Anbhai Kahe Raidassa (Play) / अनभै कहै रैदासा (नाटक)

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Language: Hindi
Pages: 48
Book Dimension: 5.5″x8.5″

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रैदास बुनियादी तौर पर कबीर परम्परा के कवि हैं। विचारधारा में साम्य के बावजूद रैदास कबीर की तरह ललकार के कवि नहीं हैं। उनका प्रतिरोध शांत और गंभीर है। जाति पाँति के बाँध में फँसे समाज की चिन्ता उन्हें लगातार रही —

‘जाति औछा पाति ओछा, ओछा जनम हमारा
रामराज की सेवा कीन्हीं, कहि रविदास चमारा’

‘अनभै कहै रैदासा’ नाटक उस कवि को केन्द्र में रखकर उस परिधि तक फैलता है जहाँ दूरी को हटाकर रैदास समकालीन हो जाता है। यह नाटक हमारे कल को आज से जोड़ने का उधम है। वर्षों से सक्रिय रंगकर्मी योग मिश्र की यह कृति हिन्दी रंगमंच को कुछ नया देने का सार्थक प्रयास है।

—डॉ. राजेन्द्र मिश्र, रि. प्रोफेसर व समालोचक, रायपुर, छत्तीसगढ़

* * *

कवि के जीवन को मध्य रखकर यह नाटक रचा है जो ‘आज’ का है। चूंकि योग खुद निर्देशक हैं इसलिए नाटक प्रभाव में दृश्य बंध में ज्ञान दिखता है। हम फिर एक बार कबीर के बेबाकपन की तरह तो नहीं पर भीतर ही भीतर उपजती समाज की चिंता को हम इस नाटक में पाते हैं।

– जयन्त देशमुख, वरिष्ठ रंगकर्मी व सुप्रसिद्ध कला निर्देशक, मुम्बई

SKU: 9789389341119

Description

योग मिश्र

रंगमंच – 1978 से शुरूआत, नया थियेटर नई दिल्ली में 5 वर्ष तक लगातार हबीब तनवीर साहब के नाटकों में अभिनय, नेपथ्य व मंच व्यवस्थापक के रूप में कार्य, जेराल्डिन बोन, एलिजाबेथ लिंच, अशोक मिश्र, राजकमल नायक, दिलिप मिश्र, राकेश परमार, सोमेश अग्रवाल, आनंद हर्षुल, नादिरा जहिर बब्बर, त्रिपुराररी शर्मा आदि के निर्देशन में अभिनय। निर्देशन-अंधेर-नगरी, धक्का पंप, चुनाव का टट्टू, कैमरे की आँख, मोर नाम दमाद गाँव के नाँव ससराल, कनुआ नाई, पेड़ सोचते हैं, चरणदास चोर, (हिन्दी में) रायपुर बिलासपुर संभाग, (श्विनोद कुमार शुक्ल), सरजूपार की मोनालिसा (अदम गोंड़वीं), दयाशंकर की डायरी (छत्तीसगढ़ी में) चुनाव, (नुक्कड़ नाटक) “माटी के लाल” (छत्तीसगढ़ी फीचर फिल्म, पटकथा, कहानी, संवाद, गीत एवं निर्देशन)। फिल्म व सिरियल- भारत एक खोज, मृगनयनी, उड़ान, सटर डे सस्पेंस, धारावी,  मोहनदास बीएएलएलबी, चाहत और नफरत, माल है तो टाल है सहित अनेक फिल्म डिवीजन और टीवी फिल्मों में अभिनय। नाट्य लेखन व रूपान्तरण- मूँजी सूरमा, पेड़ सोचते हैं, पुलिस ट्रेनिंग, बहिया सागर, मेरा साहब जिन्ना, रामभरोसे-भोलेराम, कल्प-दंतेवाड़ा, दण्ड का अरण्य, आदि। यह पहली पुस्तक “अनभै कहै रैदासा” है।​ अनेक नाट्य शिविर, सिनेमा और रंगमंच पर कार्यशाला।
संपर्क– योग मिश्र, मो- 9425643166

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