







Apni Apni Lanka (Kundaliya Sanklan) / अपनी-अपनी लंका (आज़ादी के अमृत महोत्सव पर प्रकाशित)
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पुस्तक के बारे में
अपनी-अपनी लंका
जब कुर्सी दरकार थी तब भजते थे राम।
कुर्सी मिलते ही हुए सबको राम हराम।
सबको राम हराम, छोड़ सब लज्जा, शंका।
लगे बनाने सब अपनी सोने की लंका।
कह जोशी कविराय अपहृता लोक-जानकी।
जाने कब से देख रही है बाट राम की।
नई सदी में
पाँच दशक में हो गया सारा राज सुराज।
घुसी तेल में ‘ड्राप्सी’, दुर्लभ आलू-प्याज।
दुर्लभ आलू-प्याज, दूध पानी से सस्ता।
पतली होती कभी, तो कभी हालत खस्ता।
कह जोशी कविराय देखना नई सदी में।
मछली बचे न एक, ग्राह ही ग्राह नदी में।
बिन चाबी का ताला
(त्रिशंकु पार्लियामेंट की संभावना, सभी जोड़-तोड़ में जुटे- 13-3-1998)
सब को सुख की चाहना, सबको बिसरे राम।
सिंहासन के वास्ते सीढ़ी बने तमाम।
सीढ़ी बने तमाम, नायडू चंदर बाबू।
जो कोई मिल जाय उसी को कर लो काबू।
कह जोशी कविराय संग बंसी-चौटाला।
रहे ‘महाजन’ खोल बिना चाबी का ताला।
…इसी पुस्तक से…
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Description
Description
रमेश जोशी
18 अगस्त 1942 को शेखावाटी के शिक्षा और संस्कृति की दृष्टि से समृद्ध कस्बे चिड़ावा (झुंझुनू-राजस्थान) में जन्म।
राजस्थान विश्वविद्यालय से एम. ए. हिंदी और रीजनल कॉलेज ऑफ़ एजुकेशन, भोपाल से बी.एड.।
40 वर्षों तक प्राथमिक विद्यालयों से महाविद्यालय तक भाषा-शिक्षण के बाद 2002 में केंद्रीय विद्यालय संगठन से सेवा-निवृत्त।
शिक्षण के दौरान पोरबंदर से पोर्टब्लेयर तक देश के विभिन्न भागों की संस्कृति और जीवन से जीवंत परिचय ने सोच को विस्तार और उदारता प्रदान की।
1958 में साप्ताहिक हिंदुस्तान में प्रकाशन से छपने का सिलसिला शुरू हुआ जो कमोबेश नियमित-अनियमित रूप से 1990 तक चलता रहा। इसके बाद नियमित लेखन।
अपने समय की लगभग सभी प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित, अब भी कई समाचार पत्रों में कॉलम लेखन।
अब तक व्यंग्य विधा में गद्य-पद्य की दर्जनों पुस्तकें प्रकाशित।
अनेक सम्मानों और पुरस्कारों से अलंकृत।
दो शोधार्थी व्यंग्य साहित्य पर शोधरत।
पिछले 22 वर्षों से अमरीका में आवास-प्रवास।
2012 से अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति अमरीका की त्रैमासिक पत्रिका ‘विश्वा’ का संपादन।
ब्लॉग : jhoothasach.blogspot.com
संपर्क : भारत : दुर्गादास कॉलोनी, कृषि उपज मंडी के पास, सीकर-332-001 (राजस्थान) # 094601-55700
अमरीका : 10046, PARKLAND DRIVE, TWINSBURG, O.H., U.S.A. 44087 # 330-989-8115
E-MAIL : joshikavirai@gmail.com
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