- Please choose product options by visiting Katam (Folk Tales of Tribes of Arunachal Pradesh) / काताम (अरुणाचल प्रदेश की लोककथाएँ).








Aadivasi Sahitya आदिवासी साहित्य – Aadivasi Aalochana
₹500.00 Original price was: ₹500.00.₹375.00Current price is: ₹375.00.
FREE SHIPMENT FOR ORDER ABOVE Rs.149/- FREE BY REGD. BOOK POST
Amazon : Buy Link
Flipkart : Buy Link
Kindle : Buy Link
NotNul : Buy Link
Editor(s) — Mohan Chauhan
संपादक – मोहन चव्हाण
| ANUUGYA BOOKS | HINDI | 152 Pages | Hard BOUND | 2020 |
| 5.5 x 8.5 Inches | 450 grams | ISBN : 978-93-89341-16-4 |
पुस्तक के बारे में
जोराम यालाम का उपन्यास ‘जंगली फूल’ अपने ‘निशी’ समुदाय की धारणाएँ, मान्यताएँ, या जनश्रुतियों का सहारा लेकर लिखा गया । लेखिका दिल्ली स्थित विश्वविद्यालय में पढ़ाई के लिए जाती है। उसकी पढ़ाई वहाँ पर हुई है पर फिर भी उन्होंने अपने देश-दुनिया, अँचल और समुदाय की रस्मों-रिवाजों और लोककथाओं में प्रसिद्ध पुरखे तानी (पिता) को अनेक पत्नियाँ रखने वाले, प्रेमविहीन, बलात्कारी और आवारा व्यक्ति के रूप में चित्रित किया गया है जो अपनी असाधारण बल-बुद्धि का इस्तेमाल भी सिर्फ औरतें हासिल करने के लिए करता है। लेखिका ने तानी की इस लोककथाओं में चित्रित अवधारणा पर सवाल उठाया है। उन्होंने न सिर्फ सवाल उठाया है बल्कि उसकी मूल छवि और उससे जुड़े अन्य मिथकीय प्रसंगों को अपनी सुज्ञ कल्पना से फिर से निर्मित करने का बेड़ा उठाया है। उपन्यासकार ने ‘जंगली फूल’ शीर्षक देकर कथ्य को आदिम तथा आदिवासी जीवन की अठखेलियों से जोड़ने का प्रयास किया है। उन्होंने तानी जैसे पुरखे के सहारे से निशी समूह के रहन-सहन, खान-पान, रीति-नीति, पद्धति, रिवाज को अधोरेखित किया है। तानी यह उसका पुरखा यानी कि पूर्वजों में से एक अपनी जीवन-नैया की पतवार अपने हाथ में लिये अग्रसर होता है। वह कोशिश करता है कि समाज की स्त्री, समाज के लोग, समाज की मान्यताएँ यह प्रोक्ति स्तरीयता को प्राप्त कर सके। इसलिए वह शादी-ब्याह के उपरांत भी धान की खोज में सफर करता हुआ, वहाँ तक पहुँचकर उसकी महत्ता से वाकिफ हो जाता है। वह सोचता है, देखता है, चलता है, दौड़ता है, जीवन की सूक्ष्मताओं से जूझता है, उसमें से पार होने की कोशिश हर वक्त करता है। उस कोशिश में सफल भी होता है, जैसे आजकल हम पढ़े-लिखे लोग बड़ी युक्ति से Goal रखते हैं। उसे पाने की ब्लू-प्रिंट निकालते हैं, उस दिशा में हर वक्त लगे रहते हैं और फिर कहीं जाकर वहाँ गंतव्य तक पहुँचते हैं।
…इसी पुस्तक से…
नागरीय संस्कृति से कोसों दूर-दराज के सतपुड़ा पर्वत शृंखलाओं में बसे आदिवासी मूलनिवासी जंगल में बड़ी बस्तियों में रहकर सभ्य कही जाने वाली संस्कृति से टूट-सा गया है, सभ्य समाज से संपर्क न होने के कारण उनकी अपनी सभ्यता एवं संस्कृति है। इनकी जनजातियाँ विश्व के सभी आदिवासियों में मूल रूप में मिलती हैं। फिर भी हजारों सालों से इनकी संस्कृति बरकरार है। आदिवासी यह अँग्रेजी के ‘अबॉरिजिनीस’ इस शब्द का पर्याय है। उन्हें वनवासी न कहने का दृष्टिकोण है। आदिवासियों की अलग अस्मिता और संस्कृति भले ही क्यों न हो, परन्तु वह समाज अन्य नागरिकों की तरह ही हैं। वे शहरों से दूर जंगल की पहाड़ियों में बसे रहने के कारण संस्कृति एवं सभ्यता अन्य संस्कृति एवं सभ्यता से निश्चित पृथक हैं।
आदिवासी समाज मातृसत्ताक है। भारतीय संस्कृति में पुरुषसत्ताक को विशेष अधिकार है। यहाँ घर-गृहस्थी सम्बन्धी निर्णय लेने में महिलाओं का विशेष योगदान होता है। आदिवासियों का कोई विशेष धर्म नहीं है। उनकी सभ्यता से सृष्टि के नाना प्रतीकों को आराध्य मानकर पूजा अर्चना की जाती है। आदिवासियों के धार्मिक आचरण के बारे में पिछले दो दशकों में सबसे ज्यादा चर्चा हुई है। अलग-अलग धर्मों ने उन्हें अपनी ओर खींचने का बड़ा प्रयास किया है। नंदुरबार जिले में कई आदिवासियों ने हिन्दू धर्म परम्परा के अनुरूप अपने-आपको जोडऩे का प्रयास किया है, कुछ लोगों ने खिस्ती मिशनरी के प्रभाव में आकर धर्मांतरण कर लिया है। आदिवासी सुधार का बीड़ा सबसे प्रथम खिस्ती मिशनरी ने हाथ में उठाया। अनपेक्षित मुसीबतों से मार्ग निकालने के लिए विधि, त्यौहार, समारोह, आदिवासियों द्वारा मनाये जाते हैं। आदिवासी समाज खेती को महत्त्व देता है। खेती संबंधी हर क्रिया से विधि एवं उत्सव समारोह जुड़ा है। अच्छी बारिश, अच्छी उपज के लिए, जमीन को उपजाऊ बनाने के लिए वहाँ पर धार्मिक विधि की जाती है। और बाद में अनाज भी बोए जाते हैं, कटाई की जाती है।
…इसी पुस्तक से…
अनुक्रम
सम्पादकीय
1. अरुणाचल प्रदेश की जनजाति पर केन्द्रित उपन्यास ‘जंगली फूल’ — डॉ. एम. एल. चव्हाण
2. हिन्दी साहित्य में आदिवासी-विमर्श — प्रो. संजय एल. मादार
3. आदिवासी लम्बाडी समाज का जीवन — डॉ. नारायण
4. बंजारा जनजाति के मौखिक साहित्य का समाजशास्त्रीय अध्ययन — डॉ. सीताराम राठोड़
5. ओड़िशा के आदिवासियों का समाज जीवन — डॉ. विष्णु सरवदे
6. “अल्मा कबूतरी” उपन्यास में आदिवासी-विमर्श — प्रा. डॉ. प्रमोद पाटिल
7. आदिवासी-विमर्श का जीवंत दस्तावेज संजीव कृत उपन्यास – ‘धार’ — प्रा. डॉ. मोहसीन रशीद शेख
8. राजेन्द्र अवस्थी के ‘जंगल के फूल’ उपन्यास में आदिवासी-विमर्श — डॉ. दिलीप सुखदेव फोलाने
9. संथाल आदिवासी परिवार में जन्मी कवयित्री निर्मला पुतुल की कविताओं में आदिवासी-विमर्श — प्रा. डॉ. धोंगडे भारती बालकृष्ण
10. ‘वनतरी’ उपन्यास में आदिवासी-विमर्श — प्रा. डॉ. वसंत माळी
11. भील आदिवासी – सामान्य परिचय — डॉ. वानिश्री बुग्गी
12. जसिंता केरकेट्टा की कविता और आदिवासी-विमर्श — सुशीला मीणा
13. आदिवासी कवयित्रियों के आईने में आदिवासी समाज — डॉ. सीमा चन्द्रन
14. हिन्दी काव्य में आदिवासी शबरी का चारित्रांकन — डॉ. व्ही.डी. सूर्यवंशी
15. मैत्रेयी पुष्पा के अल्मा कबूतरी उपन्यास में आदिवासी जन-जीवन — डॉ. जालिंधर इंगले
16. आदिवासी-विमर्श के परिप्रेक्ष्य में : नंदुरबार जिले का आदिवासी समाज एवं उनकी संस्कृति — प्रा. डॉ. चंद्रभान सुरवाडे
17. हिन्दी काव्य में आदिवासी-विमर्श — प्रा. रविन्द्र पुंजाराम ठाकरे
18. साठोत्तरी हिन्दी उपन्यासों में आदिवासी-विमर्श — प्रा. दीपक विनायकराव पवार
19. स्वदेश दीपक के नाटकों में आदिवासी विचार — गाडीलोहार बन्सीलाल हेमलाल
20. हिन्दी कथा-साहित्य में आदिवासी-विमर्श — प्रा. ललिता भाऊसाहेब घोडके
21. महाराष्ट्र के आदिवासी पारधी समाज के सामाजिकता का चित्रण — रेखा महादेव भांगे
22. 1960 दशक के आदिवासी जीवन केन्द्रित हिन्दी उपन्यास : सामान्य परिचय — प्रा. बापु नानासाहेब शेळके
23. हिन्दी काव्य में चित्रित आदिवासी-विमर्श — देवानन्द यादव
24. आदिवासी मनुष्य नहीं है? — रेवनसिद्ध काशिनाथ चव्हाण
25. अरण्य में सूरज : आदिवासी-विमर्श — सविता सीताराम तोड़मल
26. हिन्दी उपन्यास में अभिव्यक्त आदिवासी जीवन-संघर्ष — वाढेकर रामेश्वर महादेव, वाघमारे विकास सूर्यकांत
27. हिन्दी कथा-साहित्य में आदिवासी-विमर्श — मोनिका कुमारी
28. हिन्दी साहित्य में आदिवासी विमर्श — प्रा. डॉ. आनंद जी. खरात
रचनाकारों के बारे में
…रचनाकारों / लेखकों के बारे में…
- डॉ. मोहन चव्हाण, सहयोगी प्राध्यापक, पी-एच.डी. मार्गदर्शक व हिन्दी विभाग प्रमुख, एच.पी.टी. कॉलेज, नासिक, महाराष्ट्र। फोन नं. – 9421607567
- प्रो. संजय एल. मादार, विभागाध्यक्ष, उच्च शिक्षा और शोध संस्थान, दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा, कर्नाटक (धारवाड़), D.C. Compound Dist. Dharwad-580001 Karnataka. e-mail : prof.sanjaymandar@gmail.com Mobile No: 9945664379
- डॉ. नारायण, सहायक आचार्य एवं अध्यक्ष, हिन्दी विभाग, श्रीवेंकटेश्वर, विश्वविद्यालय, तिरुपतिæÒ–517502। मो. 9441674830 e-mail : narayanasvu@gmail.com
- डॉ. सीताराम राठोड़, विभाग अध्यक्ष, हिन्दी िवभाग, एन.जी. महािवद्यालय, नलगोंडा, तेलंगाना। मो. 9490411494
- डॉ. विष्णु सरवदे, हिन्दी विभाग, मानविकी संकाय, हैदराबाद विश्वविद्यालय, हैदराबाद-46
- प्रा. डॉ. प्रमोद पाटिल, हिन्दी विभाग अध्यक्ष, इंद्रराज महाविद्यालय सिल्लोड, महाराष्ट्र। मो. 9422712433
- प्रा. डॉ. मोहसीन रशीद शेख, हिन्दी विभाग, कला महाविद्यालय, बिडकीन, तह. पैठण, जि. औरंगाबाद, महाराष्ट्र। मो. 9860976066
- डॉ. दिलीप सुखदेव फोलाने, प्र. प्रधानाचार्य, स्व. अॅड. एस.डी. देशमुख महाविद्यालय, भोकरदन, महाराष्ट्र। मो. 9420742225
- प्रा. डॉ. धोंगडे भारती बालकृष्ण, सहायक प्राध्यापिका, हिन्दी विभाग, मविप्र समाज संचालित, कला, वाणिज्य एवं विज्ञान महाविद्यालय, नाँदगाँव जि. नासिक, महाराष्ट्र। मो. 09028331687
- डॉ. वसंत माळी, हिन्दी विभाग श्री. आसारामजी भांडवलदार महाविद्यालय, देवगाँव रंगारी ता. कन्नड़ जि. औरंगाबाद-431115, महाराष्ट्र। मो. 9860673712 email: vmali813@gmail.com
- डॉ. वानिश्री बुग्गी, सहायक प्राध्यापक, माऊंट कारमेल कॉलेज, बंगलोर, कर्नाटक। मो. 9482124045
- सुशीला मीणा, शोधार्थी, हिन्दी विभाग, हैदराबाद विश्वविद्यालय-50046। मो. 9581479668, 8309407306
- डॉ. सीमा चन्द्रन, सहायक प्राध्यापक, हिन्दी व तुलनात्मक साहित्य विभाग, केरल केन्द्रीय विश्वविद्यालय, कासरगोड।
- डॉ. व्ही.डी. सूर्यवंशी, विभागाध्यक्ष हिन्दी विभाग, कला विज्ञान एवं वाणिज्य महा-विद्यालय, नीमगाँव, तह. मालेगाँव जि. नासिक, महाराष्ट्र। मो.नं. 9421604624
- डॉ. जालिंधर इंगले, अध्यक्ष हिन्दी विभाग तथा समन्वयक अनुसंधान केन्द्र, म.स.गा. महाविद्यालय, मालेगांव, महाराष्ट्र
- प्रा. डॉ. चंद्रभान सुरवाडे, हिन्दी विभाग, प्रमुख कला, वाणिज्य, एवं विज्ञान, महाविद्यालय, नवापुर, जि. नंदुरबार, महाराष्ट्र
- प्रा. रविन्द्र पुंजाराम ठाकरे, अध्यक्ष हिन्दी विभाग, कला, विज्ञान एवं वाणिज्य महाविद्यालय, नामपुर, तह. सटाणा, जि. नासिक, महाराष्ट्र। मो. 09822916518 ई-मेल – ravipthakare@gmail.com
- प्रा. दीपक विनायकराव पवार, दिगम्बरराव बिन्दू महाविद्यालय, भोकर, जि. नांदेड़, महाराष्ट्र। मो. 9923777008
- गाडीलोहार बन्सीलाल हेमलाल, पीएच.डी. शोधछात्र, अनुसंधान केंद्र, के.टी.एच.एम. कॉलेज, नासिक, महाराष्ट्र
- प्रा. ललिता भाऊसाहेब घोडके, कला व वाणिज्य महाविद्यालय, शेंडी (भंडारदरा डॅम), तह. अकोले, जि. अहमदनगर 422604, महाराष्ट्र। मो. 8007027003
- रेखा महादेव भांगे, शोध छात्र, हिन्दी विभाग, मुम्बई विश्वविद्यालय, मुम्बई, महाराष्ट्र
- प्रा. बापु नानासाहेब शेळके, विभागाध्यक्ष, हिन्दी विभाग, कला, वाणिज्य एवं विज्ञान महाविद्यालय लासलगाँव, महाराष्ट्र। मो. 9521234013/8208245362
- देवानन्द यादव, एम.ए. (हिन्दी), पीएच.डी. एच.पी.टी. आर्ट्स व आर.वाय.के. विज्ञान महाविद्यालय, नासिक, महाराष्ट्र। सेट, नेट, जे.आर.एप. स्नातकोत्तर कक्षा में विश्वविद्यालय स्तर पर सातनी रेंक प्राप्त। मो. 9623690981
- रेवनसिद्ध काशिनाथ चव्हाण, शोधछात्र, हिन्दी विभाग, सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय, पुणे, महाराष्ट्र। मो. 9922869806
- सविता सीताराम तोड़मल, शोधछात्रा, हिन्दी विभाग, के.टी.एच.एम. महाविद्यालय, नासिक, महाराष्ट्र
- वाढेकर रामेश्वर महादेव, वाघमारे विकास सूर्यकांत, शोध छात्र, डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय, औरंगाबाद, महाराष्ट्र। मो. 8605549564, 9518325363
- मोनिका कुमारी, शोध छात्रा, तिलकामाँझी भागलपुर विश्वविद्यालय भागलपुर (बिहार)। मो. 9931585830
- प्रा. डॉ. आनंद जी. खरात, कर्म.अे.एम. पाटील कला, वाणिज्य व विज्ञान महाविद्यालय, पिंपलनेर, महाराष्ट्र
- Description
Description
Description
डॉ. मोहन लक्ष्मणराव चव्हाण
जन्म – जाम्भरुन (टांडा) ता. जि.-हिंगोली (महाराष्ट्र)।
शिक्षा – एम.ए., एम.फिल., पीएच.डी. (हिन्दी), डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर मराठवाडा विश्वविद्यालय, औरंगाबाद।
शोध – 1. लघु शोध प्रकल्प–यू.जी.सी., क्षेत्रीय कार्यालय, पुणे 2. बृहत शोध प्रकल्प–बी.सी.यु.डी., पुणे विश्वविद्यालय, पुणे 3. बृहत शोध प्रकल्प– यू.जी.सी., नई दिल्ली।
प्रकाशन – 1. निराला की साहित्य साधना–एक अनुशीलन; 2. बनजारा बोली भाषा–एक अध्ययन 3. गरिमा (काव्य-संग्रह); 4. अंतरिक हलचल-(मराठी से हिन्दी में अनुवाद); 5. आदिवासी साहित्य विमर्श; 6. जंगल पहाड़ के पाठ (हिन्दी से मराठी में अनुवाद, शीघ्र प्रकाश्य); 7. हिन्दी व मराठी की कविताएँ क्रमश: हिन्दी एवं मराठी दैनिक पत्रों में प्रकाशित; 8. हिन्दी विषय के शोधालेख राष्ट्रीय स्तर के पत्रिकाओं में प्रकाशित।
क्रिया कलाप –1. राष्ट्रीय संगोष्ठियों एवं विश्वविद्यालय में आलेख वाचन एवं आलेख प्रकाशित; 2. आकाशवाणी औरंगाबाद तथा नाशिक से कविता पाठ एवं मैथिलीशरण गुप्त पर ‘राष्ट्र पुरोधाÓ शीर्षक से वार्ता प्रसारित; 4. ‘गरिमाÓ काव्य संकलन की कविताओं का नाशिक आकाशवाणी पर प्रसारण; 5. ‘हिन्दी निबंध विधाÓ पर विविधा कार्यक्रम में नाशिक आकाशवाणी पर प्रसारण।
संप्रति – विभागाध्यक्ष, हिन्दी विभाग, एच.पी.टी. एवं आर.वाय.के. विज्ञान महाविद्यालय, नासिक-422005 (महाराष्ट्र)
Related Products
-
Select options This product has multiple variants. The options may be chosen on the product pageQuick View
-
Art and Culture / Kala avam Sanskriti / कला एवं संस्कृति, Paperback / पेपरबैक, Top Selling, Tribal Literature / आदिवासी साहित्य
Aadivasi — Samaj, Sahitya aur Rajneeti आदिवासी — समाज, साहित्य और राजनीति
₹250.00Original price was: ₹250.00.₹230.00Current price is: ₹230.00. -
SaleSelect options This product has multiple variants. The options may be chosen on the product pageQuick ViewArt and Culture / Kala avam Sanskriti / कला एवं संस्कृति, Fiction / कपोल -कल्पित, Hard Bound / सजिल्द, New Releases / नवीनतम, North East ka Sahitya / उत्तर पूर्व का सााहित्य, Novel / उपन्यास, Panchayat / Village Milieu / Gramin / पंचायत / ग्रामीण परिप्रेक्ष्य, Paperback / पेपरबैक, Top Selling, Translation (from Indian Languages) / भारतीय भाषाओं से अनुदित, Tribal Literature / आदिवासी साहित्य
Varsha Devi ka Gatha Geet वर्षा देवी का गाथागीत (असम की जनजातियों पर आधारित उपन्याय, मूल असमिया से हिन्दी में)
₹150.00 – ₹330.00