







Shaam kI subah / शाम की सुबह
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…पुस्तक के बारे में…
Novel depicting the life of a tribal nurse during Indo-Pak war of 1971
वाल्टर भेंगरा ‘तरुण’ की कलम से निकला उपन्यास “शाम की सुबह” एक ताजगी का अहसास दिलाता है। एक आदिवासी नर्स के जीवन के उथल-पुथल अन्तर्द्वन्द्व को लेखक ने बहुत ही संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। लेखक द्वारा धाराप्रवाह कथा प्रस्तुति पाठक को बाँधकर रखता है। उपन्यास के पात्रों के साथ पाठक को एकाकार करने में लेखक सफल रहा है।
– हिमांशु श्रीवास्तव, वरिष्ठ लेखक, पटना
वाल्टर भेंगरा ‘तरुण’ ने अपने इस उपन्यास में नारी के अन्तर्मन को अपनी सशक्त लेखनी से जीवन्त बना दिया है। एक नर्स के जीवन के उतार-चढ़ाव का ‘तरुण’ ने मार्मिक चित्रण किया है, जो अन्यन्त ही सराहनीय है।
– डॉ. मंजु दुबे, हिन्दी विभाग, ऑरिएन्टल कॉलेज, पटना सिटी
वाल्टर भेंगरा ‘तरुण’ से पाठक ‘लौटती रेखाएँ’ के द्वारा पहले से परिचित हैं। प्रस्तुत उपन्यास ‘शाम की सुबह’ लेखक की तीसरी कृति है। उनकी दूसरी पुस्तक रोजगार के अवसर, उनके पहले कथा-संग्रह ‘लौटती रेखाएँ’ के तुरन्त बाद प्रकाशित हुई। पूर्व दोनों पुस्तकों का पाठकों ने अच्छा स्वागत किया और हमारा पूर्ण विश्वास है कि पाठक उनके उपन्यास शाम की सुबह का भी उसी तरह स्वागत करेंगे।
– फा. प्रताप टोप्पो, एस.जे., प्रकाशक, सत्य भारती प्रकाशन, राँची
… जीवन की विडम्बनाओं से जूझती और अपने कर्तव्य के लिए संघर्षरत एक आदिवासी नर्स की जीवन्त कहानी है यह उपन्यास। इसमें प्रेम, घृणा, प्रलोभन, क्षमा, त्याग सब कुछ है!
…युवा लेखक वाल्टर भेंगरा ‘तरुण’ की सशक्त लेखनी से निकला एक मार्मिक उपन्यास …शाम की सुबह!
– वर्ष 1981 ई. में प्रकाशित उपन्यास से उद्धृत
“हाँ, आबा! इसीलिए मैं नर्स बनना चाहती हूँ!….” सन्ध्या ने अपने भविष्य का फैसला सुनाते हुए कहा।
“बहुत दूर तक सोच लो। यह जीवन तुम निभा सकोगी? एक नर्स का जीवन, उसका काम और उसके कर्तव्य बहुत बड़े होते हैं। उन्हें तुम कर सकोगी?”
“काम और कर्तव्य तो सब लोगों के होते हैं, आबा! फर्क इतना ही है कि कौन कितनी ईमानदारी और परिश्रम के साथ उन्हें पूरा करता है। मेरा जीवन अपने कर्तव्य के लिए सदैव प्रयत्नशील रहेगा।”
… इसी उपन्यास से …
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…लेखक के बारे में…
वाल्टर भेंगरा ‘तरुण’
जन्म : 10 मई, 1947 ई. को तत्कालीन बिहार (अब झारखंड) के राँची जिलान्तर्गत खूँटी प्रखंड के अमृतपुर गाँव में।
शिक्षा : प्रारम्भिक शिक्षा सन्त मिखाएल मिडिल स्कूल, खूँटी में। सन्त जेवियर्स हाई स्कूल लुपुंगुटू, चाईबासा से 1966 ई. में मैट्रिक। सन्त जेवियर्स कॉलेज, राँची से 1970 में स्नातक। पत्रकारिता प्रशिक्षण-नयी दिल्ली से 1972 में।
कार्य – “कृतसंकल्प” युवा मासिक, पटना का सम्पादन अक्टूबर 1972 से 1980 तक।
प्रकाशित कृतियाँ : कहानी-संग्रह – विकल्प, लौटते हुए, देने का सुख, जंगल की ललकार, अपना-अपना युद्ध और विकल्प। उपन्यास – तलाश, गैंग लीडर, कच्ची कली और लौटते हुए।
सम्पर्क – इग्नेस सदन, 123-ए, अमृतपुर, डाक व जिला-खूँटी- 835210 (झारखंड)
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