परिचय :
Jacinta Kerketta is a poet, writer, and freelance journalist belonging to an Oraon Adivasi community of West Singhbhum district, Jharkhand. She writes in Hindi. In her poems, Jacinta highlights the injustices committed on the Adivasi communities, along with their struggles.
Her first Bilingual Hindi/ English poetry collection published in 2016 under the title “Angor” by adivan, kolkata. A second Bilingual poetry collection followed in 2018 with the title “Jadon ki Zamin” (Land of Roots) by Bhartiya Jnanpith, new Delhi. Her first poetry collection have also been translated into German, Italian and French. In 2022 her 3rd Hindi poetry collection ” Ishwar and Bazaar” published by Rajkamal Prakashan, New Delhi. Her 4th Hindi poetry collection ” Prem me ped hona” also published by Rajkamal Prakashan, New Delhi.
She is also writing for children by associating with Iktara Trust Bhopal. She has two books published in Hindi from Jugnu Prakashan, Bhopal. “Jacinta ki diary” is published in 2023. And the poetry collection “Jirahul” is published in 2024.
She has communicated with people in many countries on the condition of the Aadivasis of India by reciting poems. She has traveled to America, England, Germany, France, Italy, Switzerland, Austria, Costa Rica, Thailand for poetry recitation and Talk. She has been invited in Haward India conference 2020. Her poems are being read and studied in many countries.
In 2014, she was given the Voice of Asia Recognition Award by Asia Indigenous Peoples Pact, Thailand. In 2022, she is one of the 22 self-made women of India selected by Forbes India. In 2024, she has been honored with the prestigious Omega Resilience Award (Fellowship) given by the organization Commonweal , North America to youth selected from India, Africa, Latin America.
जसिंता केरकेट्टा एक कवि, लेखिका और स्वतंत्र पत्रकार हैं, जो झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के उरांव आदिवासी समुदाय से हैं। वह हिंदी में लिखती हैं। जसिंता अपनी कविताओं में आदिवासी समुदायों पर हो रहे अन्याय के साथ-साथ उनके संघर्षों पर भी प्रकाश डालती हैं।
उनका पहला द्विभाषी हिंदी/अंग्रेजी कविता संग्रह 2016 में “अंगोर” शीर्षक से आदिवाणी, कोलकाता से प्रकाशित हुआ। 2018 में “जड़ों की ज़मीन” (जड़ों की भूमि) शीर्षक के साथ दूसरा द्विभाषी कविता संग्रह भारतीय ज्ञानपीठ, नई दिल्ली द्वारा आया। उनका पहला कविता संग्रह का जर्मन, इतालवी और फ्रेंच में भी अनुवाद किया गया। 2022 में उनका तीसरा हिंदी कविता संग्रह “ईश्वर और बाज़ार” राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित हुआ। 2024 में उनका चौथा हिंदी कविता संग्रह “प्रेम में पेड़ होना” राजकमल प्रकाशन द्वारा प्रकाशित हुआ।
वह इकतारा ट्रस्ट भोपाल के साथ जुड़कर बच्चों के लिए भी लिख रही हैं। जुगनू प्रकाशन, भोपाल से हिंदी में उनकी दो पुस्तकें प्रकाशित हैं। “जसिंता की डायरी” 2023 में प्रकाशित हुई और बच्चों के लिए कविता संग्रह “जिराहुल” 2024 में प्रकाशित हुआ।
उन्होंने कई देशों में भारत के आदिवासियों की स्थिति पर लोगों से संवाद किया और कविता पाठ भी किया। उन्होंने कविता पाठ और संवाद के लिए अमेरिका, इंग्लैंड, जर्मनी, फ्रांस, इटली, स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रिया, कोस्टा रिका, थाईलैंड की यात्रा की। उन्हें हॉवर्ड इंडिया कॉन्फ्रेंस 2020 में आमंत्रित किया गया। कई भारतीय भाषाओं में भी उनकी कविताएं अनुवादित हैं।
वे कई छोटे-बड़े सम्मानों से सम्मानित हैं। 2014 में, उन्हें एशिया इंडिजिनस पीपुल्स पैक्ट, थाईलैंड द्वारा “वॉयस ऑफ एशिया रिकॉग्निशन” अवार्ड दिया गया। 2022 में, वह फोर्ब्स इंडिया द्वारा चुनी गई भारत की 22 स्व-निर्मित महिलाओं में से एक हैं। 2024 में भारतीय भाषा परिषद् ने उन्हें “युवा सम्मान” से सम्मानित किया। उन्हें 2024 में भारत, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका से चुने जाने वाले युवाओं को नॉर्थ अमेरिका की संस्था ‘कोमनवील’ द्वारा दिए जाने वाले प्रतिष्ठित अवार्ड “ओमेगा रिजिलियंस (फेलोशिप)” से भी सम्मानित किया गया।
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Land of the Roots (Poetry in Hindi-English (Diglot) ज़डों की ज़मीन – Jaroo Ki Zameen, Jadon Ki Zameen, Jadon Ki Zameen, Aadivasi Kavityein, Tribal Poetry
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Angor (Poetry in Hindi-English (Diglot) अंगोर (अंग्रेजी-हिन्दी में कविता संग्रह (द्विभाषी)
Author(s) – Jacinta Kerketta
लेखक — जसिंता केरकेट्टाTranslated to English by Bhumika Chawla-d’Souza, Vijay K. Chhabra & Fr. Cyprian Ekka
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