







Aa Bakwaas Karein (Prose Satire) / आ बकवास करें
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पुस्तक के बारे में
आते ही तोताराम ने कहा– लगता है आज सूरज पश्चिम से उगा है।
हमने कहा– किसी महामानव ने दिन भर हरी झंडी नहीं दिखाई होगी। अंत में लाचार होकर सूरज को उल्टा चक्कर लगाकर पश्चिम से निकलना पड़ा होगा।
बोला– मास्टर, तेरा भी ज़वाब नहीं, जहाँ बात को व्यंजना में लेना होता है वहाँ अभिधा में लेगा और जहाँ अभिधा की बात होगी वहाँ लक्षणा घुसेड़ देगा। मैं मुहावरे में बात कर रहा हूँ।
हमने कहा– तो आज ऐसा क्या हो गया जो सूरज को पश्चिम में उगा दिया। क्या अपनी सात साल की भूलों के लिए माफ़ी माँग ली?
बोला– नहीं, आज मोदी जी ने अपने सबसे बड़े शत्रु की तारीफ़ की।
हमने कहा– मोदी जी तो पूरे देश के प्रधानमंत्री हैं। वे तो सबको साथ लेकर सबका विकास करने वाले महान नेता हैं। वे किसी से क्यों शत्रुता रखेंगे।
बोला– देखो, हर एक का कोई न कोई शत्रु होता है। शत्रु के बिना प्रयत्नों को गति और मन को उत्साह नहीं मिलता। संघ के शलाका-पुरुष माधव राव सदाशिव राव गोलवलकर ने अपनी पुस्तक ‘बंच ऑफ़ थॉट्स’ में संघ के तीन शत्रु बताये हैं– मुसलमान, ईसाई और कम्यूनिस्ट। और आज मोदी जी ने इन तीनों की एक साथ प्रशंसा कर दी है। तो यह सूरज का पश्चिम में उगना हुआ कि नहीं?
हमने उत्सुकता से पूछा– वह कैसे?
बोला– केरल मुसलमान, ईसाई और कम्यूनिस्टों का समुच्चय है। तीनों ही वहाँ की राजनीति तय करते हैं। ऐसे केरल की मोदी जी ने प्रशंसा करते हुए कहा है कि वेक्सीन में 10% वेस्टेज की छूट दी गई है जब कि केरल ने कोई वेस्टेज नहीं किया। और मज़े की बात यह रही कि 73 लाख वेक्सीन ऐसी मितव्ययिता से लगाते हुए 87 हजार अतिरिक्त लोगों को निबटा दिया।
हमने कहा– यह केरल की नहीं, प्रकारांतर से केंद्र में भाजपा के मंत्री पीयूष गोयल की तकनीक की प्रशंसा है जिन्होंने कहा था कि ऑक्सीजन मितव्ययिता से काम में ली जानी चाहिए। अपने यहाँ के अनुभवी, व्यापारी किस्म के बुज़ुर्ग लोग कहा करते हैं– जब किसी फंक्शन में मिठाई कम पड़ने लग जाए तो सब्जी में मिर्च और पानी में बर्फ डलवा देनी चाहिए। मिर्च से मुंह जलेगा तो बर्फ का ठंडा पानी खूब पिया जाएगा और ऐसे ही पेट भर जाएगा।
जब गोयल जी ने कहा था तो लोग मज़ाक बनाने लगे थे लेकिन अब उसीकी दाद दे रहे हैं। यही बात अगर कोई विदेशी विशेषज्ञ कहता तो लोग उद्धृत करते। इसीको कहते हैं– घर का जोगी जोगना, आन गाँव का सिद्ध।
बोला– तभी सरकार के टीका विशेषज्ञ जहाँ पहले कहते थे कि दूसरा टीका चार हफ्ते बाद लगवाओ, अब वे 45 दिन बाद की बात करने लगे हैं। सुनने में तो यह भी आ रहा है कि दूसरा टीका छह महीने बाद लगेगा। हो सकता है कल को कह दें कि अगर एक टीका लग गया है तो दूसरे को कोई ज़रूरत नहीं है।
हमने कहा– इसी सिद्धांत के अनुसार ही तो पिछले लॉक डाउन में उत्तर प्रदेश में दस किलो गेहूँ की जगह साढ़े आठ किलो और एक किलो चने की जगह आठ सौ ग्राम चने में लाखों लोगों को निबटा दिया गया था। तभी तो कहा है– बाँटन वारे को लगे ज्यों मेहंदी को रंग।
06-05-2021
…इसी पुस्तक से…
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Description
Description
रमेश जोशी
18 अगस्त 1942 को शेखावाटी के शिक्षा और संस्कृति की दृष्टि से समृद्ध कस्बे चिड़ावा (झुंझुनू-राजस्थान) में जन्म।
राजस्थान विश्वविद्यालय से एम. ए. हिंदी और रीजनल कॉलेज ऑफ़ एजुकेशन, भोपाल से बी.एड.।
40 वर्षों तक प्राथमिक विद्यालयों से महाविद्यालय तक भाषा-शिक्षण के बाद 2002 में केंद्रीय विद्यालय संगठन से सेवा-निवृत्त।
शिक्षण के दौरान पोरबंदर से पोर्टब्लेयर तक देश के विभिन्न भागों की संस्कृति और जीवन से जीवंत परिचय ने सोच को विस्तार और उदारता प्रदान की।
1958 में साप्ताहिक हिंदुस्तान में प्रकाशन से छपने का सिलसिला शुरू हुआ जो कमोबेश नियमित-अनियमित रूप से 1990 तक चलता रहा। इसके बाद नियमित लेखन।
अपने समय की लगभग सभी प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित, अब भी कई समाचार पत्रों में कॉलम लेखन।
अब तक व्यंग्य विधा में गद्य-पद्य की दर्जनों पुस्तकें प्रकाशित।
अनेक सम्मानों और पुरस्कारों से अलंकृत।
दो शोधार्थी व्यंग्य साहित्य पर शोधरत।
पिछले 22 वर्षों से अमरीका में आवास-प्रवास।
2012 से अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति अमरीका की त्रैमासिक पत्रिका ‘विश्वा’ का संपादन।
ब्लॉग : jhoothasach.blogspot.com
संपर्क : भारत : दुर्गादास कॉलोनी, कृषि उपज मंडी के पास, सीकर-332-001 (राजस्थान) # 094601-55700
अमरीका : 10046, PARKLAND DRIVE, TWINSBURG, O.H., U.S.A. 44087 # 330-989-8115
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