डॉ. साधना कान्तिकुमार जैन
जन्म : 10-4-1942। 1967 में एम.ए.। 1975 में जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर से ‘छत्तीसगढ़ी और खड़ी बोली के व्याकरणों का तुलनात्मक अध्ययन’ विषय पर पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की। शोध कार्य के लिए विश्वविद्यालय अनुदान-आयोग की सहायता से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के संदर्भ में ‘पंडित माखनलाल चतुर्वेदी के काव्य का अध्ययन’ एवं ‘भांडेर तहसील की बोली’ शार्षक से शोध परियोजनाओं पर उल्लेखनीय कार्य तथा सागर विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में सन् 87-89 तक रिसर्च एसोशिएट। घर गृहस्थी के साथ हिंदी और उर्दू साहित्य के अध्ययन एवं लेखन में रुचि। पत्र-पत्रिकाओं में लेख प्रकाशित। सम्पर्क–विद्यापुरम, मकरोनिया, सागर–470004 म.प्र.। फोन : 07582-262354, मोबा. 9098571616।
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Criticism / Aalochana, Hard Bound, Top Selling, Travalogues / Yatra Sansmaran
Parsai Ki Khoj / परसाई की खोज – Criticism, आलोचना, संकलन
अनुक्रम
कुछ मैं भी कहना चाहती हूँ –साधना जैन
‘परसाई की खोज’ अभी अधूरी है… –लक्ष्मी पाण्डेय
यह अंक परसाई के ऋण से उऋण होने का अवसर है –कान्तिकुमार जैनखंड…
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