









Udhar Bhi Hain : Idhar Bhi Hain (Prose Satire) / उधर भी हैं : इधर भी हैं (व्यंग्य संग्रह)
₹799.00 Original price was: ₹799.00.₹450.00Current price is: ₹450.00.
FREE SHIPMENT FOR ORDER ABOVE Rs.149/- FREE BY REGD. BOOK POST
Read eBook in Mobile APP
जेल के एक कोने में तीन कैदियों ने एक-दूसरे से परिचय करते हुए परस्पर हाथ मिलाए। एक ने कहा मैं तो राजनैतिक बन्दी हूँ। दरअसल मैं रामलाल का चुनाव-प्रचार कर रहा था। एक जगह विरोधियों से झंझट हो गई उन्हें निपटाकर कल ही यहाँ आया हूँ। खैर मैं ज्यादा रुकने वाला नहीं हूँ। आज शाम या कल सबेरे तक जमानत हो जाएगी। दूसरे ने कहा, मैं क्या कोई अपराधी हूँ। भैया, मैं भी पोलिटिकल प्रिजनर हूँ। मैं रामलाल के विरोध में चुनाव-प्रचार कर रहा था। दो-तीन नेता आँखें दिखाने लगे। उसने दाएँ हाथ की चुटकी बजाते हुए कहा कि, एक को निपटा दिया है। मुझे भी ज्यादा नहीं रुकना आज-कल में बेल-आउट हो जाऊँगा। तीसरे ने चिन्तित मुद्रा में उन्हें देखकर हाथ जोड़े और कहा–भाइयों, मैं ही रामलाल हूँ।
एक समय था जब पाकिस्तान, बंगलादेश, सीलोन और बर्मा, भारत कहलाते थे। कभी इसी महाभारत का गुणगान करते हुए रवीन्द्रनाथ टैगोर ने गाया था–
हेथाय आर्य हेथा अनार्य, हेथाय द्राविड़ चीन।
शक हूण दल पाठान मोगल, एक देहे होलो लीन॥
पढ़कर रोमांचित हो उठता हूँ। कभी घोड़े दौड़ाते हुए आर्य, अनार्य, द्रविड़, मंगोल, शक, हूण, पठान और अन्त में मुगल योद्धा यहाँ आए होंगे। जाहिर है इतनी जातियाँ जब यहाँ आई होंगी तो उनके वीर, महाजन, विद्वान सभी आए होंगे। जब सभी लोग यहाँ आ गए तो इन जातियों के लुच्चे कहाँ गए। तय है कि वे भी साथ-साथ आए होंगे। माहौल बनाते, देखते-समझते रहे होंगे। सारी जातियों के बाद अंग्रेज आए। पहले आने वाली सारी जातियाँ यहीं रच-बस गईं। अंग्रेज चले गए, मगर जाते-जाते वे भी अपनी लुच्चई यहीं छोड़ गए। ताकि सनद रहे और वक्त पर काम आवे। सारी जातियों के दबे-पिसे लुच्चों को उन्होंने नई मंत्र-दीक्षा, नया स्वरूप और नया उत्साह प्रदान किया। उन्हें गए लगभग पचास वर्ष होने को आए मगर आज भी उनका प्रभाव यथावत है। सारे राजनैतिक दल, सभी राजनीतिज्ञ, सैद्धान्तिक और समाजशास्त्री माथे पर हाथ धरे बैठे हैं। सबके साथ कोई-न-कोई लुच्चा लटका है उनका प्रिय पालक-बालक बना हुआ। तुलसीदास ने कभी कहा था–
गगन चढ़ै रज पवन प्रसंगा। कीचहिं मिलै नीच जल संगा।।
धूम कुसंगति कारिख होई। लिखई पुरान मंजु मसि सोई॥
ऊपर जाने वाली हवा के साथ धूल आसमान पर जा चढ़ती है। वही नीचे की ओर बहने वाले जल के साथ मिलकर कीचड़ में बदल जाती है। जो धुआँ कुसंग में पड़कर कालिख हो जाता है, वही स्याही में बदलकर सुन्दर ग्रन्थों की रचना करता है….
…इसी पुस्तक से…
- Description
- Additional information
Description
Description
डॉ. लक्ष्मी पाण्डेय
डॉ. लक्ष्मी पाण्डेय, डी.लिट्., पूर्व सदस्य, हिन्दी सलाहकार समिति अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय, भारत सरकार।
जन्म : 10 मार्च 1968, धारना कलॉ, सिवनी, म.प्र.
शैक्षणिक योग्यता : बी.एससी., एम.ए. (हिन्दी), यू.जी.सी. स्लेट, (1999), पीएच.डी. (1996), डी.लिट्. (2009)। तीन अंतरराष्ट्रीय तथा एकाधिक प्रादेशिक सम्मान प्राप्त।
प्रकाशित ग्रंथ : ‘अपरिभाषित’, ‘उसकी अधूरी डायरी’ एवं ‘लॉकडाउन’। इन तीन उपन्यासों सहित 45 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित।
आलोचना पर केन्द्रित पुस्तकें : ‘अधुनातन काव्यशास्त्री आचार्य राममूर्ति त्रिपाठी’, ‘अर्थात्’, ‘आचार्य भगीरथ मिश्र’, ‘रस विमर्श’, ‘साहित्य विमर्श’, ‘निराला का साहित्य’ तथा ‘तात्पर्य’ आदि विशेष चर्चित। भाषा विज्ञान, भारतीय काव्यशास्त्र एवं आलोचना संबंधी लगभग बारह पुस्तकें देश के अनेक विश्वविद्यालयों में एम.ए. के परम्परागत एवं दूरस्थ शिक्षा पाठ्यक्रमों में सम्मिलित।
संपादन : साहित्य सरस्वती (त्रैमासिक पत्रिका) का सम्पादन। अनेक पत्रिकाओं का सह-संपादन। अनेक कहानियाँ विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित।
विदेश यात्राएँ : थाइलैंड, मलेशिया एवं नेपाल
सम्प्रति : अध्यापन, हिन्दी विभाग डॉ. हरीसिंह गौर केन्द्रीय विश्वविद्यालय, सागर (म. प्र.)
पता : श्रीसूर्यम, कुलपति निवास के सामने, कोर्ट रोड, 10-सिविल लाइन, सागर-470001 म.प्र.। मोबा. 7067920078
Additional information
Additional information
Weight | 750 g |
---|---|
Dimensions | 9.5 × 6.5 × 1 in |
Product Options / Binding Type |
Related Products
-
-20%Select options This product has multiple variants. The options may be chosen on the product pageQuick ViewFiction / कपोल -कल्पित, Hard Bound / सजिल्द, Stories / Kahani / कहानी
Shaligram kee Aanchalik Kahaniyan / शालिग्राम की आंचलिक कहानियाँ
₹350.00Original price was: ₹350.00.₹280.00Current price is: ₹280.00. -
-1%Select options This product has multiple variants. The options may be chosen on the product pageQuick View
-
Art and Culture / Kala avam Sanskriti / कला एवं संस्कृति, Criticism Aalochana / आलोचना, Hard Bound / सजिल्द, Top Selling, Tribal Literature / आदिवासी साहित्य
Aadivasi Sahitya आदिवासी साहित्य – Aadivasi Aalochana
₹500.00Original price was: ₹500.00.₹375.00Current price is: ₹375.00. -
SaleSelect options This product has multiple variants. The options may be chosen on the product pageQuick ViewArt and Culture / Kala avam Sanskriti / कला एवं संस्कृति, Fiction / कपोल -कल्पित, Hard Bound / सजिल्द, New Releases / नवीनतम, North East ka Sahitya / उत्तर पूर्व का सााहित्य, Novel / उपन्यास, Panchayat / Village Milieu / Gramin / पंचायत / ग्रामीण परिप्रेक्ष्य, Paperback / पेपरबैक, Top Selling, Translation (from Indian Languages) / भारतीय भाषाओं से अनुदित, Tribal Literature / आदिवासी साहित्य
Varsha Devi ka Gatha Geet वर्षा देवी का गाथागीत (असम की जनजातियों पर आधारित उपन्याय, मूल असमिया से हिन्दी में)
₹150.00 – ₹330.00