्यावत्त, हिन्दुस्तान, युगीन, युद्धरत आम आदमी, आधी दुनिया, सरिता, प्रभात खबर आदि पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। ‘लोकप्रिय आदिवासी कविताएँ’, ‘कलम को तीर होने दो’, ‘दूसरी हिन्दी’ पुस्तकों में कविताएँ संकलित। 2002 में रमणिका गुप्ता के नेतृत्व में रामदयाल मुण्डा, हरिराम मीणा प्रभाकर तिर्की के साथ आदिवासी साहित्य के लिए बने मंच में काम किया। विदेश यात्रा : 1996 में “रेडियो प्रोग्राम मैनेजमेंट” के तहत “रेडियो डोचेवेले”, जर्मनी से व्यावहारिक और सैद्धान्तिक प्रशिक्षण प्राप्त, ईरान -2007 में बतौर प्रोग्राम इंचार्ज “रेडियो स्लोगन पब्लिसिटी” का पहला पुरस्कार ऑल इंडिया रेडियो के लिए प्राप्त किया आकाशवाणी के कार्यक्रम प्रसारण की सभी विधाओं के लिए नीति निर्धारण, शासकीय प्रबंधन भी संभाला एवं आकाशवाणी केन्द्रों के निरीक्षण हेतु कन्याकुमारी से अंडमान निकोबार, लक्षद्वीप, लेह लद्दाख से नॉर्थ-इस्ट सहित सभी राज्यों में निरंतर भ्रमण। सम्प्रति : सेवानिवृति के पश्चात् स्वतंत्र लेखन। संपर्क : 9470368005; ईमेल : gracekujur13@gmail.com
Additional information
Additional information
Product Options / Binding Type |
---|
Related Products
-
-40%Select options This product has multiple variants. The options may be chosen on the product pageQuick ViewBiography / Jiwani / जीवनी, Criticism Aalochana / आलोचना, Hard Bound / सजिल्द, History / Political Science / Constitution / Movement / इतिहास / राजनीति विज्ञान / संविधान / आन्दोलन, Poetry / Shayari / Ghazal / Geet — कविता / शायरी / गज़ल / गीत, Sanchayan / Essays / Compilation संचयन / निबंध / संकलन (Anthology)
Uday Pratap Singh : Anubhav ka Aakash / उदय प्रताप सिंह : अनुभव का आकाश
₹500.00Original price was: ₹500.00.₹300.00Current price is: ₹300.00. -
Criticism Aalochana / आलोचना, Hard Bound / सजिल्द, Poetry / Shayari / Ghazal / Geet — कविता / शायरी / गज़ल / गीत, Sanchayan / Essays / Compilation संचयन / निबंध / संकलन (Anthology), Top Selling, Women Discourse / Stri Vimarsh / स्त्री विमर्श
Adhunatan kavyashastry – Acharya Rammoorti Tripathi अधुनातन काव्यशास्त्री – आचार्य राममूर्ति त्रिपाठी
₹999.00Original price was: ₹999.00.₹650.00Current price is: ₹650.00. -
Hard Bound / सजिल्द, Poetry / Shayari / Ghazal / Geet — कविता / शायरी / गज़ल / गीत, Puruskrat Pustkain / पुरस्कृत पुस्तकें (Awarded Books), Women Discourse / Stri Vimarsh / स्त्री विमर्श
Kavita Kunj (Poetry) कविता कुंज (कविता-संग्रह)
₹400.00Original price was: ₹400.00.₹320.00Current price is: ₹320.00. -
Art and Culture / Kala avam Sanskriti / कला एवं संस्कृति, Epic / महाकाव्य, Hard Bound / सजिल्द, Poetics / Sanskrit / Kavya Shashtra / काव्यशास्त्र / छंदशास्त्र / संस्कृत, Poetry / Shayari / Ghazal / Geet — कविता / शायरी / गज़ल / गीत
Sankalp (Epic) सड्कल्प (महाकाव्य)
₹350.00Original price was: ₹350.00.₹280.00Current price is: ₹280.00.