योगेन्द्र नागपाल

09 जनवरी 1948 को मेरठ में एक पंजाबी परिवार में जन्म लेने के बाद योगेन्द्र नागपाल ने रूसी अध्य्यन व अनुसन्धान संगठन, नई दिल्ली में तीन साल तक रूसी भाषा सीखी और 1967 में रूस सरकार की छात्रवृत्ति पाकर उच्च अध्ययन के लिए मसक्वा (मास्को) चले गए। मसक्वा के लमअनोसफ़ राजकीय विश्वविद्यालय में उन्होंने 1970 में रूसी भाषा में एमए किया।
इसके बाद उन्होंने मसक्वा में ही प्रगति प्रकाशन में रूसी पुस्तकों का हिन्दी में अनुवाद करना शुरू कर दिया। सबसे पहले योगेन्द्र जी ने प्रसिद्ध रूसी लेखक मकसीम गोरिकी के बारे में अन्य लेखकों के संस्मरणों की एक किताब का अनुवाद किया। बाद में कुछ साल बच्चों के लिए विभिन्न पुस्तकों का अनुवाद किया। इसके बाद वे प्रमुख रूसी लेखकों की किताबों का अनुवाद करने लगे। उनके द्वारा किये गए उल्लेखनीय अनुवादों में अरकादी वाइनर और गिओर्गी वाइनर का उपन्यास ‘हिमानी सागर में’, श्रेष्ठ रूसी बाल कथाएँ, अरकादी स्त्रुगात्सकी और बरीस स्त्रुगात्सकी की फ़ैण्टेसी-कथा ‘मुन्ना’, कंसतानतिन पाउसतोव्स्की की कहानियाँ और मिख़अईल शोलअख़फ़ का लघु उपन्यास ‘जो देश के लिए लड़े’ शामिल हैं।
1990 में सोवियत संघ का विघटन होने के बाद योगेन्द्र नागपाल व्यवसाय करने लगे और एक बड़ी ब्रिटिश व्यावसायिक कम्पनी के मसक्वा के प्रतिनिधि कार्यालय में निदेशक रहे। इसके अलावा वे मसक्वा में भारतीय प्रवासियों के संगठन ‘हिन्दुस्तानी समाज’ के क़रीब डेढ़ दशक तक अध्यक्ष रहे। कोविड महामारी से ग्रस्त होने के बाद एक अक्तूबर 2020 को मसक्वा में उनका देहान्त हो गया।

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