







Nibahe Parat Hai (Bagheli Laghukathain) / निबाहे परत है (बघेली लघुकथाएँ)
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पुस्तक के बारे में
किसी भी विधा पर अधिकाधिक विमर्श, उसकी उन्नति का हेतु बनता है, किन्तु आज की स्थिति में नवगीत और लघुकथा दोनों ही विधाओं में रचना हेतु एक अनकही सी जंग छिड़ी हुई दिखती है। कइयों ने तो ‘सोसल मीडिया’ पर बाकायदा अपने-अपने मठ स्थापित कर रखे हैं और उस मठ के स्वयम्भू मठाधीस भी बन बैठे हैं। ऐसी दशा में सबसे अधिक प्रतिकूल प्रभाव उन नवोदितों पर पड़ता है, जो इन विधाओं में रचना करने के इच्छुक दिखते हैं।
बघेली में नवगीत विधा का श्रीगणेश तो अनूप अशेष द्वारा किया जा चुका था, किन्तु लघुकथा का खाता खुलने में बहुत देर लगी। वर्ष 2020 में इस ओर गम्भीरता से विचार करने के बाद कुछ प्रयास किये गये और वर्ष 2021 में बघेली बोली के दो लघुकथा संग्रह प्रकाश में आये। सुखद कहा जायेगा, कि इस दिशा में कुछ उत्साही रचनाकारों ने अनवरत सृजन जारी रखा और बघेली के कथा-साहित्य में लघुकथाओं की सार्थक उपस्थिति दर्ज करायी।
वर्ष 2023 की संकल्पना ‘बघेली कथा-साहित्य वर्ष’ के रूप में करने के बाद यह जरूरी लगा, कि कथा-साहित्य की उपन्यास, कहानी और लघुकथा, तीनों विधाओं के सम्यक विकास हेतु कार्य किया जाय। उपन्यास लेखन इस अल्पावधि में होना सम्भव नहीं था, किन्तु कहानी और लघुकथा को गति दी जा सकती थी।
इसे उल्लेखनीय सफलता कहा जायेगा, कि बघेली के कथाकारों ने उत्साहपूर्वक इस संकल्पना को मूर्त करने में बढ़-चढ़कर अपनी भागीदारी दर्ज करायी। परिणामस्वरूप बघेली कथा-साहित्य की दस पुस्तकों का प्रकाशन अकेले वर्ष 2023 में सम्भव कर दिखाया। इस संकल्पना वर्ष में बघेली कथा-साहित्य के अन्तर्गत शंकर सिंह ‘दर्शन’ का यह लघुकथा संग्रह ‘निबाहे परत है’, ‘बघेली कथा-साहित्य वर्ष’ के दशम् पुष्प के रूप में सुधी पाठकों और आलोचकों के बीच आ रहा है।
प्रत्येक रचनाकार के चिन्तन का अपना एक दायरा होता है। रचनाकार का वातावरण, उसका परिवेश उसकी रचनाओं में मुखरित होता है। शंकर सिंह ‘दर्शन’ मूलतः बघेली अंचल में रचे-बसे एक उत्साही रचनाकार हैं, जिन्होंने लेखनी तो बहुत पहले उठा ली थी, किन्तु लेखनी को दिशा अब दे पाये। ‘बघेली कथा-साहित्य वर्ष’ के इस अनुष्ठान में उत्साहपूर्वक उनका अपनी लघुकथाओं के साथ सम्मिलित होना, बघेली कथा-साहित्य के विकास की दिशा में शुभ संकेत है।
अपने कलेवर में सत्तर लघुकथाओं को समेटे उनका यह संग्रह ‘निबाहे परत है’, उनकी वैयक्तिक अनुभूतियों और अभिव्यक्तियों का दस्तावेज है। साहित्य की कसौटियों के आईने में देखने पर किसी भी रचना में उसकी अनेक खामियों को चिन्हित किया जा सकता है, किन्तु उनकी पहली पुस्तक के रूप में इस संग्रह की लघुकथाओं का आस्वाद लेने में सुखद अनुभूति होगी।
— डॉ. राम गरीब पाण्डेय ‘विकल’
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