







Samay-Rath ke Ghode (Novels) <br> समय-रथ के घोड़े (उपन्यास)
₹215.00 – ₹325.00
FREE SHIPMENT FOR ORDER ABOVE Rs.149/- FREE BY REGD. BOOK POST
Amazon : Buy Link
Flipkart : Buy Link
Kindle : Buy Link
NotNul : Buy Link
Author(s) — Rajendera Lehariya
लेखक — राजेन्द्र लहरिया
| ANUUGYA BOOKS | HINDI| 156 Pages |
Choose Paper Back or Hard Bound from the Binding type to place order
अपनी पसंद पेपर बैक या हार्ड बाउंड चुनने के लिये नीचे दिये Binding type से चुने
- Description
- Additional information
Description
Description
पुस्तक के बारे में
अकेला तो मैं अरसे से रहा आया था, पर उस दिन का मेरा अकेलापन कुछ ज़्यादा ही गाढ़ा था–किसी गाढ़े अँधेरे की तरह! धीरे-धीरे गाढ़े अकेलेपन से भरा वह दिन बीता और रात उतर आई। पर मुझे कोई फ़र्क नज़र नहीं आ रहा था। क्योंकि मेरे सामने जो अँधेरा था, वह रात का नहीं मेरे भीतर का था! और उस अँधेरे के ही चलते मुझे लग रहा था गोया मेरे भीतर एक आरी चल रही है–मेरी आत्मा और देह को अपने दाँतदार पैनेपन से लगातार काटती हुई, चीरती हुई!
देर रात गए, अपने भीतर की ऐसी दु:सह स्थिति से निजात के लिए मैं कमरे की बत्ती बन्द कर बिस्तर पर लेट गया–सो जाने के लिए। पर बिस्तर पर लगातार बेनींद ही बना रहा। कमरे के अँधेरे के बावजूद मेरी आँखों में नींद ही नहीं आ रही थी। दरअसल कमरे के अँधेरे से ज़्यादा गहरा और काला मेरे भीतर का वह अँधेरा था, जिसमें नीले-बैंगनी-लाल और पारदर्शी रंग घुले-मिले हुए थे…
…इसी पुस्तक से…
…हुआ यह था कि हम सबकी दुनिया के सामने एक दौर ऐसा आया, जिसमें समय ने सबसे पहले अपने रथ के पहिये बदले, उसके बाद घोड़े। रथ के पुराने पहिये चपटे और भोथरे थे; पर अब नये पहिये थे धारदार और पैने। यों समय के रथ के पुराने घोड़ों में कोई विशेष कमी नहीं थी–उनकी गति तेज़ थी और वे हृष्ट-पुष्ट भी थे; पर उनमें एक ख़ामी यह थी कि वे रथ के रास्ते में आ गए किसी मनुष्य को देखकर ठिठक जाते थे और उसे रथ के पहियों के नीचे आने से बचा लेते थे। बस, इसी कारण समय ने उन्हें रिटायर करके उनकी जगह ऐसे घोड़े हासिल किए जिनके खुर भाले की तरह पैने थे और जिनकी गति ऐसी थी कि जिसके सामने बिजली की गति भी मन्द लगती थी–उनकी गति तो इतनी तेज़ थी कि उँगली की एक छुअन-भर से वे दुनिया के एक कोने से दूसरे कोने में जा पहुँचते थे। इसके साथ ही उनमें पुराने घोड़ोंवाली वह ‘मानवीय ख़ामी’ भी नहीं थी कि वे रथ के रास्ते में आ गए किसी मनुष्य को देखकर ठिठकते या झिझकते। इसके उलट वे तो अपनी गति में इस कदर जुनूनी थे कि रथ के सामने आ गए किसी मनुष्य को अपने पैने खुरों और रथ के धारदार पहियों के नीचे रौंदे-कुचले जाने के .ख्याल तक को अपने आस-पास फटकने नहीं देते थे।
…इसी पुस्तक से…
Additional information
Additional information
Weight | N/A |
---|---|
Dimensions | N/A |
Product Options / Binding Type |
Related Products
-
Art and Culture / Kala avam Sanskriti / कला एवं संस्कृति, Fiction / कपोल -कल्पित, Novel / उपन्यास, Paperback / पेपरबैक, Sampradayikta / Sociology / सांप्रदायिकता / समाजशास्त्र (Communalism), Top Selling, Women Discourse / Stri Vimarsh / स्त्री विमर्श
Ek Sawal – Teen Talak (Novels) एक सवाल – तीन तलाक (उपन्यास)
₹300.00Original price was: ₹300.00.₹270.00Current price is: ₹270.00. -
-3%Select options This product has multiple variants. The options may be chosen on the product pageQuick ViewFiction / कपोल -कल्पित, Hard Bound / सजिल्द, Jharkhand / झारखण्ड, Novel / उपन्यास, Paperback / पेपरबैक, Play / Natak - Rangmanch / नाटक - रंगमंच, Stories / Kahani / कहानी, Tribal Literature / आदिवासी साहित्य
Aadivasi Jeewan-Jagat ki Baraha Kahaniyan, Ek Natak
₹175.00 – ₹300.00
आदिवासी जीवन-जगत की बारह कहानियाँ, एक नाटक -
-6%Select options This product has multiple variants. The options may be chosen on the product pageQuick ViewFiction / कपोल -कल्पित, Hard Bound / सजिल्द, Jharkhand / झारखण्ड, Novel / उपन्यास, Panchayat / Village Milieu / Gramin / पंचायत / ग्रामीण परिप्रेक्ष्य, Paperback / पेपरबैक, Top Selling, Tribal Literature / आदिवासी साहित्य
Red Zone (A novel based on the background of Tribal & Naxalism) / रेड जोन (आदिवासी एवं नकस्लवाद की पृष्ठभूमि पर आधारित उपन्यास)
₹375.00 – ₹450.00