Samajvad Babua Dhire Dhire Aayee (Hindi Bhavarth of Gorakh Pandey’s Bhojpuri Geet)
समाजवाद बबुआ धीरे-धीरे आयी (गोरख पाण्डेय के भोजपुरी गीतों का हिन्दी भावार्थ)
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Author(s) — Jitendra Verma
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Description
पुस्तक के बारे में
गोरख पांडेय के भोजपुरी गीतों को हिंदी भावार्थ सहित प्रस्तुत कर जीतेंद्र वर्मा जी ने अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य किया है। भोजपुरी भाषी और हिंदी भाषी लोगों के बीच इन गीतों का प्रसार पहले से है। लेकिन यह पहली बार है जब ये गीत हिंदी भावार्थ के साथ प्रकाशित हो रहे हैं। इससे उन लोगों के लिए भी इन गीतों तक पहुँचना सहज हो जाएगा जो भोजपुरी नहीं जानते और हिंदी जिनकी संपर्क भाषा है। गोरख पांडेय वामपंथी विचारों से प्रेरित थे। इस चेतना की स्पष्ट छाप उनके गीतों पर है। इनमें वह विकट यथार्थ दर्ज है जिसका भुक्तभोगी हमारे समाज का किसान-मजदूर और गरीब-गुरबा जन है। जन सामान्य के शोषण-उत्पीड़न और उसके अधिकारों के हनन के विचलित करने वाले ब्योरे इन गीतों में हैं। सत्तासंपन्न प्रभु वर्ग व पूँजीप्रति वर्ग की करतूतों का ब्योरा भी। लेकिन ये विनय के पद नहीं हैं। गहरी राजनीतिक चेतना से लैस और लोकलय में ढले इन गीतों में प्रतिवाद और विद्रोह का स्वर मुखर है -गुलमिया अब हम नाहीं बजइबो, अजदिया हमरा के भावेले। बताने की जरूरत नहीं है कि अपनी इन्ही विशेषताओं के कारण ये जन गण के संघर्षों के गीत बन गए, उनके स्वप्नों की अभिव्यक्ति बन गए। उम्मीद की जानी चाहिए कि इस किताब के जरिये इन गीतों से वे लोग भी वाक़िफ़ हो सकेंगे जो अब तक इनसे अनजान थे।
–धर्मेंद्र सुशांत
Additional information
Weight | 200 g |
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Dimensions | 9 × 6 × 0.2 in |
Binding Type |