- Please choose product options by visiting Katam (Folk Tales of Tribes of Arunachal Pradesh) / काताम (अरुणाचल प्रदेश की लोककथाएँ).








Aadivasi Sahitya Vimarsh / आदिवासी साहित्य विमर्श
₹500.00 Original price was: ₹500.00.₹300.00Current price is: ₹300.00.
FREE SHIPMENT FOR ORDER ABOVE Rs.149/- FREE BY REGD. BOOK POST
Read eBook in Mobile APP
अनुक्रम
सम्पादकीय
1. अरुणाचल प्रदेश की जनजाति पर केन्द्रित उपन्यास ‘जंगली फूल’ — डॉ. एम. एल. चव्हाण
2. हिन्दी साहित्य में आदिवासी-विमर्श — प्रो. संजय एल. मादार
3. आदिवासी लम्बाडी समाज का जीवन — डॉ. नारायण
4. बंजारा जनजाति के मौखिक साहित्य का समाजशास्त्रीय अध्ययन — डॉ. सीताराम राठोड़
5. ओड़िशा के आदिवासियों का समाज जीवन — डॉ. विष्णु सरवदे
6. “अल्मा कबूतरी” उपन्यास में आदिवासी-विमर्श — प्रा. डॉ. प्रमोद पाटिल
7. आदिवासी-विमर्श का जीवंत दस्तावेज संजीव कृत उपन्यास – ‘धार’ — प्रा. डॉ. मोहसीन रशीद शेख
8. राजेन्द्र अवस्थी के ‘जंगल के फूल’ उपन्यास में आदिवासी-विमर्श — डॉ. दिलीप सुखदेव फोलाने
9. संथाल आदिवासी परिवार में जन्मी कवयित्री निर्मला पुतुल की कविताओं में आदिवासी-विमर्श — प्रा. डॉ. धोंगडे भारती बालकृष्ण
10. ‘वनतरी’ उपन्यास में आदिवासी-विमर्श — प्रा. डॉ. वसंत माळी
11. भील आदिवासी – सामान्य परिचय — डॉ. वानिश्री बुग्गी
12. जसिंता केरकेट्टा की कविता और आदिवासी-विमर्श — सुशीला मीणा
13. आदिवासी कवयित्रियों के आईने में आदिवासी समाज — डॉ. सीमा चन्द्रन
14. हिन्दी काव्य में आदिवासी शबरी का चारित्रांकन — डॉ. व्ही.डी. सूर्यवंशी
15. मैत्रेयी पुष्पा के अल्मा कबूतरी उपन्यास में आदिवासी जन-जीवन — डॉ. जालिंधर इंगले
16. आदिवासी-विमर्श के परिप्रेक्ष्य में : नंदुरबार जिले का आदिवासी समाज एवं उनकी संस्कृति — प्रा. डॉ. चंद्रभान सुरवाडे
17. हिन्दी काव्य में आदिवासी-विमर्श — प्रा. रविन्द्र पुंजाराम ठाकरे
18. साठोत्तरी हिन्दी उपन्यासों में आदिवासी-विमर्श — प्रा. दीपक विनायकराव पवार
19. स्वदेश दीपक के नाटकों में आदिवासी विचार — गाडीलोहार बन्सीलाल हेमलाल
20. हिन्दी कथा-साहित्य में आदिवासी-विमर्श — प्रा. ललिता भाऊसाहेब घोडके
21. महाराष्ट्र के आदिवासी पारधी समाज के सामाजिकता का चित्रण — रेखा महादेव भांगे
22. 1960 दशक के आदिवासी जीवन केन्द्रित हिन्दी उपन्यास : सामान्य परिचय — प्रा. बापु नानासाहेब शेळके
23. हिन्दी काव्य में चित्रित आदिवासी-विमर्श — देवानन्द यादव
24. आदिवासी मनुष्य नहीं है? — रेवनसिद्ध काशिनाथ चव्हाण
25. अरण्य में सूरज : आदिवासी-विमर्श — सविता सीताराम तोड़मल
26. हिन्दी उपन्यास में अभिव्यक्त आदिवासी जीवन-संघर्ष — वाढेकर रामेश्वर महादेव, वाघमारे विकास सूर्यकांत
27. हिन्दी कथा-साहित्य में आदिवासी-विमर्श — मोनिका कुमारी
28. हिन्दी साहित्य में आदिवासी विमर्श — प्रा. डॉ. आनंद जी. खरात
… इसी पुस्तक से…
साहित्य सृजन के बीजवपन काल से लम्बे समय तक हिन्दी साहित्य अधिकांश परम्परागत रीति से ही चलता रहा। लेकिन समय के बदलाव के साथ-साथ बहुत-सी चीजें बदल जाती हैं, या यों कहें बदलना अनिवार्य भी हो जाता है। साहित्य भी अपने आपको बदलकर, अपने दायित्व को निभाता हुआ आगे चल रहा है। इसमें उसने विमर्श के हर पक्ष को छू लिया है। मुख्य रूप से वर्तमान समय की बात की जाए तो जैसे स्त्री-विमर्श, दलित-विमर्श, किन्नर-विमर्श, वृद्ध-विमर्श, अल्पसंख्यक-विमर्श आदि। ऐसे में आदिवासी-विमर्श कैसे अछूता रह सकता है। ‘आदिवासी शब्द’ आदि और ‘वासी’ के योग से बना है जिसका अर्थ होता है–‘मूल निवासी’। हम जानते हैं कि आदिवासियों का विश्व के लगभग सभी भागों में निवास पाया जाता है। अफ्रीका के बाद भारत ही सबसे अधिक जनजातियों वाला देश है। अपने देश के प्रमुख आदिवासी समुदायों में संथाल, बोडो, भील, मीणा, गरासिया, मुंडा, शबर, नैंगा, ओंग, सेंटिनल, ग्रेट अंदमानी, सहरिया, उराँव, खासी, बिरहोर, आदि हैं। इन्हे गिरिजन, वनवासी, जनजाति, आदि निवासी, आदिम जाति और भूमिपुत्र आदि नामों से भी जाना जाता है।
वास्तव में आदिवासी आर्यों से पूर्व का मनुष्य समूह है। वह इस भूमि का मूल निवासी और इस नाते वह मूल मालिक है। गौंड़, भील, करेली आदि आदिवासी जनजातियों के आर्यपूर्व निवास के बारें में महात्मा जोतिबा फ़ूले जी कहते हैं–
‘गौंड़ भील क्षेत्री ये पूर्व स्वामी, पीछे आए वहीं इरानी
शूर, भील मछुआरे मारे गए रारों में, ये गए हकाले जंगलों गिरिवनों में।’
21वीं सदी में सबसे बडा प्रश्न उनके सामने खड़ा है तो उनके पहचान का। क्योंकि अब यह बात किसी से छिपी नहीं है कि विकास के नाम पर उनको जंगलों से भी खदेड़ा जा रहा है। शिक्षा एवं अधिकार के फलस्वरूप आज का आदिवासी पढ़-लिखकर अपने-आपको समाज की मुख्य धारा में अपनी उपस्थिति होने-न-होने के कारणों को ढूँढ़ना शुरू कर रहा है। हिन्दी साहित्य के मुख्य विधाओं में जैसे कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक आदि के साथ-साथ हम पत्रिकाओं में भी आदिवासी-विमर्श को देख सकते हैं।
आदिवासी समाज के बारे में किया गया गहन विचार-चिन्तन ही आदिवासी-विमर्श है। आदिवासी जीवन पर गम्भीरता से उनकी जीवन-प्रणाली, सामाजिक स्थिति और पीड़ित जिन्दगी का विवेचन-विश्लेषण कर उसकी ओर सभ्य समाज का ध्यान आकर्षित करना तथा उनके विकास की पहल करना आदिवासी-विमर्श का मुख्य प्रयोजन कहा जा सकता है।
साहित्यिक पत्रिकाओं की बात कि जाए तो ‘ग्राम निर्माण, झारखंड न्यूज लाईन, युद्धरत आम आदमी, अरावली उद्घोष, आदिवासी सत्ता, मानगढ़ सन्देश आदि पत्रिकाओं का महत्त्वपूर्ण योगदान है।
समकालीन कविता में आदिवासी-विमर्श पर बात की जाए तो हरिराम मीणा का काव्य-संग्रह ‘सुबह के इन्तजार में’ एक है। जिसमें अादिवासी जीवन विशेष रूप से अंदमान-निकोबार के आदिवासियों पर आधारित है। आदिवासी कवयित्रियों में निर्मला पुत्तुल भी उल्लेखनीय हैं। वह मूलतः संताली भाषा की कवयित्री हैं। उनका प्रसिद्ध काव्य-संग्रह ‘नगाड़े की तरह बजते शब्द’ आदिवासी जीवन का जीवंत दस्तावेज है। लक्ष्मी नारायण पयोधि का ‘सोमरू’ नामक काव्य-संग्रह बस्तर के आदिवासियों के जीवन पर आधारित है। संजीव बख्शी का ‘मौहा झाड़ को लाईफ-ट्री’ कहते हैं, इनकी कविता में जीवन के प्रति अास्था दिखाई पड़ती है। इनकी कविता में बस्तर के जन समूह के दैनंदिन जीवन का सच्चा और मर्मांतक चित्रण मिलता है। आदिवासी समाज में जन्मे डॉ. रामदयाल मुंडा आदिवासी समाज के एक प्रबुद्ध चिन्तक मानवविज्ञानी शोधकर्ता एवं साहित्यकार रहे हैं। आदिवासी जीवन पर इनकी दो रचनाएँ हैं ‘नदी और उनके सम्बन्धी गीत’ और ‘वापसी पुनर्मिलन और अन्य गीत’ इस संग्रह की कविताओं में आदिवासी जीवन प्रकृति और मनुष्य की अमृत सहचर्या की जो अन्तरंग प्रस्तुति हुई है। इनमें आधुनिक मन की अंतर्क्रिया भी झलकती है। इसी कड़ी में और भी कवियों के नाम उल्लेखनीय हैं जैसे महादेव टोप्पो, रामदयाल मुंडा, सुदीप बैनर्जी, रमणिका गुप्ता, कुमारेन्द्र पारसनाथ, विनोद कुमार शुक्ल, विनोद दास, लुगुन, जियाला आर्य, हजारीलाल मीणा, शंकरलाल मीणा आदि के नाम उल्लेख्य है। इनसे पूर्व की बात की जाए तो नागार्जुन, लीलाधर जगूड़ी आदि की रचनाओं में भी आदिवासियों का चित्रण मिलता है। जैसे–
हमारी धरती हमें वापस दे दो, हमें झंडे वाली आजादी नहीं चाहिए
वापस लेके रहेंगे, हम अपने जंगल
अपनी पगडंडियाँ अपनी लाल मिट्टी, खबरदार खबरदार!!–नागार्जुन
- Description
- Additional information
Description
Description
डॉ. मोहन लक्ष्मणराव चव्हाण
जन्म – जाम्भरुन (टांडा) ता. जि.-हिंगोली (महाराष्ट्र)।
शिक्षा – एम.ए., एम.फिल., पीएच.डी. (हिन्दी), डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर मराठवाडा विश्वविद्यालय, औरंगाबाद।
शोध – 1. लघु शोध प्रकल्प–यू.जी.सी., क्षेत्रीय कार्यालय, पुणे 2. बृहत शोध प्रकल्प–बी.सी.यु.डी., पुणे विश्वविद्यालय, पुणे 3. बृहत शोध प्रकल्प– यू.जी.सी., नई दिल्ली।
प्रकाशन – 1. निराला की साहित्य साधना–एक अनुशीलन; 2. बनजारा बोली भाषा–एक अध्ययन 3. गरिमा (काव्य-संग्रह); 4. अंतरिक हलचल-(मराठी से हिन्दी में अनुवाद); 5. आदिवासी साहित्य विमर्श; 6. जंगल पहाड़ के पाठ (हिन्दी से मराठी में अनुवाद, शीघ्र प्रकाश्य); 7. हिन्दी व मराठी की कविताएँ क्रमश: हिन्दी एवं मराठी दैनिक पत्रों में प्रकाशित; 8. हिन्दी विषय के शोधालेख राष्ट्रीय स्तर के पत्रिकाओं में प्रकाशित।
क्रिया कलाप –1. राष्ट्रीय संगोष्ठियों एवं विश्वविद्यालय में आलेख वाचन एवं आलेख प्रकाशित; 2. आकाशवाणी औरंगाबाद तथा नाशिक से कविता पाठ एवं मैथिलीशरण गुप्त पर ‘राष्ट्र पुरोधा’ शीर्षक से वार्ता प्रसारित; 4. ‘गरिमा’ काव्य संकलन की कविताओं का नाशिक आकाशवाणी पर प्रसारण; 5. ‘हिन्दी निबंध विधा’ पर विविधा कार्यक्रम में नाशिक आकाशवाणी पर प्रसारण।
संप्रति – विभागाध्यक्ष, हिन्दी विभाग, एच.पी.टी. एवं आर.वाय.के. विज्ञान महाविद्यालय, नासिक-422005 (महाराष्ट्र)
Additional information
Additional information
Product Options / Binding Type |
---|
Related Products
-
SaleSelect options This product has multiple variants. The options may be chosen on the product pageQuick ViewCriticism Aalochana / आलोचना, Dalit Vimarsh / दलित विमर्श, Hard Bound / सजिल्द, Panchayat / Village Milieu / Gramin / पंचायत / ग्रामीण परिप्रेक्ष्य, Paperback / पेपरबैक, Top Selling, Tribal Literature / आदिवासी साहित्य
Hindi Sahitya me Aadivasi Hastekshep ,br> हिन्दी साहित्य में आदिवासी हस्तक्षेप
₹200.00 – ₹250.00 -
-3%Select options This product has multiple variants. The options may be chosen on the product pageQuick ViewArt and Culture / Kala avam Sanskriti / कला एवं संस्कृति, Environment / Music / पर्यावरण/ संगीत, Hard Bound / सजिल्द, Jharkhand / झारखण्ड, Linguistics / Grammer / Dictionary / भाषा / व्याकरण / शब्दकोश, Panchayat / Village Milieu / Gramin / पंचायत / ग्रामीण परिप्रेक्ष्य, Paperback / पेपरबैक, Science & Technology / विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, Top Selling, Tribal Literature / आदिवासी साहित्य
Sabhyon ke beech Aadivasi (Collection of Articles)
₹290.00 – ₹390.00
सभ्यों के बीच आदिवासी (लेखों का संग्रह) -
-3%Select options This product has multiple variants. The options may be chosen on the product pageQuick ViewFiction / कपोल -कल्पित, Hard Bound / सजिल्द, Jharkhand / झारखण्ड, Novel / उपन्यास, Paperback / पेपरबैक, Play / Natak - Rangmanch / नाटक - रंगमंच, Stories / Kahani / कहानी, Tribal Literature / आदिवासी साहित्य
Aadivasi Jeewan-Jagat ki Baraha Kahaniyan, Ek Natak
₹175.00 – ₹300.00
आदिवासी जीवन-जगत की बारह कहानियाँ, एक नाटक -
-13%Select options This product has multiple variants. The options may be chosen on the product pageQuick ViewArt and Culture / Kala avam Sanskriti / कला एवं संस्कृति, Criticism Aalochana / आलोचना, Hard Bound / सजिल्द, Paperback / पेपरबैक, Top Selling, Tribal Literature / आदिवासी साहित्य
Aadivasi Vidroh : Vidroh Parampara aur Sahityik Abhivyakti ki Samasyaen आदिवासी विद्रोह : विद्रोह परम्परा और साहित्यिक अभिव्यक्ति की समस्याएँ (विशेष संदर्भ — संथाल ‘हूल’ और हिन्दी उपन्यास)
₹350.00 – ₹899.00