







HaI sss Chimmi (Collection of Short Stories) <br> हाय ऽऽऽ चिमी (कहानी-संग्रह )
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Author(s) — Kishore Diwase
लेखक — किशोर दिवसे
| ANUUGYA BOOKS | HINDI | Total 180 Pages | 2022 | 6 x 9 inches |
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Description
Description
पुस्तक के बारे में
एक दिन उस व्यक्ति के घर का माहौल अप्रत्याशित रूप से बदला हुआ दिखाई दिया। घर के दरवाज़ों पर तोरण लगे और भीतर से शहनाई के स्वर गूँजने लगे। उसके घर पहुँचने सभी लोगों को न्योता मिलने लगा। उसकी आलीशान हवेली को देखकर लोग हक्का-बक्का रह गये थे। समूचे परिसर में खुशबुएँ महक रही थीं। ऐसा लग रहा था मानो कोई धार्मिक आयोजन हो रहा है।
वह अय्याश गृहस्वामी भी सफ़ेद वस्त्र पहनकर प्रसन्नचित्त था। मेहमानों की पूछताछ कर उनका स्वागत करता। जो लोग आश्चर्य से पूछते, “क्या बात है आज अचानक बात क्या है…” हँसकर वह कहने लगता, “बताता हूँ बताता हूँ …पहले आप शरबत वगैरह लीजिए। आज का दिन खुशियों भरा है” अय्याशी पसन्द उस मेज़बान से सारा शहर ईर्ष्या करता था। समारोह जब अन्तिम दौर में था तभी मेज़बान ने कहा, “दोस्तों! सभी लोग अन्दाज़ लगा रहे थे। अय्याशी और भोग-विलास से यह इन्सान अब अघा गया होगा। अवश्य ही वह विवाह का ऐलान करने वाला है। हम सबकी तरह सामाजिक हो जायेगा। अच्छी बात है।
मेज़बान कहने लगा, “दोस्तों! आज ही हम लोग एक-दूसरे से मिल रहे हैं। मैं शुरुआत से ही ऐशो-आराम करने वाला रहा। दुनिया के सारे सुख और समृद्धियाँ मेरे घर आयें इस दृष्टि से मैंने अपने घर में सीढ़ियाँ-ही-सीढ़ियाँ बनायीं। आज आप सब लोग मेरे घर मेहमान बनकर आये हैं। आप सबको न्योता देने की एक ख़ास वजह है। एक और सुख।”
सभी मेहमानों की दृष्टि उस समारोह में उपस्थित युवतियों पर केन्द्रित हो गयी। वे सोचने लगे कि आख़िर कौन-सी युवती इस महल की रानी बनेगी।
…इसी पुस्तक से…
उस रोज भी यार-दोस्तों का जमघट लगा था। जवान छोकरे छोकरियाँ। हरकतें बिन्दास और अलमस्त अन्दाज़। स्किन टाइट जीन्स, टॉप, कहीं केजुअल्स, टॉर्न या रग्ड जीन्स…स्टोल…किसम-किसम के ट्रेंडी आउटफिट्स। जवानों के लिए कपड़ों का जश्न। देखकर नव-प्रौढ़ों की ज़मात यकीनन दो-फ़ाड़ हो गयी है। जो नई जनरेशन से गलबहियाँ कर चलने लगे हैं वे ख़ुद भी इसे अपना चुके हैं। जो परम्परावादी खूसट हैं वे खुलकर अपनी भड़ास कभी जवान पीढ़ी पर तो कभी नई ट्रेंड के कपड़े अपनाने वाले परिवर्तनगामी प्रौढ़ों पर भी लगाया करते हैं। वे लोग भूल जाते हैं कि फ्यूचर शॉक्स जो हम सब वर्तमान में झेल रहे हैं उनके लिए यूज़टू होना ही एकमात्र विकल्प है। अन्यथा स्थिति स्पष्ट है…भाड़ में जाओ।
खैर…केतन को पूरा भरोसा था अपने आप पर कि वह आँखों की भाषा समझने में कभी गलती नहीं कर सकता। लेकिन जो वाकया उसके साथ हुआ उसने हमेशा के लिए उसकी आँखें खोल दीं। दोस्तों के बीच ऐसे ही फुरसत के लम्हों में गप्पसड़ाका कर रहा था। और फुरसत भी कैसी!
अमूमन शादी-ब्याह के मौकों पर लंच टाइम और एकाध घंटा अतिरिक्त मेहमानों के बीच चुहलबाज़ियों के दौर चला करते हैं। मंगल कार्यालय और केटरिंग के इन्तजार तो हालिया बरसों की देन है। हममें से ही अनेकों ने अपनी उम्र के किसी-न-किसी दौर में देखा होगा कि ब्याह के मौकों पर लड़कीवालों के घर किस तरह की तैयारियाँ हुआ करती थीं। कार्यालय गिने-चुने ही बना करते थे। अनिता के ब्याह में कुछ इसी तरह की धमाचौकड़ी उन दिनों मची हुई थी। घर और मंगल कार्यालय में भी जहाँ पर शादी के लिए मेहमानों का जमघट लगा हुआ था। “केतन। तुम जाकर सब्जियाँ ले आना। मधुकर काका को लेकर जाओ।” उन दिनों के हिसाब से सब्जियाँ मिला करती थीं। भँटा चार रुपये पंसेरी यानी पाँच किलो।
आलू आठ रुपये, भिंडी तीन रुपये आदि-आदि… एक-डेढ़ घंटे में सब्जियाँ थैलियों और चुंगड़ियों में भरकर आ गयीं। भाभियाँ, बुआएँ, बड़ी बहनें और जीजाजी… यानी आज के जीजू अलग-अलग समूह बनाकर आपस में बतियाते हुए हॉल में काम करने लगे। हर ग्रुप का अलग-अलग काम। कोई आलू-प्याज छीलकर काटने में व्यस्त है। आजी ने इसी बीच माधुरी मावशी से कहा, “माधुरी …चल कंचन और सुनीता के साथ लड्डू बाँधने लग… बूँदी तैयार हो गयी है।” श्याम काका भी लड्डू बाँधने में उस्ताद थे। वे भी भिड़ गये। हॉल से सटे हुए कमरे में महाराजिन एकवसना स्थिति में भट्ठी पर अपने मातहतों के साथ खाना बनाने की तैयारियाँ कर रही है। कोई बड़ा गंजा चढ़ा रहा है तो कोई आँच तेज़ करने की जद्दोजहद में। दाहिने कोने में खाना बनाने के लिए घड़े और नाँद में पानी रखा हुआ है। आजी ने सख्ती से धमकाया, “खबरदार। कोई इसे छुएगा नहीं। जो छुएगा, सारा पानी फेंककर उसी से भरवाऊँगी।”
…इसी पुस्तक से…
Additional information
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Weight | 200 g |
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Dimensions | 9 × 6 × 0.2 in |
Product Options / Binding Type |
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