- Please choose product options by visiting Meri Kalam Mera Safar (Abhay ka Samagra Sanchayan) / मेरी कलम मेरा सफर (अभय का समग्र संचयन).








Prem ke Paath / प्रेम के पाठ (कहानी संग्रह)
₹199.00 – ₹350.00
FREE SHIPMENT FOR ORDER ABOVE Rs.149/- FREE BY REGD. BOOK POST
Read eBook in Mobile APP
आजकल लिखी जा रही प्रेम कहानियों में वह प्रेम कहाँ है, जो हम अपने परिवार के लोगों से, सगे-संबंधियों से, पड़ोसियों से, मित्रों से, सहकर्मियों से, देशवासियों से और मनुष्य होने के नाते दुनिया भर के मनुष्यों से करते हैं? उनमें वह प्रेम भी कहाँ है, जो हम मानवेतर प्राणियों से, प्राकृतिक तथा मानव-निर्मित सुंदर वस्तुओं से, साहित्यिक और कलात्मक कृतियों से, मानव-जीवन को बेहतर बनाने के लिए किये जाने वाले कार्यों से तथा उन कार्यों को करने वाले लोगों से करते हैं? उनमें तो वह प्रेम भी नजर नहीं आता, जो हम स्वयं से, अपने जीवन से और एक मानवीय जीवन जीने के लिए किये जाने वाले अपने कार्यों से करते हैं, जिनमें प्रेम करने, विवाह करने, परिवार चलाने, बच्चे पैदा करने और उन्हें अच्छी तरह पाल-पोस तथा पढ़ा-लिखाकर अच्छा इंसान बनाने जैसे बहुत-से कार्य शामिल हैं।
आजकल की बहुत-सी प्रेम कहानियों में प्रेम को केवल ‘‘दो व्यक्तियों का निजी मामला’’ और वह भी केवल यौन संबंधों तक सीमित मामला बना दिया जाता है, मानो उन व्यक्तियों का अपने जीवन के आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक यथार्थ से कोई लेना-देना न हो और वे ऐतिहासिक रूप से विकसित मानवीय व्यक्तित्व न होकर केवल आहार, निद्रा, भय और मैथुन में लिप्त पशु हों!
प्रेम कहानी केवल प्रेम की कहानी नहीं होती। वह संपूर्ण जीवन और जगत की कहानी होती है। वह जीवन और जगत को प्रेममय बनाकर बेहतर और सुंदर बनाने के उद्देश्य से लिखी जाने वाली कहानी होती है। अतः समाज की वर्तमान व्यवस्था की आलोचना तथा उसकी जगह किसी बेहतर समाज व्यवस्था की माँग प्रेम कहानी अनिवार्यतः करती है। जो कहानी ऐसा नहीं करती, वह वर्तमान व्यवस्था या यथास्थिति को बनाये रखने का काम करती है और वह वास्तव में प्रेम कहानी न होकर शासक वर्ग के मूल्यों का प्रचार करने वाली कहानी होती है। विश्व साहित्य की महान प्रेम कहानियाँ अथवा सभी देशों में सदियों से लोक में प्रचलित प्रेम कहानियाँ अपने समय की समाज व्यवस्था से टकराने वाली कहानियाँ हैं। उनमें से ज्यादातर प्रेम पर लगे सामाजिक प्रतिबंधों की कहानियाँ हैं, जिनके नायक-नायिका भले ही उन प्रतिबंधों को न तोड़ पायें, भले ही उनका अंत निराशा या मृत्यु में होता हो, लेकिन उनकी कहानी अपने समय की समाज व्यवस्था की आलोचना तथा उसके बदले जाने की माँग करने वाली कहानी होती है।
– रमेश उपाध्याय
* * *
प्रेम साहित्य का शाश्वत विषय है, लेकिन समय और साहित्य के बदलने के साथ-साथ प्रेम की अवधारणा भी बदलती रही है और स्वयं साहित्यकारों ने समय-समय पर उसे नये ढंग से परिभाषित किया है। उदाहरण के लिए, हमारे साहित्य में कबीर ने प्रेम को अनेक बार तथा अनेक प्रकार से समझने-समझाने का प्रयास किया। लेकिन क्या उनके बाद के साहित्यकारों ने अपने-अपने समय के अनुसार प्रेम को समझने-समझाने के प्रयास नहीं किये? क्या आज कबीर को पढ़ते समय हमारा ध्यान अपने आज के समय के प्रेम पर नहीं जाता? एक जगह कबीर ने कहा है–“प्रेम न खेतों नींपजै, प्रेम न हाट बिकाय।” लेकिन आज हम देखते हैं कि साहित्य में प्रेम की खेती बहुत बड़े पैमाने पर की जा रही है और मीडिया तथा मनोरंजन उद्योग के एक उत्पाद के रूप में प्रेम दुनिया भर के बाजारों में बिक रहा है। क्या प्रेम के इस नये रूप को समझना, परिभाषित करना और नाम देना जरूरी नहीं है?
आजकल लिखी जा रही प्रेम कहानियों में वह प्रेम कहाँ है, जो हम अपने परिवार के लोगों से, सगे-सम्बन्धियों से, पड़ोसियों से, मित्रों से, सहकर्मियों से, देशवासियों से और मनुष्य होने के नाते दुनिया भर के मनुष्यों से करते हैं? उनमें वह प्रेम भी कहाँ है, जो हम मानवेतर प्राणियों से, प्राकृतिक तथा मानव-निर्मित सुन्दर वस्तुओं से, साहित्यिक और कलात्मक कृतियों से, मानव-जीवन को बेहतर बनाने के लिए किये जाने वाले कार्यों से तथा उन कार्यों को करने वाले लोगों से करते हैं? उनमें तो वह प्रेम भी नजर नहीं आता, जो हम स्वयं से, अपने जीवन से और एक मानवीय जीवन जीने के लिए किये जाने वाले अपने कार्यों से करते हैं, जिनमें प्रेम करने, विवाह करने, परिवार चलाने, बच्चे पैदा करने और उन्हें अच्छी तरह पाल-पोस तथा पढ़ा-लिखाकर अच्छा इंसान बनाने जैसे बहुत-से कार्य शामिल हैं। आजकल की बहुत-सी प्रेम कहानियों में प्रेम को केवल “दो व्यक्तियों का निजी मामला” और वह भी केवल यौन सम्बन्धों तक सीमित मामला बना दिया जाता है, मानो उन व्यक्तियों का अपने जीवन के आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक यथार्थ से कोई लेना-देना न हो और वे ऐतिहासिक रूप से विकसित मानवीय व्यक्तित्व न होकर केवल आहार, निद्रा, भय और मैथुन में लिप्त पशु हों!
प्रेम कहानी केवल प्रेम की कहानी नहीं होती। वह सम्पूर्ण जीवन और जगत की कहानी होती है। वह जीवन और जगत को प्रेममय बनाकर बेहतर और सुन्दर बनाने के उद्देश्य से लिखी जाने वाली कहानी होती है। अतः समाज की वर्तमान व्यवस्था की आलोचना तथा उसकी जगह किसी बेहतर समाज व्यवस्था की माँग प्रेम कहानी अनिवार्यतः करती है। जो कहानी ऐसा नहीं करती, वह वर्तमान व्यवस्था या यथास्थिति को बनाये रखने का काम करती है और वह वास्तव में प्रेम कहानी न होकर शासक वर्ग के मूल्यों का प्रचार करने वाली कहानी होती है। विश्व साहित्य की महान प्रेम कहानियाँ अथवा सभी देशों में सदियों से लोक में प्रचलित प्रेम कहानियाँ अपने समय की समाज व्यवस्था से टकराने वाली कहानियाँ हैं। उनमें से ज्यादातर प्रेम पर लगे सामाजिक प्रतिबंधों की कहानियाँ हैं, जिनके नायक-नायिका भले ही उन प्रतिबंधों को न तोड़ पायें, भले ही उनका अंत निराशा या मृत्यु में होता हो, लेकिन उनकी कहानी अपने समय की समाज व्यवस्था की आलोचना तथा उसके बदले जाने की माँग करने वाली कहानी होती है।
– इसी संग्रह से
- Description
- Additional information
Description
Description
रमेश उपाध्याय
कहानी, उपन्यास, नाटक, निबंध, आलोचना, रिपोर्ताज, साक्षात्कार आदि विभिन्न विधाओं में निरंतर अपने समय और समाज के यथार्थ को नये ढंग से देखने और रचने के साथ-साथ आलोचना में नित नये प्रश्न उठाने तथा उनके उत्तरों को सृजनशील ढंग से खोजने वाले रचनाकार एवं आलोचक। उच्च शिक्षा और साहित्यिक पत्रकारिता में कार्यरत रहते हुए साहित्यिक और सांस्कृतिक आंदोलनों में सतत सक्रिय।
बीस कहानी संग्रह, पाँच उपन्यास, तीन नाटक, कई नुक्कड़ नाटक, चार आलोचनात्मक पुस्तकें प्रकाशित। नाटकों और नुक्कड़ नाटकों के हिंदी के अतिरिक्त कई भाषाओं में अनेक मंचन और आकाशवाणी तथा दूरदर्शन से प्रसारण। ‘सफाइयाँ’ और ‘लाइ लो’ कहानियों पर इन्हीं नामों से टेलीफिल्में बनी हैं। कई रचनाएँ भारतीय तथा विदेशी भाषाओं में अनूदित होकर प्रकाशित। अनेक सम्मान और पुरस्कार।
Additional information
Additional information
Product Options / Binding Type |
---|
Related Products
-
-41%Select options This product has multiple variants. The options may be chosen on the product pageQuick ViewFiction / कपोल -कल्पित, Hard Bound / सजिल्द, Stories / Kahani / कहानी
Maai ka Lal (Selected Short Stories) / माई का लाल (कहानी संग्रह)
₹550.00Original price was: ₹550.00.₹325.00Current price is: ₹325.00. -
Fiction / कपोल -कल्पित, Hard Bound / सजिल्द, Stories / Kahani / कहानी, Women Discourse / Stri Vimarsh / स्त्री विमर्श
Ujalon ke Rang (Collection of Stories)उजालों के रंग (कहानी संग्रह)
₹300.00Original price was: ₹300.00.₹255.00Current price is: ₹255.00.