Sale

Samkalin Sahitya-Vimarsh ke Aayam / समकालीन साहित्य-विमर्श के आयाम

Original price was: ₹550.00.Current price is: ₹350.00.

FREE SHIPMENT FOR ORDER ABOVE Rs.149/- FREE BY REGD. BOOK POST

Language: Hindi
Pages: 148
Book Dimension: 6.25″ X 9.25″

Amazon : Buy Link

Flipkart : Buy Link

Kindle : Buy Link

NotNul : Buy Link

पुस्तक के बारे में

पढ़ना आसान कार्य है पर लिखना आयास का। पढ़नेवाले सब लिख नहीं सकते। वही लिखते हैं जो कुछ नया कहना चाहते हैं। जब तक नया कुछ कहना नहीं है, चुप रहना ही बेहतर है। कथा साहित्य खासकर उपन्यास साहित्य जीवन की समग्रता का साहित्य है। उसमें जीवन की विशालता एवं गहराई का अंकन संभव है। साहित्य की किसी भी दीगर विधाओं में वैसी क्षमता नहीं। कहानी जीवन के किसी-न-किसी छोटे सन्दर्भ या अमूल्य क्षण की अभिव्यक्ति है। जैसे प्रेमचन्द जी ने सूचित किया कि कहानी पन्द्रह मिनिट में समाप्त होनेवाली होनी चाहिए। उसके लंबे हो जाने के साथ उसकी सघनता नष्ट हो जाती है और पाठकीय संवेदना को उजागर करने की क्षमता भी शिथिल हो जाती है। पर उपन्यास में वह क्षमता उसके विशाल कलेवर के बावजूद बनी रहती है। पाठकों के अन्तःकरण को विमलीकृत करने की क्षमता जितनी उपन्यास में है उतनी शायद ही किसी अन्य विधा में हो। इसलिए उपन्यास अपने जन्म से लेकर अब भी सबसे शक्तिशाली साहित्यिक विधा के रूप में सक्रिय रहता है। समकालीन जीवन-यथार्थ के अंधकार की सही पहचान उपन्यासों में ही अनावृत हुई है। इसलिए नए युग के सभी विमर्शों का दस्तावेज़ बनकर उपन्यास वर्तमान रहता है।

अनुक्रम

अपनी ओर से …
आशीर्वाद
1. समकालीन हिन्दी कहानियों में आदिवासी-अस्मिता
2. ‘मौन घाटी’ और ‘लौटते हुए’ में आदिवासी जीवन-यथार्थ
3. लाल लकीर : बस्तर आदिवासियों की कसैली ज़मीनी हक़ीक़त
4. ‘कोच्चरेत्ती’ मलयालम का पहला आदिवासी उपन्यास : एक अन्तरंग पहचान
5. ट्रांसजेंडर जीवन की दस्तावेज़ी कहानियाँ
6. ज़िन्दगी की सरहदों से जूझते ट्रांसजेंडर
7. मलयालम कहानी और ट्रांसजेंडर विमर्श
8. पूर्णता की पहचान है ‘ज़िन्दगी 50-50’
9. समकालीन हिन्दी कहानियों में पारिस्थितिकी
10. पहाड़ चोर : एक पारिस्थितिक पाठ
11. समकालीन दलित कहानियों में प्रतिरोध
12. किसानी जीवन की त्रासदी : समकालीन हिन्दी कहानियों में
13. साम्प्रदायिकता के खिलाफ़ प्रतिरोध ज़ाहिर करती कहानियाँ
14. ब्रिटेन की धरती से रूबरू : उषा राजे सक्सेना की कहानियाँ
15. आतंकवाद की गिरफ़्त में दम घुटती स्त्री : शिगाफ़

SKU: 978-93-91034-13-9

Description

डॉ. विजी. वी

जन्म : 17 जनवरी 1984, एरणाकुलम जिला , केरल।
शिक्षा : एम.ए (हिन्दी) पी.जी. डिप्लोमा इन ट्रांसलेशन एण्ड फंक्शनल हिन्दी, एम.फिल. (हिन्दी) पीएच.डी. (हिन्दी), नेट।
प्रकाशन : राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में अनेक लेख प्रकाशित।
सम्प्रति : सहायक आचार्या (संविदा), हिन्दी विभाग, कोच्चिन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कोच्ची, केरल।
स्थायी पता : रोहिणी हाउस, कोट्टप्पुरम, आलंगाड् पी.ओ., आलुवा, एरणाकुलम जिला, केरल- 683511
मोबाइल : 9947531488
ई- मेल : vjiviswambharan@gmail.com

Additional information

Product Options / Binding Type

Related Products