Sale

Kothi Bhar Dhan (Collection of Short Stories of Tribal & Women Milieu) / कोठी भर धान (स्त्री और आदिवासी जनजीवन की कहानियाँ)

195.00299.00

FREE SHIPMENT FOR ORDER ABOVE Rs.149/- FREE BY REGD. BOOK POST

Language: Hindi
Book Dimension: 5.5″x8.5″

Amazon : Buy Link

Flipkart : Buy Link

Kindle : Buy Link

NotNul : Buy Link

पुस्तक के बारे में

आदिवासी स्त्रियाँ अपने घरों की ओट से राजकुमारी को देख कर धन्य हो जातीं पर आदिवासी पुरुष राजकुमारी की ओर देखने की हिम्मत तक नहीं कर पाते वैसे भी प्रकृति ने उन्हें कोई चोर नजर दी ही नहीं थी, वे जिस सौन्दर्य को देखते भरपूर नजर से देखते, उनके लिए वनफूलों, पक्षियों, हिरनों, मछलियों का सौन्दर्य ही पर्याप्त था।
तोते की बातें सुनते हुए मैना की आँखें भर आयीं। क्या यह प्रेम का अन्त था जब राजकुमारी मैगनोलिया ने पश्‍चिम दिशा की उस पहाड़ी खाई से कूदकर अपनी जान दे दी थी, उसका मूक साक्षी उसका कत्थई रंग का घोड़ा था जो उस खाई की कगार पर खड़ा पूरी रात आँसू बहाता रहा, उसके बाद उस घोड़े को किसी ने नहीं देखा, जाने वह किस अनंत यात्रा पर, किस रास्ते चला गया। उसी जगह पर पर्यटक जैसे रोज संध्या को एकत्र होकर मैगनोलिया और गूंगे चरवाहे के प्रेम में नतमस्तक होते हैं, जैसे उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हों और मुँह से निकलता है– “वाव कितना खूबसूरत सनसेट” लेकिन सूरज कभी नहीं डूबता, जैसे प्रेम का अन्त कभी नहीं होता, दोनों शाश्‍वत हैं, इसीलिए तो गूंगे चरवाहे और राजकुमारी मैगनोलिया का प्रेम और तोता-मैना का प्रेम अमर हो गया।
बिन माँ-बाप के उस गूंगे बच्चे को उसके मामा-मामी ने पाल-पोस कर बड़ा किया था, पेज-पसिया और कंदमूल में जाने कैसी पौष्‍टिकता थी कि बालक की आँखें चमकीली, बाल घुँघराले, चमकदार और शरीर गठीला बन गया, लेकिन कुदरत ने उसके साथ निष्‍ठुरता भी तो की थी उसकी आवाज छीनकर, पर बालक ने अपने हुनर से उस कमी को भी बाँसुरी की मधुर स्वरलहरी से जैसे पूर्ण कर लिया था।

… इसी पुस्तक से…

 स्त्री-पुरुष के बीच सम्बन्धों में बदलाव आया है, बहुत कुछ बदला है लेकिन स्त्रियों की दशा में उस तरह से बदलाव नहीं आया है जैसा कि किसी सभ्य और सुसंस्कृत समाज से अपेक्षा की जाती है। देशकाल के अनुरूप वैश्‍विक स्तर पर उसका स्वरूप थोड़ा भिन्‍न हो सकता है, लेकिन स्त्री के शोषण की कहानी मानव-विकास के प्रारंभिक दौर से लेकर आज तक अनवरत चली आ रही है। क्या वजह है कि पढ़ा-लिखा सभ्य समाज भी इस समस्या से नहीं उबर पाता!
‘स्त्री-पुरुष एक ही गाड़ी के दो पहिये हैं’; ‘स्त्री के बिना पुरुष अधूरा है’ ऐसी नैतिक शिक्षा और श्लोगनों के बाद भी स्त्री की स्वतन्त्रता बाधित होती है। मातृशक्ति का गुणगान सिर्फ आदमी की जिह्वा पर है हृदय में नहीं। स्त्री को पितृसत्ता के समक्ष झुकने के लिए पूरा समाज दबाव बनाता है, यहाँ तक कि कभी-कभी स्त्री स्वयं उसके समर्थन में खड़ी दीख पड़ती है, सम्भव है उसके पीछे भी पुरुष का हाथ हो, वहीं पुरुष पक्ष से भी स्त्री-मुक्ति का स्वर समय-समय पर उभर कर आता है। यह बात एक उम्मीद जगाती है कि स्त्री-पुरुष एक-दूसरे के विरोधी नहीं हैं, दुश्मन नहीं हैं लेकिन इस समझ को और विकसित करने की आवश्यकता है। अक्सर यह देखने में आता है कि पति-पत्‍नी आपसी सामंजस्य से सुखमय जीवन जीना चाहते हैं, इसकी शुरुआत भी करते हैं लेकिन परिवार, समाज या रिश्तेदार उसे पितृसत्ता के वशीभूत पत्‍नी की बात मानने वाले, पत्‍नी से प्रेम करने वाले पति को ‘जोरू का ग़ुलाम’ कहने लगते हैं जिससे उसका पुरुष अहंकार आहत हो जाता है। पितृसत्ता का अहं स्त्री-पुरुष के बीच के अन्य सम्बन्धों में भी झलकता है चाहे वह सम्बन्ध प्रेमी-प्रेमिका, पिता-पुत्री, भाई-बहन, माँ-बेटा का हो या नौकरीपेशा स्त्री का कार्यस्थल हो, मेरी कहानियाँ वहाँ से निकल कर आती हैं।
भारतीय समाज में जातिवाद की जड़ें बहुत गहरी और मज़बूत हैं, हमारा पढ़ा-लिखा सभ्य होना जातिवाद की इस जड़ को हिलाता ज़रूर है पर उसे उखाड़ फेंकने की क्षमता उसमें अभी नहीं आयी।

SKU: N/A

Description

पुस्तक के बारे में

विश्‍वासी एक्‍का
जन्म : 01 जुलाई 1973, बटईकेला, सरगुजा (छत्तीसगढ़)।
शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी), पीएच. डी.
कृतियाँ : कजरी (कहानी-पुस्तिका), नेशनल बुक ट्रस्ट इंडिया, नयी दिल्ली, वर्ष 2017; लछमनिया का चूल्हा (कविता-संग्रह), प्यारा केरकेट्टा फाउंडेशन, राँची, वर्ष 2018;
मौसम तो बदलना ही था (कविता-संग्रह) रश्मि प्रकाशन, लखनऊ, (उ.प्र.) वर्ष 2021;
कुहुकि-कुहुकि मन रोय (उपन्यास), अनुज्ञा बुक्स, दिल्ली वर्ष 2023; संप्रति : सहायक प्राध्यापक, शासकीय राजमोहिनी देवी कन्या स्‍नातकोत्तर महाविद्यालय अम्बिकापुर, सरगुजा (छ.ग.)।

मो. : 9340382843

ई-मेल : vishwasi.ekka1@gmail.com

Additional information

Weight N/A
Dimensions N/A
Product Options / Binding Type

,

Related Products