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Bharat Kahan / भारत कहाँ

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Language: Hindi
Pages: 279
Book Dimension: 6.25″ X 9.25″

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पुस्तक के बारे में

आजादी की जिम्मेदारियाँ
“आजादी और शक्ति (सत्ता) जिम्मेदारी लाती है। वह जिम्मेदारी सभा (संविधान) पर है, जो भारत की सम्प्रभु जनता का प्रतिनिधित्व करने वाली सम्प्रभुता सम्पन्‍न निकाय है। आजादी के जन्म से पहले, हमने प्रसव की सभी पीड़ायें झेली हैं और हमारे हृदय इस दुख की याद से बोझिल हैं। उनमें से कुछ पीड़ायें अभी भी जारी हैं। फिर भी, भूत खत्म हो चुका है और भविष्य हमारे सम्मुख देदीप्यमान हो रहा है।
“वह भविष्य सहज होने या विश्राम करने का नहीं, बल्कि लगातार कोशिशों का है ताकि हम उन शपथों को पूरा कर सकें जो हम अक्सर ही लेते रहे थे और उसका जो हम आज लेने वाले हैं। भारती की सेवा का मतलब है उन करोड़ों लोगों की सेवा है जो पीडि़त हैं। इसका मतलब है गरीबी और अज्ञान को, बीमारी और अवसर की असमानता को खत्म करना। हमारी पीढ़ी के महानतम व्यक्ति की महत्वाकांक्षा रही है, हरेक आँख के हरेक आँसू पोंछ डालने की। वह हमारी पहुँच से परे हो सकता है, परन्तु जबतक आँसू हैं, पीड़ायें हैं, तब तक हमारा काम खत्म नहीं हो सकता और इसलिए हमें परिश्रम करना है, काम करना है और कठिन काम करना है अपने सपनों को साकार करने के लिए। ये अपने भारत के लिए है, किन्तु ये दुनिया के लिए भी है– क्योंकि सभी राष्‍ट्र और जनगण आज एक-दूसरे से अभिन्‍न रूप से गुथे हुए हैं, कुछ इस कदर कि उनमें से किसी के लिए यह कल्पना करना मुमकिन नहीं कि वे अलग-थलग रह सकता है। शान्ति को अविच्छिन्‍न कहा गया है, वैसे ही आजादी भी, वैसे ही आज समृिद्ध भी, और वैसे ही आपदा भी, इस एक दुनिया में जिसे अब अलग-अलग टुकड़ों में नहीं बाँटा जा सकता।”

— पंडित जवाहरलाल नेहरू

 

वर्ग एकजुटता और चेतना में जातीय विभाजन अथवा धार्मिक मतभेदों का कोई स्थान नहीं है। अतीत में चाहे उनकी जो भी वैधता रही हो, पूँजीवाद और साम्राज्यवाद के खिलाफ तथा समाजवाद पर आधारित नये समाज के लिए संघर्ष में उनका कोई स्थान नहीं है क्योंकि वह तीनों के मिलजुले विष वमन का निषेध है।

– एस.ए. डांगे, (भारत में ट्रेड यूनियन आन्दोलन, की उत्पत्ति, अँग्रेजी संस्करण, पृ. 11)

समाजवादी अर्थव्यवस्था को अपने को निर्मित करने के लिए आक्रमण की जरूरत नहीं पड़ती। इस कारण कि ऐसी अर्थव्यवस्था में उत्पादन सम्बन्धों के चलते संकट पैदा नहीं होते, उत्पादन और उपभोग उस ढंग से बाधित नहीं होते जिस ढंग से पूँजीवादी सम्बन्धों के चलते होते हैं। ऐसी व्यवस्था की नियामक शक्ति आक्रमण नहीं है, उसे इसकी दरकार नहीं होती, यानी अपनी अर्थव्यवस्था को समृद्ध करने के लिए विजीत देश के भूखंड और आबादी पर कब्जा जमाकर धन पैदा करने और अधिशेष मूल्य हड़प लेने की जरूरत नहीं होती।
परन्तु मुझे सन्देह है कि कोई समाजवादी सरकार आक्रमण कर सकती है अथवा नहीं– किसी समाजवादी देश की सरकार एक चीज है और समाजवादी अर्थव्यवस्था दूसरी।
पूँजीपति वर्ग की सरकार पूँजीपति वर्ग से ज्यादा कुछ है क्योंकि पूँजीपति वर्ग की सरकार समग्र वर्ग सम्बन्धों को समझ सकती है, जबकि पूँजीपति वर्ग का हरेक तबका अपने तबके के हितों को ही समझता है। इसलिए राष्‍ट्रीय पूँजीपति वर्ग की सरकार को पूँजीपति वर्गों के कतिपय हिस्सों पर चोट करनी होती है।

– एस.ए. डांगे, (एटक सामान्य परिषद में 16-18 नवम्बर, 1962 के भाषण से)

 

 

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Description

रामबाबू कुमार सांकृत्य

जन्म : 9/10 फरवरी, 1953 की मध्यरात्रि (चम्पारण के एक गांव के प्रतिष्ठित किसान परिवार में)। शिक्षा : स्नातकोत्तर (राजनीति शास्त्र), पटना विश्वविद्यालय। पत्रकारिता एवं बौद्धिक गतिविधियां : छात्र जीवन में हिन्दी मासिक ‘अंगड़ाइयां’ और अंग्रेजी पाक्षिक ‘यूथ लाईफ’ के संपादन से जुड़े। ‘टी.यू. समाचार’ का संपादन एवं ‘दैनिक जनशक्ति’ में संपादन सहयोग। ‘तरुण कम्युनिस्ट’ का संपादन (1981-82)। ‘समर रेखा’ हिन्दी पाक्षिक का संपादन (1988-1992)। दैनिक ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ (पटना), ‘नेशनल हेराल्ड’ (नयी दिल्ली), ‘पाटलिपुत्र टाइम्स’ (पटना), ‘आर्यावर्त’ (पटना), ‘इंडियन नेशन’ (पटना), अंग्रेजी साप्ताहिक ‘न्यू वेव’ (दिल्ली), ‘न्यू थिंकिंग कम्युनिस्ट’ (चेन्नई), ‘जनशक्ति’ (पटना) समेत अन्यान्य संपादित ग्रंथों/पत्रिकाओं/स्मारिकाओं में 100 से अधिक आलेख समय-समय पर प्रकाशित। प्रकाशित पुस्तकें : ‘अस्थिरीकरण बनाम देशभक्ति’; ‘अखिल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी क्यों’; ‘रेलिवेंस आफ डांगेइज्म’ (अंग्रेजी); बियोंड ग्लोबलाईजेशन♠’ (अंग्रेजी); ‘भाकपा – संघर्ष यात्रा के नब्बे वर्ष’; ‘चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी के 100 वर्ष’; ‘चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी की बीसवीं कांग्रेस : अतीत से झांकता भविष्य’; ‘बिहार का विकास बनाम विकल्प की तलाश (2004)’ के अलावा अनेक बुकलेट एवं सेमिनार पेपर प्रकाशित। ‘एस.ए. डांगे इंस्टीट्यूट आफ सोशलिस्ट स्टडीज एंड रिसर्च’ के संस्थापक। जेल-यात्रा : 1974 के छात्र आंदोलन में, 1976 में भाकपा के सत्याग्रह में। विदेश – यात्रा : सोवियत संघ (1976, 1984), चाइना (2016), अमेरिका (2019, 2022), कोरिया (2019) एवं नेपाल (काठमांडो) में विश्व शांति परिषद् के एशिया-पैसिफिक रिजनल सम्मेलन में (जुलाई, 2023)। राजनैतिक सक्रियता : 1965 में आठवीं कक्षा के छात्र के रूप में शुल्क वृद्धि विरोधी छात्र आंदोलन में भागीदारी, निष्कासन से बाल-बाल बचे। 1970 में भाकपा के सदस्य बने। 1971-72 राजधानी पटना के छात्र आंदोलन में सक्रिय, बाद में बिहार राज्य छात्र संघ के महासचिव,1974-75 में जे.पी. आंदोलन के दौर में ‘बिहार राज्य छात्र नौजवान संघर्ष मोर्चा’ के संयोजक, एआईटीयूसी (बिहार) के सचिव, भाकपा राज्य परिषद के सदस्य, तदंतर एआईसीपी, बिहार के सचिव (1981-1993), यूसीपीआई की केंद्रीय पोलित ब्यूरो के सदस्य (1994-95), 2006 में पुनः भाकपा में, ‘जनशक्ति’ के पूर्व संपादक। संप्रति : भाकपा के बिहार राज्य सचिवमंडल के सदस्य एवं अखिल भारतीय शांति – एकजुटता संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष मंडल के सदस्य। संपर्क : 402,रायल रिट्रीट मैंन्सन,न्यू पाटलिपुत्र कालोनी, पटना-800013 बिहार। मो. / व्हाट्सएप : 6205504959 / 9472277080 ई-मेल : rksankritya@gmail.com

Additional information

Weight 500 g
Dimensions 10 × 7 × 1 in
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