आर.पी. सिंह (रमिन्दर पाल सिंह) – 6 जनवरी 1947 में नाभा (पंजाब) में जन्मे सिंह साहब का जीवन अपने चंचल स्वभाव के कारण भले ही उथल-पुथल भरा था लेकिन अत्यंत आनंददायक रहा। मैट्रिक की परीक्षा के बाद इधर-उधर कई पापड़ बेलने के बाद अंतत: अपने पिता की सहायता से सीखी रेडियोग्राफी (एक्स-रे) को आजीविका का साधन बनाया। फोटोग्राफी और भारतीय संगीत का शौक़ साथ-साथ चलता रहा। बहुत बाद में (लगभग 60 वर्ष की आयु में) साहित्य का चस्का ऐसा लगा कि अब वे इसके बिना जीवन की कल्पना नहीं कर सकते। आजकल अपने साहित्यिक मित्रों की संगति में जीवन गुज़ार रहे हैं। उर्दू से देवनागरी में लिप्यंतरण का यह उनका पहला कार्य है।

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