डॉ. वीरेन्द्र प्रताप
डॉ. वीरेन्द्र प्रताप (जन्म – 14 अगस्त 1986, प्रयागराज, उ.प्र.) ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज से हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर और दिसंबर 2009 में विश्वविद्यालय अनुदान द्वारा आयोजित परीक्षा में नेट/जेआरएफ उत्तीर्ण करने के पश्चात, महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा से तुलनात्मक साहित्य में एम.फिल. और इलाहाबाद विश्वविद्यालय से डी.फिल. की उपाधि प्राप्त की हैं। हाशिये के समाज पर केन्द्रित साहित्य, स्त्री साहित्य तथा उपन्यास अध्ययन का विशेष क्षेत्र। ‘विभाजन की कथा एवं हिंदी उपन्यास’, ‘समकालीन हिंदी कविता का स्त्री पक्ष’ और ‘रामायण की सांस्कृतिक विरासत’ (सं.) प्रकाशित कृतियाँ हैं। कई महत्वपूर्ण पत्रिकाओं में शोध आलेख, संपादित पुस्तकों में अध्याय लेखन। सम्प्रति – अगस्त 2017 से हिंदी विभाग, इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक, मध्य प्रदेश में सहायक प्राध्यापक के रूप में कार्यरत एवं अध्ययन-अध्यापन में संलग्न।
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Jangle Pahad ka Paath Vishleshan (Mahadev Toppo Ke Kavya-Sangrah Ki Alochna)
जंगल पहाड़ का पाठ विश्लेषण (महादेव टोप्पो के काव्य-संग्रह की आलोचना)Editors(s) — Santosh Kumar Sonker & Virendra Pratap
संपादक — संंतोष कुमार सोनकर व वीरेन्द्र प्रताप
| ANUUGYA BOOKS | HINDI | Total 120 Pages | 5.5 x 8.5 inches |
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