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Chhayavad aur Pt. MukutDhar Pandey <br> छायावाद और पं. मुकुटधर पांडेय

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Language: Hindi
Book Dimension: 5.5″x8.5″

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Editor(s) & Foreword — Bharat Bhardwaj, Sadhna Aggarwal
सम्पादन एवं भूमिका –
भारत भारद्वाज, साधना अग्रवाल

| ANUUGYA BOOKS | HINDI | 124 Pages |
| 5 x 8 Inches | 300 grams

SKU: 978-81-19019-31-1
: Hard Bound
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Original price was: ₹400.00.Current price is: ₹290.00.

Description

पुस्तक के बारे में

आधुनिक हिन्दी-काव्य की चर्चित प्रवृति ‘छायावाद’ का उल्लेख तो साहित्येतिहास की प्राय: हर पुस्तक में हुआ है, लेकिन ‘छायावाद’ शब्द की खोज करने वाले पं. मुकुटधर पांडेय को लगभग हम भूल गए। पांडेयजी की ‘छायावाद’ से सम्बन्धित एक लेखमाला जबलपुर (म.प्र.) से 1920 ई. में प्रकाशित ‘श्रीशारदा’ के चार अंकों में, जुलाई से दिसम्बर तक, प्रकाशित हुई थी। सचमुच यह चौंकाने वाली बात है कि डॉ. नामवर सिंह ने परिश्रमपूर्व ‘श्रीशारदा’ की पुरानी फाइल ढूँढ़कर अपनी पुस्तक ‘छायावाद’ (1955) में संभवत: पहली बार इस लेखमाला की नोटिस ली। इसके बाद त्रैमासिक ‘आलोचना’ (जुलाई-सितम्बर 1972) में हिन्दी के सुपरिचित आलोचक डॉ. नंदकिशोर नवल का विचारोत्तेजक लेख ‘छायावाद और पं. मुकुटधर पांडेय’ छपा। इसके पूर्व डॉ. नवल, पांडेय जी से ‘छायावाद’ के सम्बन्ध में पत्राचार 1967 में कर चुके थे। पांडेय जी का प्रश्‍नोत्तर इस पुस्तक में संकलित है। पं. मुकुटधर पांडेय की पुस्तक ‘हिन्दी में छायावाद’, ‘श्रीशारदा’ में प्रकाशित होने के लगभग 64 वर्षों बाद 1984 ई. में प्रकाशित हुई। इस पुस्तक के छपने का भी दिलचस्प इतिहास है। यदि साहित्यकार क्षेमचंद्र ‘सुमन’ (साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली से अवकाश-प्राप्त अधिकारी एवं शिवदान सिंह चौहान द्वारा संपादित त्रैमासिक ‘आलोचना’ के प्रवेशांक (अक्तूबर 1951 में सहायक संपादन) पांडेय जी के पीछे नहीं पड़ते तो यह पुस्तक कभी निकल नहीं पाती। पांडेय जी (1895 ई.-1989 ई.) को लम्बी उम्र मिली थी, इसलिए इसे पुस्तकाकार देख सके। वस्तुत: प्रस्तुत पुस्तक ‘छायावाद’ पर नये तथ्यों के आलोक में शोधपरक पुस्तक है।
कहना न होगा ‘छायावाद’ एक ओर जहाँ राष्‍ट्रीय नवजागरण की काव्यात्मक अभिव्यक्ति है, तो दूसरी ओर प्रचलित परम्परागत रुढ़ियों की कविता से मुक्ति भी।

Additional information

Weight 400 g
Dimensions 8.5 × 5.5 × 0.5 in
Product Options / Binding Type

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