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LOKTANTRA KA BLUE WHALE GAME (Prose Satire) / लोकतंत्र का ब्लू व्हेल गेम

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Language: Hindi
Pages: 168
Book Dimension: 5.5″x8.5″

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पुस्तक के बारे में

…यह भी कोई बात हुई। दिवाली हो और पटाखे न हों। प्रदूषण का क्या है पटाखों से न फैलेगा तो कारों से फैलेगा और नहीं तो नेताओं के दुष्टता भरे जुमलों से फैलेगा। जीवन-मरण का क्या है। वे तो विधि के हाथ हैं। और फिर कौन अमर है? जो आया है सो आज नहीं तो कल जाएगा ही। लेकिन आस्था? उस पर आँच नहीं आनी चाहिए। शास्त्रों में कहा गया है कि दिवाली पर पटाखे चलाना अनिवार्य है। अब ऐसे में न्यायालय लोगों को शास्त्र विरुद्ध आचरण करने को विवश करे, यह कहाँ की बात हुई। इसके बारे में तो भगवान तथागत जो आजकल मणिपुर के राज्यपाल हैं, कहते हैं कि यदि दिवाली पर पटाखों से ध्वनि प्रदूषण होता है तो मुसलमानों की नमाज भी बंद करवाओ। उससे भी तो ध्वनि प्रदूषण फैलता है। नमाज न हुई पटाखे हो गए। फिर सारी रात लाउडस्पीकर लगाकर जागरण को क्या कहा जाए, यह भी कोई उनके जैसा ज्ञानी ही बता सकता है।
हमने तोताराम से कहा– बन्धु, अब हमारे सेवक ऊपर जाकर भगवान को क्या मुँह दिखाएँगे जब भगवान पूछेंगे कि दिवाली पर पटाखे न चल़ाने जैसा जघन्य पाप तुम्हारे शासन में क्यों हुआ?
तोताराम बोला– चिंता की कोई बात नहीं, अब हमारे विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री हर्ष वर्द्धन जी ने वैज्ञानिकों को प्रदूषण न फ़ैलाने वाले पटाखे बनाने का काम दिया है।
हमने कहा– यह कैसे हो सकता है? ऐसी कौन सी गाय होगी जो दूध तो दे लेकिन गोबर न करे। नेता लफ्फाजी, झूठ, हेराफेरी से रहित कैसे हो सकता है। मूली खाएँ और सड़ी डकार न आए यह कैसे हो सकता है? यह कैसे हो सकता है कि कुत्ता दम न हिलाए और बंदर शांति से बैठा रहे या मोदी जी हर कमी और बुराई के लिए कांग्रेस और नेहरू-गाँधी परिवार को दोषी न ठहराएँ।
…इसी पुस्तक से…

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Description

रमेश जोशी

18 अगस्त 1942 को शेखावाटी के शिक्षा और संस्कृति की द‍ृष्‍टि से समृद्ध कस्बे चिड़ावा (झुंझुनू-राजस्थान) में जन्म।
राजस्थान विश्‍वविद्यालय से एम. ए. हिंदी और रीजनल कॉलेज ऑफ़ एजुकेशन, भोपाल से बी.एड.।
40 वर्षों तक प्राथमिक विद्यालयों से महाविद्यालय तक भाषा-शिक्षण के बाद 2002 में केंद्रीय विद्यालय संगठन से सेवा-निवृत्त।
शिक्षण के दौरान पोरबंदर से पोर्टब्लेयर तक देश के विभिन्‍न भागों की संस्कृति और जीवन से जीवंत परिचय ने सोच को विस्तार और उदारता प्रदान की।
1958 में साप्ताहिक हिंदुस्तान में प्रकाशन से छपने का सिलसिला शुरू हुआ जो कमोबेश नियमित-अनियमित रूप से 1990 तक चलता रहा। इसके बाद नियमित लेखन।
अपने समय की लगभग सभी प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित, अब भी कई समाचार पत्रों में कॉलम लेखन।
अब तक व्यंग्य विधा में गद्य-पद्य की दर्जनों पुस्तकें प्रकाशित।
अनेक सम्मानों और पुरस्कारों से अलंकृत।
दो शोधार्थी व्यंग्य साहित्य पर शोधरत।
पिछले 22 वर्षों से अमरीका में आवास-प्रवास।
2012 से अंतर्राष्‍ट्रीय हिंदी समिति अमरीका की त्रैमासिक पत्रिका ‘विश्‍वा’ का संपादन।
ब्लॉग : jhoothasach.blogspot.com
संपर्क : भारत : दुर्गादास कॉलोनी, कृषि उपज मंडी के पास, सीकर-332-001 (राजस्थान) # 094601-55700
अमरीका : 10046, PARKLAND DRIVE, TWINSBURG, O.H., U.S.A. 44087 # 330-989-8115
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