Chhatron Soor aur Dharyasheel Bano!–Dr Babashaheb Ambedkar (Speech of Dr Ambedkar in Marathi)छात्रों शूर और धैर्यशील बनो! – डॉ. बाबा साहब अम्बेडकर (डॉ. अम्बेडकर का मराठी में भाषण)

200.00

Language: Hindi
Pages: 80
Book Dimension: 5.5″x8.5″

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अनुक्रम

  • अनुवादक के दो शब्द – प्रा. डॉ. गौतम कुँवर
  • प्राक्कथन – डॉ. सुशीला टाकभौर
  • प्रस्तावना – प्रा. डॉ. सुनिल पानपाटील
  • बहिष्कृत छात्र अपना कर्तव्य समुचित सम्पन्न करें!
  • इसी पर बहिष्कृतों का भविष्य निर्भर है।
  • विपरीत परिस्थिति से जूझकर ही समाज की उन्नति सम्भव!
  • अपनी योग्यता विद्यार्थी दशा में ही विकसित करे!
  • सबको दृढ़ निश्चयपूर्वक और संगठित होकर कूच करना है!
  • शील, सौजन्यविहीन शिक्षित व्यक्ति हिंस्र पशु से क्रूर और भयद!
  • दीर्घोद्योगी और परिश्रम के बल पर ही यश प्राप्ति होती है!
  • मेरे ग्रन्थ को बिलिफ ने हाथ लगाया तो मैं उसे गोली से उड़ा दूँगा!
  • युवकों निर्भय बनो! स्वाभिमान की रक्षा करो!
  • आर्मी, नेवी और एअरफोर्स में भरती हो!
  • शिक्षा की अपेक्षा राजनीति में छात्रों का तल्लीन होना शैक्षिक ह्रास है!
  • अल्पसंख्यकों को समझाया जाना ही चाहिए, उन पर जुल्मी अधिकार नहीं लादे जाने चाहिए!
  • छात्रों शूर और धैर्यशील बनो!
  • क्या शिक्षित युवक समाज की उन्नति करने के लिए कुछ करने वाले हैं?
  • छात्रों को इस बारे में सजग होना चाहिए कि हमारे कल के जीवन का निर्माण विश्वविद्यालय में होता हैै!
  • तब फिर स्वनामधन्य वरिष्ठ वर्ग अपने अस्तित्व को खो बैठेगा
  • सिद्धान्त और व्यवहार का एकत्रीकरण न किया तो वरिष्ठ वर्ग का निपात होने में अधिक समय नहीं लगेगा?
  • अधूरा विद्यार्जन निरुपयोगी होगा
  • विद्या, प्रज्ञा, करुणा, शील और मैत्री इन पंच तत्त्व के अनुसार हर विद्यार्थीयों को अपने चरित्र का निर्माण करना चाहिए।
SKU: 9789386835208

Description

… पुस्तक के बारे में…

विश्वरत्न, भारतरत्न, संविधान निर्माता डॉ. बाबा साहब द्वारा लिखित ग्रन्थों तथा भाषणों का दुनिया की लगभग सभी भाषाओं में अनूदित हो चुके हैं। विश्व के कोने-कोने में उनका साहित्य, विचार पहुँच गए हैं। दुनिया के अनेक महत्त्वपूर्ण विषयों पर डॉ. बाबा साहब ने अपनी स्पष्ट एवं योग्य भूमिका रखी है। अस्पृश्यता, सामाजिक तथा आर्थिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक विषमता, लोकतान्त्रिक व्यवस्था, देश की अर्थ एवं संरक्षणनीति, कानून-व्यवस्था, पार्लमेंट्री पद्धति, जलनीति, कामगार, मजदूरों की समस्या, महिलाओं के प्रश्न वैदिक साहित्य, सिन्धु संस्कृति, इतिहास आदि कई विषयों पर डॉ. बाबासाहब ने अपने महत्त्वपूर्ण विचार व्यक्त किए हैं। डॉ. बाबा साहब ने समस्याओं को जाना, उस पर उपाय भी बताएँ और उसे अमल में लाने का अथक प्रयास किया। हमारे देश में सामाजिक परिवर्तनवादी आन्दोलन की लम्बी परम्परा है। उस परम्परा में बुद्ध, कबीर, छत्रपति शिवाजी महाराज, छत्रपति साहू महाराज और डॉ. बाबा साहब अम्बेडकर आदि का योगदान महत्त्वपूर्ण है। इस परिवर्तनवादी आन्दोलन की परम्परा में डॉ. बाबा साहब को काफी सफलता मिली।
डॉ. बाबा साहब ने अस्पृश्य समाज में स्वाभिमान निर्माण किया। छात्रों को धैर्यशील, शूरवीर, तथा पढ़-लिखकर शीलवान बनाने के लिए अथक प्रयास किया। एक नया समतावादी समाज निर्मिति के लिए अपना पूरा त्याग और समर्पण किया।
डॉ. बाबा साहब ने सामाजिक परिवर्तनवादी, समतावादी आन्दोलन चलाते समय विभिन्न समाचार-पत्रों का सम्पादन भी किया। उन पत्रों के माध्यम से आन्दोलन की गतिविधियाँ समाज तक पहुँचाने का प्रयास किया। सामाजिक जागृति को अपने भाषणों के द्वारा समाज के सभी वर्गों का बौद्धिक प्रबोधन किया। मरे हुए मुर्दों को जिन्दा किया। अस्पृश्यों का प्रबोधन, महिलाओं का प्रबोधन, कामगार मजदूरों का प्रबोधन, छात्रों का प्रबोधन आदि का प्रबोधन किया। देश-विदेश में विद्वानों की सभाओं को सम्बोधित किया। अपनी बुद्धि तथा ज्ञान के माध्यम से उन्नत लोगों की बोलती बन्द कर दी। उन पर गहरा प्रभाव डाला। यही कारण है कि उन्नत कहे जाने वाले बाबा साहब से काफी डरकर रहते थे, उनके साथ बोलते समय अन्य लोग सोच-समझकर बोलते थे। अत: अपनी प्रतिभा के बल पर समाज के विभिन्न वर्गों को, विद्वानों को प्रभावित किया। अत: उनके विचारों से छात्र लोग काफी मात्रा में प्रभावित हुए। उनमें परिवर्तन हुआ। अस्पृश्य माने गए छात्रों का प्रबोधन समय-समय पर करते रहे। विभिन्न छात्रों की परिषदों को सम्बोधित किया। सम्मेलनों को सम्बोधित किया। छात्रों के अवगुण, दोष दूर करने का प्रयास किया।
‘बोल महामानवाचे’ इस सम्पादित ग्रन्थ में डॉ. बाबा साहब के लगभग पाँच सौ भाषण हैं। प्रस्तुत ग्रन्थ का सम्पादन डॉ. नरेन्द्र जाधव जी ने किया है। यह ग्रन्थ तीन खण्डों में विभाजित है। उसमें भाषणों का विभाजन बहुत सुन्दर ढंग से किया गया है। छात्रों से सम्बोधित सारे भाषण ‘प्रबोधन विद्याथ्र्याचे’ इस शीर्षक से विभाजित किया है। अत: ‘बोल महामानवाचे’ इस ग्रन्थ के द्वारा डॉ. नरेन्द्र जी जाधव ने अम्बेडकरी जनता का मार्गदर्शन किया है। प्रस्तुत ग्रन्थ को पढऩे का मौका मिला। तीन खण्ड पढ़े।

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