#मुनीश नारायण सक्सेना
मकसीम गोरिकी के उपन्यास ‘माँ’ को हिन्दी में अनुवाद करने वाले अनुवादक मुनीश नारायण सक्सेना का जन्म 22 जून 1925 को लखनऊ में हुआ। लखनऊ यूनिवर्सिटी में शिक्षा ग्रहण करने के दौरान ही वे कम्युनिस्ट बन गये और वहीं से एम.ए. करके वे कम्युनिस्ट पार्टी के होल टाइमर के रूप में मुम्बई में काम करने लगे। मुम्बई में उन्होंने ब्लिट्ज साप्ताहिक अख़बार के हिन्दी और उर्दू के संस्करण शुरू किये और उनका सम्पादन किया। बाद में उन्होंने दिल्ली से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का अख़बार ‘जनयुग’ भी शुरू किया। उन्होंने लम्बे समय तक राष्ट्रीय श्रम संस्थान की अकादमिक पत्रिका का सम्पादन किया। 1981 से 1984 तक मुनीश नारायण सक्सेना मास्को में रहे। इन चार सालों में ही उन्होंने अलिकसान्दर पूश्किन, फ़्योदर दस्तोएवस्की, निकअलाई गोगल और मकसीम गोरिकी के उपन्यासों व कहानियों के अनुवाद किये। ‘माँ’ का अनुवाद उन्होंने इससे भी पहले तब किया था, जब वे दिल्ली में रह रहे थे। मास्को का मौसम उन्हें रास नहीं आया। इसलिए जुलाई 1985 में वे दिल्ली वापिस लौट गये। दिल्ली में 08 अगस्त 1985 को हृदयाघात से मुनीश नारायण सक्सेना का देहान्त हो गया।
उन कुछ किताबों की सूची जिनका अनुवाद मुनीश नारायण सक्सेना ने किया– 1. मकसीम गोरिकी का उपन्यास ‘माँ’। 2. मकसीम गोरिकी की आत्मकथा का पहला हिस्सा ‘बचपन’। 3. मकसीम गोरिकी का उपन्यास ‘वे तीन’। 4. फ़्योदर दस्तोएवस्की का उपन्यास ‘अपराध और दण्ड’। 5. फ़्योदर दस्तोएवस्की का उपन्यास ‘बौड़म’। 6. इवान तुर्गेनिफ़ का उपन्यास ‘कुलीन घराना’। 7. निकअलाय गोगल की ‘कहानियाँ और लघु उपन्यास’। 8. अलिकसान्दर पूश्किन का उपन्यास ‘दुब्रोवस्की : बदला’। 9. सिर्गेय अलिक्सेयेफ़ की ‘रूसी इतिहास की कहानियाँ’। 10. गिओर्गी फ़्रान्त्सोफ़ की पुस्तक ‘दर्शन और समाजशास्त्र’। 11. निकअलाय अस्त्रोवस्की के उपन्यास ‘अग्निदीक्षा’ का ‘दरो रसाल की आज़माइश’ नाम से उर्दू में अनुवाद।
इनके अलावा बच्चों की कुछ किताबों के भी अनुवाद किये।
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