सावित्री बड़ाईक
जन्म : जुलाई 1971। जन्म स्थान : गोतरा सुन्दरपुर, सिमडेगा। शिक्षा : एम.ए., पीएच.डी.। आजीविका : राँची विश्वविद्यालय के एक कॉलेज में अध्यापन। साहित्य : कवितायें आदिवासी साहित्य, आदिवासी पत्रिका, अनिश (बी.एच.यू.), आधी दुनिया में प्रकाशित। कई शोध आलेख विभिन्न प्रतिष्ठित पत्रिकाओं– बनासजन, वांग्मय, अनुसंधान, चौमासा, पक्षधर में प्रकाशित। विशेष : महात्मा गाँधी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय वर्धा के दूरस्थ शिक्षा के अन्तर्गत एम.ए. हिन्दी के पाठ्यक्रम में नव सामाजिक विमर्श के तहत कविता खण्ड के इकाई-5 में राम दयाल मुण्डा की तीन कविताएँ कथन शालवन के अंतिम शाल का, सहित तीन कविताओं के लिए इकाई लेखन। कविता खण्ड के इकाई-6 में ग्रेस कुजूर की तीन कविताएँ– एक और जनी शिकार, हे समय के पहरेदारों, कलम को तीर होने दो। इन तीन कविताओं पर इकाई लेखन। कहानी खण्ड के लिए इकाई-3 में वरिष्ठ आदिवासी कथाकार रोज केरकेट्टा की कहानी (मैना) के लिए इकाई लेखन। सागर विश्वविद्यालय के लिए रोज केरकेट्टा की कहानी ‘पगहा जोरी-जोरी रे घाटो’ के लिए कहानी पर इकाई लेखन। पत्रिका का सम्पादन : जे.एन.यू. नई दिल्ली से प्रकाशित होने वाली पत्रिका ‘आदिवासी साहित्य’ के जुलाई-दिसम्बर 2016 के रंग रोगन (कला) विशेषांक के लिए अतिथि संपादक का कार्य संपन्न किया। पुस्तक का सम्पादन : ‘शिशिर समग्र’, प्रभात प्रकाशन, नई दिल्ली। आकाशवाणी, राँची से हिन्दी की वार्ताएँ प्रसारित। झारखण्ड सहित मध्य भारत के विभिन्न आन्दोलन, आदिवासी कला, संस्कृति, भाषा साहित्य, पर्यावरण के अध्ययन में विशेष रुचि। पता : आसरी रेसीडेन्सी, 3सी., ब्लॉक सी., न्यू गितिलपीडि़, दिनकर नगर, हटिया स्टेशन रोड, बिरसा चौक, राँची, झारखण्ड– 834003 संपर्क : 6207937207 ई-मेल : savitribaraik03@gmail.com