







Lekhakiya Dayitva : Ramesh Chandra Shah ka Katha Sahiyta / लेखकीय दायित्व : रमेशचंद्र शाह का कथा-साहित्य
₹750.00 Original price was: ₹750.00.₹425.00Current price is: ₹425.00.
FREE SHIPMENT FOR ORDER ABOVE Rs.149/- FREE BY REGD. BOOK POST
Read eBook in Mobile APP
पुस्तक के बारे में
व्यक्ति वह भी विश्ष्टि चेतना सम्पन्न सनातन जैसा व्यक्ति जब अपनी निरपेक्ष निस्पृहता के साथ जीवन और जगत को देखे तो ‘विमर्श’ अपने सीमित अर्थाभास को लाँघ विस्तृत फलक तक जाता है तथा पाठक की उस आंतरिकता को छेड़ता है जिसकी झनकार देर तक बनी रहकर तृप्ति-अतृप्ति के बीच में छोड़ देती है। किन्तु यह अबूझ अवस्था नहीं है। यह अवस्था पाठक के ज्ञान और बोध दोनों तंतुओं का स्पर्श करती है। मिलटन का ‘पैरेडाईज लॉस्ट’ जो रेखांकित करता है ‘मैंज फर्स्ट डिसओबीडियेंस…।’ यह डिसओबीडियेंस अश्रद्धामूलक नहीं है पर यह चुनौती है किसी की भी सत्ता को अबाध सत्ता को। सबसे अबाध सत्ता है ईश्वर की। उस ईश्वर की, जिसके संबंध में यह प्रश्न है कि कौन किसकी रचना है। ईश्वर ने मनुष्य सृष्टी की या मनुष्य ने ईश्वर को रचा? अगर ईश्वर ने मनुष्य की सृष्टि की तब तो सारे तर्कों का जाल श्रद्धा काट ही लेगी, सारी आध्यात्मिक बहसें सार्थक जान पडेंगी। किंतु ईश्वर यदि मनुष्य की रचना है तो फिर उसकी अबाध सत्ता को चुनौती वस्तुतः मनुष्य की सबसे मूलबद्ध अवधारणा को ही चुनौती है। रमेशचन्द्र शाह ‘कथा सनातन’ में इन दोनों प्रश्नों से जूझते हैं।
—प्रो. रूपा गुप्ता, वर्धमान विश्वविद्यालय, प. बंगाल
लेखकीय दायित्व-चेतना की परिधि में व्यक्ति, समाज, राष्ट्र ही नहीं अपितु सम्पूर्ण सृष्टि समाहित है और यह सम्बन्ध इतना घनिष्ठ होता है कि लेखक की दृष्टि के समक्ष सब कुछ पारदर्शी हो जाता है। ”…पहली बार मुझे इलहाम जैसा हुआ कि हर आदमी की यह सबसे गहरी चाहत होती होगी कि कोई उसे सचमुच पूरा-पूरा समझे और न्याय करे। ऐसा न्याय, जो और कोई नहीं कर सकता। सिर्फ लेखक नाम का प्राणी कर सकता है!…लेखक, जो भगवान् की तरह लम्बा इन्तजार भी नहीं कराता। इसी जनम में, इसी शरीर और मन में निवास करने वाली जीवात्मा का एक्स-रे निकाल के रख सकता है।” व्यक्ति के अन्त:करण को छानकर जिन अनुभूतियों को रमेशचन्द्र शाह शब्दबद्ध करते हैं वे व्यक्ति के स्तर से ऊपर उठकर सम्पूर्ण मानवीय अस्तित्व से जुड़ जाती हैं। अर्थात् व्यक्ति-चेतना केवल समाज या राष्ट्र तक सीमित नहीं रहती, वह वैश्विक स्तर पर सक्रिय चेतना बन जाती है। ”भारतीयता की समूची लोकधर्मी और आलोकधर्मी परम्परा का वरण करके वे किसी छद्म या सीमित राष्ट्रीयता का बाना नहीं पहनते बल्कि अपने राष्ट्रीय पक्ष को अधिक मानवीय और अधिक वैश्विक बनाते हैं।” रमेश दवे के उपर्युक्त कथन से स्पष्ट हो जाता है कि शाह के समग्र कथा-साहित्य में लेखकीय-दायित्व-चेतना के विभिन्न स्तर, भिन्न-भिन्न अनुपातों में ध्वनित होते हैं। इस पुस्तक में पाँच अध्यायों के अन्तर्गत शाह के कथा-साहित्य में लेखकीय दायित्व-चेतना तथा दायित्व-चेतना के विभिन्न स्तरों पर दायित्व को यथासम्भव समझने का प्रयास किया गया है। इस पुस्तक के द्वारा रमेशचन्द्र शाह के सम्पूर्ण कथा-साहित्य में लेखकीय दायित्व के विश्लेषण का प्रयास किया गया है। शाह जी दायित्व-चेतना-सम्पन्न कथाकार हैं। किसी कथाकार की इतनी लम्बी साहित्य-यात्रा में उसकी दायित्व सम्पन्न भावभूमि, उसकी लोकप्रियता में कभी-कभी बाधक होती है किन्तु सौभाग्यवश रमेशचन्द्र शाह के साथ यह घटित नहीं हुआ। उनका कथा-साहित्य जितना लोकप्रिय है, उतना ही अपने सामाजिक दायित्व के निर्वहन में सफल भी है।
इसी पुस्तक से….
अनुक्रम
- भूमिका
- रमेशचन्द्र शाह का व्यक्तित्व और कृतित्व
- हिन्दी कथा-साहित्य में लेखकीय दायित्व चेतना
- रमेशचन्द्र शाह के उपन्यासों में लेखकीय दायित्व-चेतना
- रमेशचन्द्र शाह की कहानियाँ और दायित्व-चेतना
- रमेशचन्द्र शाह के कथा-साहित्य का शिल्प-विधान
निष्कर्ष
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
- Description
- Additional information
Description
Description
डॉ. सरिता राय
जन्म – 4 मार्च, 1985
शिक्षा – बनवारीलाल भालोटिया कॉलेज, आसनसोल से स्नातक, वर्धमान विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर और डॉ. रूपा गुप्ता के निर्देशन में पीएच.डी.।
व्यवसाय – वर्धमान के उच्चविद्यालय में 2010 से अध्यापन
पता – दोमोहानी रोड़, बाईपास कल्ला मोड़, आसनसोल, पो. कल्ला केन्द्रिय अस्पताल, जिला – पश्चिम वर्धमान-713340, पश्चिम बंगाल
मो. – 9749556046
Additional information
Additional information
Product Options / Binding Type |
---|
Related Products
-
-20%Select options This product has multiple variants. The options may be chosen on the product pageQuick ViewArt and Culture / Kala avam Sanskriti / कला एवं संस्कृति, Biography / Jiwani / जीवनी, Criticism Aalochana / आलोचना, Hard Bound / सजिल्द, Paperback / पेपरबैक, Renaissance / Navjagran / Rashtravad / नवजागरण / राष्ट्रवाद
Rashtriyata sai Antarrashtriyata
₹400.00 – ₹700.00
राष्ट्रीयता से अन्तर्राष्ट्रीयता -
Criticism Aalochana / आलोचना, Linguistics / Grammer / Dictionary / भाषा / व्याकरण / शब्दकोश, Paperback / पेपरबैक, Renaissance / Navjagran / Rashtravad / नवजागरण / राष्ट्रवाद, Top Selling
Rashtriyat ki Avdharna aur Bhartendu Yugin Sahityaराष्ट्रीयता की अवधारणा और भारतेंदु युगीन साहित्य
₹225.00Original price was: ₹225.00.₹200.00Current price is: ₹200.00. -
-13%Select options This product has multiple variants. The options may be chosen on the product pageQuick View