







Hindi Sahitya me Aadivasi Hastekshep ,br> हिन्दी साहित्य में आदिवासी हस्तक्षेप
₹200.00 – ₹250.00
FREE SHIPMENT FOR ORDER ABOVE Rs.149/- FREE BY REGD. BOOK POST
Amazon : Buy Link
Flipkart : Buy Link
Kindle : Buy Link
NotNul : Buy Link
Author(s) — Gautam Bhaidass Kunwar
लेखक — गौतम भाईदास कुँवर
| ANUUGYA BOOKS | HINDI| 144 Pages |5.5 x 8.5 Inches |
| also available in PAPER BOUND & HARD BOUND | 2019 |
- Description
- Additional information
Description
Description
लेखक के बारे में
गौतम भाईदास कुँवर द्य जन्मभूमि : 1974, ग्रा. कौठल, जि. नंदुरबार (महाराष्ट्र) द्य शिक्षा : एम.ए., पीएच.डी. द्य प्रकाशित ग्रन्थ : 1. आदिवासी लोक-साहित्य 2. आधुनिक हिन्दी साहित्य के विविध विमर्श 3. हिंदी दलित साहित्य की दस्तक 4. छात्रों शूर और धैर्यशील बनो द्य प्रकाशनाधीन ग्रन्थ : 1. स्वातन्त्र्योत्तर हिन्दी साहित्य में दलित-चेतना 2. स्वातन्त्र्योत्तर हिन्दी साहित्य में आदिवासी चेतना 3. आदिवासी लोकगीतों में लोक-संस्कृति द्य अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी पत्रिकाओं में अनेक शोध-निबन्ध प्रकाशित द्य राष्ट्रीय हिन्दी पत्रिकाओं में अनेक शोध-निबन्ध प्रकाशित द्य विभिन्न दैनिक समाचार-पत्रों में वैचारिक एवं प्रासंगिक लेख प्रकाशित द्य विशेष उपलब्धि : 1. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नयी दिल्ली द्वारा लघुशोध प्रकल्प 2. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नयी दिल्ली द्वारा पोस्ट डॉक्टरल फेलोशिप द्य अनेक अन्तरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय, राज्यस्तरीय, विश्वविद्यालय स्तरीय संगोष्ठियों में शोध-निबन्धों द्य स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम कार्यशाला में सक्रिय सहभाग/चर्चा द्य उत्तर महाराष्ट्र हिन्दी प्राध्यापक परिषद, जलगाँव सन् 2016 से 2019 तक उप-अध्यक्ष पद पर अविरोध चयन सिनेट सदस्य–उत्तर महाराष्ट्र विश्वविद्यालय, जलगाँव द्य सम्प्रति : हिन्दी विभाग प्रमुख–स्नातक एवं स्नातकोत्तर विभाग पू.सा.गु.वि.प्र. मण्डल का कला, विज्ञान, वाणिज्य महाविद्यालय, शहादा जि. नंदुरबार (महाराष्ट्र) द्य सम्पर्क : 13 बालाजी नगर डोगरगाँव रोड, शहादा जि. नंदुरबार (महाराष्ट्र) द्य भ्रमरध्वनि : 94233 44818, 84118 28448।
पुस्तक के बारे में
हिन्दी साहित्य में आदिवासी साहित्य का उद्भव इस बिन्दु पर बात करें तो यह पता चलता है कि प्रेमचन्द्र, फणीश्वर नाथ रेणु जैसे साहित्यकारों ने आदिवासी जीवन का कहीं-कहीं चित्रण अपनी रचनाओं में किया है। बाद में गैर-आदिवासी साहित्यकारों में संजीव, रमणिका गुप्ता, राजेन्द्र अवस्थी, मनमोहन पाठक, भगवान दास मोरवाल, रणेन्द्र, महाश्वेता देवी आदि अनेक साहित्यकारों ने आदिवासी साहित्य का सृजन किया। उनमें उपन्यास, कहानी, कविता आदि विधाएँ हमें नजर आती हैं।
परन्तु आदिवासी स्वयं साहित्य का सृजन करने लगे। अपनी पीड़ा, व्यथा एवं निज संस्कृति को रेखांकित करने लगे हैं। इन साहित्यकारों में महादेव टोप्पो, वन्दना टेटे, वाल्टर मेंगरा तरुण, हरिराम मीणा, रोज केरकट्टा, निर्मला पुतुल, पीटर पॉल एक्का आदि काफी लोकप्रिय और उल्लेखनीय हैं। परन्तु इन साहित्यकारों में भी कुछ साहित्यकार धर्मान्तरित ख्रिश्चन होने के कारण उनके साहित्य पर ख्रिश्ती सिद्धान्तों का प्रभाव नजर आता है। आदिवासी साहित्यकारों में कुछ मार्क्सवाद से प्रभावित हैं तो कुछ अम्बेडकरवाद से, कुछ गाँधीवाद से। अत: ख्रिश्ती सिद्धान्तों के अनुसार, मार्क्स, अम्बेडकरी, गाँधीवादी विचारधारा के अनुरूप में आदिवासी साहित्य लेखन हो रहा है, जो काफी दिशा-दर्शक नहीं लगता। अत: आदिवासी साहित्य का लेखन करते समय आदिवासी साहित्य की अवधारणा एवं दर्शन को केन्द्र बिन्दु मानकर लेखन करना चाहिए। आदिवासी दर्शन और अवधारणा को समझे बिना आदिवासी साहित्य का सृजन सम्भव नहीं है। आरम्भ में विनायक तुमराम जैसे साहित्यकारों से जो साहित्य लेखन के प्रयास किए गए हैं वे बहुत दिशा-दर्शक रहे हैं। अत: उसी परम्परा में आदिवासियों का साहित्य-सृजन होना आवश्यक है। विचार किया जाए तो मार्क्स और आदिवासी, गाँधी और आदिवासी, ख्रिस्ती सिद्धान्त और आदिवासी इनका सम्बन्ध कैसा है, यह सब जानते हैं। हम आदिवासी और अम्बेडकरी विचारधारा इन दोनों का सम्बन्ध कुछ हद तक जोड़ सकते हैं।
आदिवासियों द्वारा लिखे जा रहे साहित्य के बारे प्रायः कहा जाता है कि यह जल, जंगल, जमीन और विकास सम्बन्धी सवालों से उपजे गुस्से एवं प्रतिरोध को व्यक्त करती रचनाएँ हैं। लेकिन, हाल में प्रकाशित आदिवासी जीवन से सम्बन्धित रचनाओं को देखने से साबित होता है कि आदिवासी साहित्य मात्र जल, जंगल, जमीन तक सीमित न होकर इससे भी आगे बढ़ गया है। अब इन रचनाओं के उठे सवालों ने जल, जंगल, जमीन, विकास के अलावा जन, विकास, जमीर, जबान, जम्हूरियत के सवालों, मुद्दों, समस्याओं को कुछ और सूक्ष्मता व गहराई से व्यापक सन्दर्भों से जोड़कर इसे इतना संवेदनशील, गंभीर और वैश्विक बना दिया है कि अब इसकी उपेक्षा करना कठिन हो गया है। यही कारण है कि कल तक जिस समस्या या मुद्दा को आदिवासी कहकर या पर्यावरणीय मुद्दा कहकर टाला जा रहा था और उपेक्षा की जा रही थी, अब ज्यादा प्रासंगिक होकर सशक्त और प्रभावी ढंग से उभरता दृष्टिगोचार हो रहा है। संभवतः, आदिवासी रचनाओं में संपूर्ण दुनिया व मानव हित में उभरते सवालों, मुद्दों, समस्याओं ने सभ्य समाज के रचनाकारों को भी बाध्य और सजग कर दिया है कि वे आदिवासी रचनाकारों द्वारा उठाए गए सवालों को मात्र आदिवासी प्रश्न या मुद्दा न मानें. बल्कि, मुनाफाखोर मानसिकता व गतिविधियों द्वारा प्रदूषण व विनाश के रास्ते में धकेली जाती पृथ्वी व प्रकृति को बचाने के लिए आदिवासी रचनाओं के माध्यम से उठाए प्रश्नों का उत्तर व्यापक मानवीय सरोकारों में खोजें. ऐसे में जरूरी है कि आदिवासी साहित्य के नाम पर जो कुछ लिखा जा रहा है उसकी भी जाँच-पड़ताल, समीक्षा, आलोचना व चर्चा की जाए। साथ ही, आदिवासी जीवन-दर्शन को भी समझा जाए। इससे सम्बंधित जो भी जानकारी, विवरण आदि उपलब्ध हैं उसकी चर्चा की जाय और विद्वानों, पाठकों के समक्ष लाया जाए। इस दृष्टि से देखें तो आदिवासी साहित्य से सम्बन्धित विविधतापूर्ण जानकारी, अवलोकन व विवरण “हिन्दी साहित्य में आदिवासी हस्तक्षेप” पुस्तक में संकलित डॉ. गौतम के कुल सोलह आलेख बहुत ही महत्वपूर्ण हैं।
अनुक्रम
आदिवासी साहित्य के तरकश में कुछ और तीर – महादेव टोप्पो
भूमिका
1. आदिवासी : अर्थ, परिभाषा, व्याप्ति एवं स्वरूप
2. आदिवासी समाज का सामान्य परिचय
3. हिन्दी आदिवासी साहित्य की विकास-यात्रा
4. ‘आदिवासी साहित्य : चिन्तन की दिशाएँ’ एवं मानदंड
5. ‘आदिवासी साहित्य-स्वरूप, विशेषताएँ तथा प्रेरणाएँ’
6. आदिवासी साहित्य का सौन्दर्यबोध
7. ग्लोबल गाँव के देवता : समीक्षा
8. डीडगर इपिल (हिम्मतवाली इपिल) मुंडारी नाटक : समीक्षा
9. ‘जंगल पहाड़ के पाठ’: समीक्षा
10. ‘पहाड़ पर हूल फुल’ काव्य में आदिवासी चेतना
11. अन्यायी सत्तापक्ष को चुनौती देती हुई हिन्दी आदिवासी कविता
12. ‘पहाड़ हिलने लगा है’ कविता-संग्रह में आदिवासी चेतना
(‘गोधड़’ मराठी काव्य-संग्रह के सन्दर्भ में)
13. काव्यानुवाद–पहाड़ हिलने लगा है
14. ‘बिरुवार गमछा तथा अन्य कहानियाँ’ कहानी-संग्रह मेंं
आदिवासी दर्शन
15. आदिवासियों को आध्यात्मिक दलदल में फँसाने वाला
खंडकाव्य ‘शबरी’
16. आदिवासी संघर्ष की गाथा : धरती आबा
Additional information
Additional information
Weight | N/A |
---|---|
Dimensions | N/A |
Product Options / Binding Type |
Related Products
-
-38%Select options This product has multiple variants. The options may be chosen on the product pageQuick ViewCriticism Aalochana / आलोचना, Fiction / कपोल -कल्पित, Hard Bound / सजिल्द, Top Selling
Samkaleen Vimarshvadi Upanyas / समकालीन विमर्शवादी उपन्यास
₹600.00Original price was: ₹600.00.₹375.00Current price is: ₹375.00. -
-3%Select options This product has multiple variants. The options may be chosen on the product pageQuick View
-
-20%Select options This product has multiple variants. The options may be chosen on the product pageQuick ViewArt and Culture / Kala avam Sanskriti / कला एवं संस्कृति, Biography / Jiwani / जीवनी, Criticism Aalochana / आलोचना, Hard Bound / सजिल्द, Paperback / पेपरबैक, Renaissance / Navjagran / Rashtravad / नवजागरण / राष्ट्रवाद
Rashtriyata sai Antarrashtriyata
₹400.00 – ₹700.00
राष्ट्रीयता से अन्तर्राष्ट्रीयता -
Art and Culture / Kala avam Sanskriti / कला एवं संस्कृति, Criticism Aalochana / आलोचना, Hard Bound / सजिल्द, New Releases / नवीनतम, Tribal Literature / आदिवासी साहित्य
Rashtra Purush Somji Bhai Damor – Jeewni avam anya Aalekh राष्ट्रपुरुष सोमजीभाई डामोर – जीवनी एवं अन्य आलेख – Hindi Biography
₹600.00Original price was: ₹600.00.₹415.00Current price is: ₹415.00.