Editor(s) – Abhay Parmar
संपादक — अभर परमार
| ANUUGYA BOOKS | HINDI | 194 Pages | HARD BACK | 2020 |
| 5.5 x 8.5 Inches | 600 grams | ISBN : 978-93-89341-28-7 |
पुस्तक के बारे में
सोमजीभाई बताते हैं कि उनको टिकट मिलने के पूर्व पंचमहल क्षेत्र से वीरजीभाई विधानसभा का प्रतिनिधित्व करते थे; जो सिर्फ छठी या सातवीं कक्षा तक ही पढ़े हुए थे, उनकी तुलना में सोमजीभाई की शिक्षा और युवावस्था के कारण उनका चयन करके टिकट देना तय हुआ। लगे हाथों सोमजीभाई ने बड़ौदा आई इन्दिरा गाँधी से मुलाकात भी कर ली थी। कुछ दिनों बाद रात को 12 बजे सोमजीभाई को टिकट लेने तथा फॉर्म भरने के लिए फोन पर अनुमति मिल गई। उस वक्त खुद के प्रतिस्पर्धी वीरजीभाई से मिलकर, उनको समझाने के बाद वे टिकट लेने गए। यह घटना उनकी सरल और सहृदयी प्रकृति की झाँकी कराती है। सन् 1971 में उनको लोकसभा का टिकट मिला, लेकिन उस समय पूर्व तैयारी और जनसम्पर्क के अभाव के कारण सोमजीभाई डामोर चुनाव हार गए। लेकिन बाद में सन् 1972-74 में विधायक बने फिर निरन्तर सात बार सांसद भी बने। सन् 1999 तक वे सांसद बने रहे। अपने राजकीय कार्यकाल के दौरान जब इन्दिरा गाँधी तथा राजीव गाँधी गुजरात की मुलाकात लेते, तब इस क्षेत्र की समस्याएँ, अधिकारियों द्वारा किए जाने वाले भ्रष्टाचार, जनता के प्रश्न, जनता के कार्य आदि की सुस्पष्ट प्रस्तुति करते हुए इन समस्याओं के समाधान के लिए वे अथक प्रयास करते। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान 6 से 7 प्रधानमन्त्री के साथ काम किया था। राजनीति में प्रवेश करने से पूर्व, जिन बातों का वे निरन्तर विरोध करते तथा जो बात उनको निरन्तर दुःख पहुँचाती थी, वह थी लोगों में नेताओं का भय। इस डर को दूर करने तथा जनता के प्रश्नों व समस्याओं के निराकरण हेतु चुनाव जीतने के बाद वे निरन्तर अपने मत-क्षेत्र में घूमते।
…इसी पुस्तक से…
“किसकी सरकार है वहाँ पर?” … परन्तु जैसे कि मैंने पहले बताया मेरे गाँव कि एक विशेषता यह रही है कि हम सम्पर्क में आए अजनबी को उसकी जाति पूछने के बजाय उसके क्षेत्र में किस पार्टी की सरकार है उसका पता लगाते और अगर उनका लोक प्रतिनिधि हमारी विचारधारा का होता तो हमें बेहद खुशी होती। “हमारे यहाँ सोमजीभाई डामोर की सरकार है” कार्यरत युवकों में से कोई प्रत्युत्तर देता। “वही सोमजीभाई डामोर जो मोतियों के हारवाली पगड़ी पहने और आदिवासी लिबास में अखबार में जिनकी फोटो छपती है, वाह कहना पड़ेगा उनका।” उपस्थित अन्य लोग भी अपने-आपको बहस में शामिल कर लेते और बड़ी देर तक यह बहस चलती। बात करने वाला और सुनने वाले एक अविस्मरणीय प्रकार के आनन्द से गुजरते। देश के कुछ ही गिने-चुने नेता थे जो लोकनायक बन चुके थे। तत्कालीन प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी, उप प्रधानमन्त्री बाबू जगजीवनराम, मोरारजी देसाई, माधवसिंह सोलंकी, अमरसिंह चौधरी आदि। लोक-जीवन के सच्चे पहरेदार इस प्रकार लोक जिह्वा पर रच-बस गए थे कि खेत-खलिहानों में पसीना बहाके दो वक्त की रोटी कमाने वाले श्रमिक उन्हें अपने लोकगीतों का मुख्य विषय बना चुके थे–
धीरोई ड़िम बँधावे हैला लालीया रे!
आपण जुवा जाऊ हैला लालीया रे
कुणी हारे जाऊ हैला लालीया रे!
हमदा हारे जाऊ हैला लालीया रे।
इड़र रोडे जाऊँ हैला लालीया रे।
उपर विमान उड़े हैला लालीया रे।
इन्दिरा गाँधी आवे हैला लालीया रे।
पाजी ने रोटा खाहूँ हैला लालीया रे।
डिमनुं पाणी पीहूँ हैला लालीया रे।
इन्दिरा माड़ी कहलावे हैला लालीया रे।
…इसी पुस्तक से…
अनुक्रम
प्रस्तावना – प्रि. डॉ. अभय परमार
खण्ड – क
पृष्ठभूमि
भील सेवा मंडल – डॉ. अरुण वाघेला
सोमजीभाई डामोर का जीवन वृत्तान्त एवं संस्मरण
श्री सोमजीभाई डामोर की जीवनधारा – डॉ. कामिनी दशोरा
कँटीली राहों के मुसाफिर सोमजीभाई – किलराजसिंह डामोर
एक पुत्र की कैफियत – वनराजसिंह डामोर
शुभेच्छा पत्र
बातों-बातों में – अभय परमार
सेवायज्ञ के यजमान सोमजीभाई – प्रो. विमल गढवी
पथ प्रदर्शक सोमजीभाई डामोर – प्रा. डॉ. कुबेरभाई डिंडोर
सन्तरामपुर : सौन्दर्य की शाश्वत खोज – केशुभाई देसाई
खण्ड – ख
सोमजीभाई डामोर का सार्वजनिक जीवन और उपक्रम
जन मसीहा : श्री सोमजीभाई डामोर – प्रवीण दरजी
शिक्षा के स्वप्नद्रष्टा : श्री सोमजीभाई डामोर– खंडुभाई परमार
जनजाति कल्याण के मसीहा : श्री सोमजीभाई डामोर– डॉ. दिनेशचन्द्र डी. चौबीसा
आदिवासी समाज के उद्धारक – सोमजीभाई डामोर– प्रो. शकुन्तला एस. बलात
आदिवासी समुदाय के शैक्षिक विकास की नींव : श्री सोमजीभाई डामोर – प्रो. भारती धनुला
खण्ड – ग
सोमजीभाई डामोर : चित्रवीथी
सोमजीभाई डामोर की विविध छवियाँ
राजनीतिक गतिविधियाँ
शैक्षिक और सांस्कृतिक छवियाँ
खण्ड – घ
आदिवासी साहित्य – आलेख
भारतीय संस्कृति में आदिवासियों का प्रदेय – डॉ. भगवानदास पटेल
आदिवासी साहित्य की अवधारणा – डॉ. भरत मेहता
वैश्वीकरण बनाम आदिवासी समाज – हरिराम मीणा
भूमंडलीकरण और आदिवासी अस्मिता– डॉ. खन्नाप्रसाद अमीन
हिन्दी उपन्यास और आदिवासी चिन्तन : संघर्ष, सपने, चुनौतियाँ और 21वीं सदी – रणेन्द्र
आदिवासी सवाल और आदिवासी कविताएँ – दयाशंकर
हिन्दी साहित्य और आदिवासी कविता – डॉ. दिलीप मेहरा
खंड च
कविता-संकलन : डॉ. आई.एल. राठवा
विरासत :
कबीर-बाणी
आदिवासी कविताएँ
वाहरू सोनवणे की चार कविताएँ
निर्मला पुतुल की तीन कविताएँ
महादेव टोप्पो की चार कविताएँ
डॉ. रमेशचन्द्र मीणा की दो कविताएँ
केदार प्रसाद मीणा की दो कविताएँ
अनुज लुगुन की कविता : अघोषित उलगुलान
अशोक सिंह : तीर को कलम बनाने दो
खंड-छ
दस्तावेज
प्रमुख के नाम पत्र – सिएथल
डॉ. भीमराव अम्बेडकर
नेल्सन मंडेला
लेखकों का परिचय
लेखकों का परिचय
डॉ. अरुण वाघेला, अध्यक्ष, इतिहास विभाग, गुजरात युनिवर्सिटी, अहमदाबाद।
डॉ. कामिनी दशोरा, आसिस्टन्ट प्रोफेसर, समाजशास्त्र विभाग, आदिवासी आर्ट्स एण्ड कॉमर्स कॉलेज, सन्तरामपुर
श्री किलराजसिंह डामोर, उपप्रमुख, गुजरात आदिवासी विकास परिषद, दाहोद
श्री वनराजसिंह डामोर, प्रमुखश्री, गुजरात आदिवासी विकास परिषद, दाहोद
डॉ. अभय परमार, प्राचार्य, आदिवासी आर्ट्स एण्ड कॉमर्स कॉलेज, सन्तरामपुर
डॉ. किशोरसिंह राव, प्राचार्य, एस.डी.पटेल आर्ट्स एण्ड सी. एम. पटेल कॉमर्स कॉलेज, आंकलाव, गुजरात
डॉ. विमल गढवी, एसोसियेट प्रोफेसर, हिन्दी विभाग, आर्ट्स कॉलेज, मालवण (गुजरात)
डॉ. कुबेर डिंडोर, वर्तमान सांसद, 123-सन्तरामपुर विधानसभा
डॉ. केशुभाई देसाइ, सुप्रसिद्ध गुजराती लेखक, गान्धीनगर, गुजरात
डॉ. प्रवीण दरजी, पद्मश्री साहित्यकार, लुणावाडा, गुजरात
श्री खंडुभाई परमार, निवृत्त अध्यापक, मनोविज्ञान विभाग, आदिवासी आर्ट्स एण्ड कॉमर्स कॉलेज, सन्तरामपुर
डॉ. दिनेशचन्द्र चौबीसा, प्राचार्य, आदिवासी आर्ट्स एण्ड कॉमर्स कॉलेज, भिलोडा, गुजरात
प्रा. शकुन्तला बलात, एसोसियेट प्रोफेसर, इतिहास विभाग, आदिवासी आर्ट्स एण्ड कॉमर्स कॉलेज, सन्तरामपुर
प्रा. भारती धनुला, आसिस्टन्ट प्रोफेसर, इतिहास विभाग, आदिवासी आर्ट्स एण्ड कॉमर्स कॉलेज, सन्तरामपुर
डॉ. भगवानदास पटेल, संशोधक-आदिवासी साहित्य, अहमदाबाद
डॉ. भरत मेहता, प्रोफेसर, गुजराती विभाग, एम.स. युनिवर्सिटी, बडौदा
श्री हरिराम मीणा, हिन्दी के प्रसिद्ध राष्ट्रीय आदिवासी लेखक, 21, शिवशक्तिनगर, किंग्स रोड, अजमेर हाई-वे, जयपुर-302019 मो. 94141 24101 ईमेलः hrmbms@yahoo.co.in
डॉ. खन्नाप्रसाद अमीन, मो. 09824956974
श्री रणेन्द्र, प्रसिद्ध आदिवासी लेखक
श्री दयाशंकर, अध्यक्ष, स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग, सरदार पटेल विश्वविद्यालय, आणन्द, गुजरात
श्री दिलीप मेहरा, प्रोफेसर, स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग, सरदार पटेल विश्वविद्यालय, आणन्द, गुजरात
डॉ. आई.एल. राठवा, एसोसियेट प्रोफेसर, हिन्दी विभाग, आदिवासी आर्ट्स एण्ड़ कॉमर्स कॉलेज, सन्तरामपुर
अनुवादक-परिचय
डॉ. गिरीश रोहित, अध्यक्ष, हिन्दी विभाग, आर्ट्स कॉलेज, खम्भात, गुजरात
श्री अश्विन मकवाणा, अध्यापक, लिम्बू फलिणा प्राथमिक शाला, अभलोड़, ता. गरबाड़ा, जि. दाहोद
प्रो. पार्वतीबेन गोसाई, आसिस्टन्ट प्रोफेसर, अनुस्नातक विभाग, सरदार पटेल विश्वविद्यालय, आणन्द, गुजरात