







Vaishvikaran aur Hindi-Bangla Lekhikaon ka Katha Sahitya / वैश्वीकरण और हिन्दी-बंगला लेखिकाओं का कथा साहित्य (1990-अद्यतन)
₹600.00 Original price was: ₹600.00.₹350.00Current price is: ₹350.00.
FREE SHIPMENT FOR ORDER ABOVE Rs.149/- FREE BY REGD. BOOK POST
Read eBook in Mobile APP
पुस्तक के बारे में
जब तक शोषित हैं, तब तक उनके प्रतिरोध के स्वर उठते रहेंगे और सुने जायेंगे। अवधारणा, चिंतन और विमर्श बदलते जायेंगे पर समाज में अन्याय का विरोध होता रहेगा। साहित्य में विरोध के स्वरों की एकजुटता और दूरी को समझने में तुलनात्मक अध्ययन बड़ा कारगर सिद्ध होता है। रजनी रजक की यह पुस्तक उदारीकरण के दौर में हिन्दी और बंगला कथा साहित्य में लेखिकाओं द्वारा सम्बोधित विषय के वैविध्य को परिश्रमपूर्वक सामने लाती है। इस पुस्तक में विवेचित हिन्दी और बंगला की लेखिकाओं के कथा साहित्य को वास्तविक संसार में शिक्षा संबंधी, कानून, राजनैतिक भागीदारी और बाज़ार के आंकड़ों के बरक्स विश्लेषित करने का प्रयास किया गया है। हिन्दी की कथा लेखिकाएं उच्च और उच्च मध्यवर्ग की विलासबहुलता से घिरी स्त्री के मनोसंताप की दुनिया से दूरी बरतकर बहुसंख्यक स्त्री के संघर्ष से जुड़ने में अधिक सफल रही हैं। यह पुस्तक हमें बताती है कि हिन्दी की तुलना में बंगला की लेखिकाऐं पति-पत्नी संबंध और तलाक आदि पर लिख रही हैं। वैश्वीकरण के अति तीव्र समय में हिन्दी कथा साहित्य की लेखिकाओं ने स्त्री की वह नई भाषा गढ़ी है जिससे वह समानता के प्रश्नों को आत्मविश्वास से पूछ सके। पिछले तीन दशकों में दोनों भाषाओं की लेखिकाओं के निरंतर समृद्ध होते कथा संसार का यह तुलनात्मक अध्ययन अपनी तटस्थता के कारण प्रशंसनीय है।
– प्रो. रूपा गुप्ता
- Description
- Additional information
Description
Description
रजनी रजक
1 अक्टूबर, 1985 को उत्तर 24 परगना जिला के श्यामनगर (पश्चिम बंगाल) में जन्मी रजनी रजक ने कलकत्ता विश्वविद्यालय से एम.ए. (हिन्दी) और वर्धमान विश्वविद्यालय से पीएच.डी. की उपाधि अर्जित की हैं। कुछ प्रमुख पत्रिकाओं में स्त्री विमर्श व अन्य विषय पर आलेख प्रकाशित हुए हैं। अध्ययन में विशेष रूचि रखती हैं। हिन्दी के अतिरिक्त बंगला साहित्य में भी अभिरूचि है।
सम्प्रति – rajak.rajani@gmail.com
Additional information
Additional information
Weight | 500 g |
---|---|
Dimensions | 10 × 7 × 0.75 in |
Product Options / Binding Type |
Related Products
-
-29%Select options This product has multiple variants. The options may be chosen on the product pageQuick ViewAutobiography / Memoirs / Aatmkatha / Sansmaran / आत्मकथा / संस्मरण, Criticism Aalochana / आलोचना, Fiction / कपोल -कल्पित, Hard Bound / सजिल्द, Linguistics / Grammer / Dictionary / भाषा / व्याकरण / शब्दकोश, Paperback / पेपरबैक, Poetics / Sanskrit / Kavya Shashtra / काव्यशास्त्र / छंदशास्त्र / संस्कृत, Poetry / Shayari / Ghazal / Geet — कविता / शायरी / गज़ल / गीत, Stories / Kahani / कहानी, Top Selling, Tribal Literature / आदिवासी साहित्य
MeenI Bhasha aur Sahitya / मीणी भाषा और साहित्य – Tribal Literature, आदिवासी विमर्श, आदिवासी साहित्य
₹250.00 – ₹300.00 -
-47%Select options This product has multiple variants. The options may be chosen on the product pageQuick ViewCriticism Aalochana / आलोचना, Discourse / Vimarsh / विमर्श, Hard Bound / सजिल्द, Sanchayan / Essays / Compilation संचयन / निबंध / संकलन (Anthology)
Jainendra ke Upanyas : Mulyon ki Arthvatta aur Jeewan Sandarbh / जैनेन्द्र के उपन्यास : मूल्यों की अर्थवत्ता और जीवन संदर्भ
₹900.00Original price was: ₹900.00.₹480.00Current price is: ₹480.00. -
Criticism Aalochana / आलोचना, Dalit Vimarsh / दलित विमर्श, Hard Bound / सजिल्द, Top Selling
Dalit Sandarbh aur Hindi Upanyas (Dalit aur gair Dalit Upanyaskaron ke Tulnatmak…) दलित संदर्भ और हिंदी उपन्यास (दलित और गैरदलित उपन्यासकारों के…) – Hindi Dalit Aalochana
₹750.00Original price was: ₹750.00.₹490.00Current price is: ₹490.00. -
Criticism Aalochana / आलोचना, Linguistics / Grammer / Dictionary / भाषा / व्याकरण / शब्दकोश, Paperback / पेपरबैक, Renaissance / Navjagran / Rashtravad / नवजागरण / राष्ट्रवाद, Top Selling
Rashtriyat ki Avdharna aur Bhartendu Yugin Sahityaराष्ट्रीयता की अवधारणा और भारतेंदु युगीन साहित्य
₹225.00Original price was: ₹225.00.₹200.00Current price is: ₹200.00.