







Bin Dyodi ka Ghar (Part-2) (Novel) / बिन ड्योढ़ी का घर (भाग-2) (उपन्यास) – Tribal Hindi Upanyas
₹200.00
FREE SHIPMENT FOR ORDER ABOVE Rs.149/- FREE BY REGD. BOOK POST
Read eBook in Mobile APP
Amazon : Buy Link
Flipkart : Buy Link
Kindle : Buy Link
NotNul : Buy Link
Author(s) – Urmila Shukla
लेखिका — उर्मिला शुक्ल
| ANUUGYA BOOKS | HINDI | 156 Pages |
- Description
- Additional information
Description
Description
…पुस्तक के बारे में…
कहानी ख़त्म नहीं होती। युगों-युगों से चली आ रही कथा को ख़त्म करना किसी के बस का नहीं क्योंकि जीवन अनन्त है। जब तक सृष्टि है कहानी जीवन की आधारभूमि पर चलती रहती है। फिर कात्यायनी की कथा कैसे ख़त्म हो जाती? यह तो हमारी अपनी बनाई मान्यता है कि जिस बिन्दु पर उलझनें सुलझने लगती हैं, हम समझते हैं कहानी यहीं तक है, लेकिन क्या सचमुच ऐसा होता है? नज़र घुमाने से मालूम होगा कि उलझनों की, सवालों की और सवालों से उत्पन्न तकलीफ़ों की पीढ़ियाँ चलती हैं, जो अपने नये-नये रूप धरकर हमें चुनौती देने लगती हैं। ‘बिन ड्योढ़ी का घर’ भी चुनौतियों से अछूता कैसे रह जाता?
किसी भी उपन्यास का दूसरा भाग लिखना साहस का काम है क्योंकि पुरानी कहानी को नई कथा की तरह, उन्हीं पात्रों के साथ नये कलेवर में प्रस्तुत करना होता है। उर्मिला शुक्ल ने यह हिम्मत जुटाकर हमें नयी रचना दी है। पाठकों की उत्सुकता ज़रूर रहेगी कि अब समस्याओं का रूप क्या होगा और उन के निवारण के रास्ते क्या बनेंगे?
मेरी शुभकामनाएँ उर्मिला शुक्ल के इस उपन्यास के लिए कि यह पाठकों की दृष्टि में खरा उतरे।
–मैत्रेयी पुष्पा
“कैसे? टुम जाडू बी सीख लिया क्या?”
“एस माय लव? तुम्हारे प्यार ने सब कुछ सिखा दिया? अच्छा अब अपनी आँखें बन्द करो। न। ऐसे नहीं। ऐसे।” नील ने उनकी आँखों पर अपनी हथेली रख, उनकी पलकें बन्द कर दीं। फिर पीछे की दीवार सरकायी और जैसे ही हथेली हटायी, वे ख़ुशी से चिहुँक उठीं। नदी सामने थी। फिर तो वे दौड़कर उसके तट पर जा पहुँचीं और उसके जल में अपना एक पैर डाला। फिर दूसरा। फिर दोनों पैर उठाकर उछलीं “छपाक” पानी के ढेर से छींटे उड़े।
“नील कम! कम हियर।” फिर खुद ही दौड़ आयीं और उसे अपने साथ खींच ले गयीं। उमंग की तरंग में वे देर तक पानी संग अठखेलियाँ करती रहीं। नील को लगा पहले वाली मारिया लौट आयी है। उसकी मुग्ध आँखें निहारती रहीं। वह चाँद की रात थी। सो कुछ ही देर में चाँद भी इतराता हुआ आ पहुँचा और उनके साथ जलक्रीड़ा में निमग्न हो गया। वे कभी आकाश में विचरते चाँद को निहारतीं, तो कभी जल में पड़ती चाँद की परछाई को पकड़ने की कोशिश करतीं। फिर किलकते हुए नील के सीने से जा लगतीं। कितनी रात बीत चुकी थी, यह जानने की न तो फुरसत थी और न ही कोशिश। सो जब वे अठखेलियाँ करते थक गयीं, तो चट्टान पर लेट गयीं। फिर तो चाँदनी से नहायी नदी की कोमल उर्मियाँ आतीं और उन्हें भिगो जातीं। नील को लगा जैसे वे कोई जलपरी हों। कुछ देर अपलक निहारा, फिर बढ़कर अपने में समेट लिया।
“मारिया!”
“हूँ।”
“वो जो चाँद है न, आज उसे जलन हो रही होगी।”
“क्यूँ?”
इसलिए कि आज से पहले मैं चाँद रात में, सिर्फ उसे ही निहारा करता था; मगर आज? आज तो मैंने उसे एक बार भी नहीं देखा। जानती हो क्यों?”
“क्यूँ?”
क्योंकि अब मेरा चाँद मेरे पास है?”
“ओह नील! लव यू।”
जब उनकी बाँहों का घेरा भी कसने लगा, तो नील ने उन्हें गोद में उठाया और बाँस के उस तख्त पर बिठा दिया, जो आज उनकी सुहाग सेज थी। फिर जैसे ही आगे बढ़ा, उसके पैर किसी चीज से टकरा गये। देखा उपहार में मिली टोकरी थी। उसने झुककर उठाया। फिर उस पर बिछी छिन्द की परत हटायी, तो एक मीठी सी मादकता भीतर तक उतरती चली गयी। टोकरी जेवरों से भरी थी। महुए के फूलों से भरे मदमाते जेवर। उसने एक लड़ी हाथ में ली। वह एक सुन्दर हवेल थी। एक लड़ में झूलती कई-कई लड़ियाँ। आगे बढ़कर उसे मारिया के गले में पहना दिया। बाजू बन्द, कंगन और अन्य गहनों से अंग-अंग सजते रहे। फिर पायल की बारी आयी। पायल बाँधते हुए नजरें उठीं और बिंध कर रह गयीं। मारिया की भीगी देह, बालों से टपकते मोती, महुए की मदमाती गन्ध और उझक-उझक कर झाँकता चाँद। चाँद और सागर का साथ था। सो ज्वार तो उठना ही था। सुबह मारिया ने महसूसा उसका आँचल सीपियों से भर उठा है।
…इसी पुस्तक से…
Additional information
Additional information
Weight | N/A |
---|---|
Dimensions | N/A |
Product Options / Binding Type |
Related Products
-
-8%Select options This product has multiple variants. The options may be chosen on the product pageQuick ViewFiction / कपोल -कल्पित, Jharkhand / झारखण्ड, Novel / उपन्यास, Paperback / पेपरबैक, Tribal Literature / आदिवासी साहित्य
MODE KE BAAD / मोड़ के बाद – आदिवासी हिंदी उपन्यास
₹299.00Original price was: ₹299.00.₹275.00Current price is: ₹275.00. -
-1%Select options This product has multiple variants. The options may be chosen on the product pageQuick ViewFiction / कपोल -कल्पित, Novel / उपन्यास, Paperback / पेपरबैक
Shyamali – श्यामली – उपन्यास
₹200.00Original price was: ₹200.00.₹199.00Current price is: ₹199.00. -
SaleSelect options This product has multiple variants. The options may be chosen on the product pageQuick ViewFiction / कपोल -कल्पित, Hard Bound / सजिल्द, Novel / उपन्यास, Panchayat / Village Milieu / Gramin / पंचायत / ग्रामीण परिप्रेक्ष्य, Paperback / पेपरबैक, Top Selling, Tribal Literature / आदिवासी साहित्य, Women Discourse / Stri Vimarsh / स्त्री विमर्श
Bin Dyodi ka Ghar (Novel) / बिन ड्योढ़ी का घर (उपन्यास) – Tribal Hindi Upanyas
₹200.00 – ₹375.00 -
Fiction / कपोल -कल्पित, Hard Bound / सजिल्द, Novel / उपन्यास
Ankurit Pathar (Novel)अंकुरित पठार (उपन्यास)
₹250.00Original price was: ₹250.00.₹225.00Current price is: ₹225.00.