Nirala ki Samajik Chetna
निराला की सामाजिक चेतना

Nirala ki Samajik Chetna
निराला की सामाजिक चेतना

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Author(s) —  Prof. Suresh Acharya
लेखक — प्रो. सुरेश आचार्य

| ANUUGYA BOOKS | HINDI| 254 Pages | HARD BOUND | 2021 |
| 6 x 9 Inches | 450 grams |

Description

लेखक के बारे में

प्रो. सुरेश आचार्य

प्रो. सुरेश आचार्य l जन्म : 2 अगस्त 1947, पचमढ़ी (म.प्र.) l शिक्षा : बी.ए., एम.ए. (हिन्दी साहित्य), पीएच.डी. (1980), डी.लिट्. (1993) l प्रकाशित ग्रंथ  : व्यंग्य का समाजदर्शन; पूँछ हिलाने की संस्कृति; इधर भी हैं : उधर भी हैं; पोजीशन सालिड है; गठरी में लागे चोर; आधुनिक हिन्दी गद्य l संपादन : हमारी समस्याएँ; कुछ यादें; भारतीय काव्य शास्त्र के अधुनातन आचार्य – भगीरथ मिश्र; मुस्लिम भक्त कवियों का साँस्कृतिक समन्वय; ईसुरी, अभिव्यक्ति; मदान; मेरा शहर; इसी शहर में; हंसा कहौ पुरातन बात; बीसवीं शताब्दी की खड़ी बोली हिन्दी। दैनिक आचरण पत्र में 1994 से अनेक वर्षों तक ‘आचार्य उवाच’ स्तंभ का लेखन। l सम्मान : ‘बुन्देली लोक साहित्य सम्मान’ (1997), गुंजन कला परिषद, जबलपुर (म.प्र.); ‘सरस साहित्य सम्मान’ (1996), बुंदेल भारती, पृथ्वीपुर (म.प्र.); ‘परिधि सम्मान’ (2005), हिन्दी उर्दू मजलिस, सागर (म.प्र.); ‘पद्माकर सम्मान’ (2016), पद्माकर ट्रस्ट, सागर (म.प्र.); ‘सारस्वत वक्ता सम्मान’ (2018), रविन्द्रनाथ मैमोरियल ट्रस्ट, सागर (म.प्र.); ‘अभिनव शब्द शिल्पी सम्मान’ (2019), अभिनव कला परिषद, भोपाल (म.प्र.); ‘डॉ. संतोष तिवारी स्मृति समीक्षा सम्मान’ (2020), म.प्र. ले.सं. भोपाल (म.प्र.) तथा अन्य अनेक साहित्य परिषदों, युवा प्रगति मंचों, संस्थाओं द्वारा सम्मानित l हिन्दी तथा पत्रकारिता विभाग, डॉ. एच.एस. गौर, के.वि.वि के अध्यक्ष; अकादमिक परिषद एवं कार्यकारिणी परिषद के सदस्य; वि.वि. के केन्द्रीय हिन्दी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष। 31 अगस्त 2012 को सेवानिवृत्त। l संप्रति : प्रधान संपादक ‘साहित्य सरस्वती’ त्रैमासिक पत्रिका; चेयर पर्सन, गौर स्ट्डी सेंटर, डॉ. एच.एस. गौर के.वि.वि., सागर l वर्तमान पता : 37-अन्नपूर्णा, विद्यापुरम, मकरोनिया, सागर, (म.प्र.)।

पुस्तक के बारे में

निराला का सम्पूर्ण व्यक्तित्व बचपन की तरह सरल और यौवन की तरह मस्त है। सुख-सुविधाओं को त्याग कर, सारे प्रलोभनों को ठुकराकर उन्होंने हिन्दी साहित्य की जो स्मरणीय सेवा की है, वह आश्चर्यजनक नहीं, सम्मानजनक है। दूसरों की गलतियों को वे अनदेखा करते हैं मगर आत्म-समर्पण के वे सख्त खिलाफ हैं। योग और साहित्य-साधना के मिलन-बिन्दु के रूप में वे सदा महत्वपूर्ण रहे हैं। इसीलिए उनका काव्य सौन्दर्य और पौरुष की धूप-छाँही आभा बिखेरता है।

…इसी पुस्तक से…

‘निराला लीक पर नहीं चल सकते। वह लीक पर चलने के लिए नहीं बनाए गए। लेकिन वह लीकों को ध्वंस ही करने की क्षमता नहीं रखते, वह नये के विधान करने की प्रभुता भी रखते हैं। वह फर्माइश पर कुछ नहीं लिख सकते। यहाँ मेरा मतलब है व्यक्ति की फर्माइश से। युग की फर्माइश का वह अनादर नहीं कर सकते। इसका प्रमाण उनकी कविता, उनका नव प्रवाह है।’
–राहुल सांकृत्यायन
‘नया साहित्य’

…इसी पुस्तक से…

विषय सूची

निवेदन
प्रथम संस्करण से कैफियत के कुछ अंश
m निराला : सामाजिक परिवेश और कवि-जीवन
m सामाजिक चेतना का स्वरूप
m समग्र लेखन पर एक विहंगम दृष्टि
m निराला का सामाजिक यथार्थ
m यथार्थवादी गद्य-लेखन : बुनियादी संघर्षों की हिस्सेदारियाँ
m कथा-यात्रा : नव्य समाज रचना के प्रयास
m प्रयोग और नव अध्यात्म
m चिन्तन विश्व और समीक्षा दृष्टि
m रचना-प्रक्रिया की पहचान तथा रचनागत चिन्तनशीलता

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