अलिकसान्दर कुप्रीन
1915 में जब पहली बार अलिकसान्दर कुप्रीन का यह दस्तावेज़ी उपन्यास प्रकाशित हुआ तो रूस के साहित्यिक हलकों में तहलका मच गया था क्योंकि यह तात्कालिक रूस में होने वाली वेश्यावृत्ति के बारे में ऐसा सच था, जिसे रूसी समाज देखकर भी अनदेखा करता था। इस किताब में बहुत कुछ ऐसा है, जो आज के रूसी जीवन की भी बखिया उधेड़ता है। रूस में आज भी इन लड़कियों को ‘रात्रिकालीन तितलियाँ’ यानी ‘नचनीए बाबचकी’ कहा जाता है। हालाँकि आज रूस में ‘बरदेल’ यानी वेश्यालय खोलना और उन्हें चलाना एक अपराध माना जाता है, लेकिन फिर भी ‘बरदेल’ खुले हुए हैं और काम कर रहे हैं। हमारी ज़िन्दगी और समाज के काले सच को उजागर करने वाला और इन स्त्रियों की क़िस्मत का विस्तार से वर्णन करने वाला यह एक त्रासद उपन्यास है।
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-27%Select options This product has multiple variants. The options may be chosen on the product pageQuick ViewClassics / क्लासिक्स, Fiction / कपोल -कल्पित, Forthcoming Books / आगामी, Novel / उपन्यास, Paperback / पेपरबैक, Russian Classics / Raduga / Pragati / उत्कृष्ट रूसी साहित्य, Translation (from English or Foreign) / अंग्रेजी अथवा अन्य विदेशी भाषाओं से अनुदित
GARIWALON KA KATRA / गाड़ीवालों का कटरा
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