Maxim Gorky kee Kahaniyan
मकसीम गोरिकी की कहानियाँ

320.00520.00

Author(s) — Maxim Gorky
लेखक  — मकसीम गोरिकी

Translator(s) — Narottam Nagar
अनुवाद  — नरोत्तम नागर

Editor(s) — Anil Janvijay
सम्पादक  — अनिल जनविजय

| ANUUGYA BOOKS | HINDI | Total 304 Pages | | 6.125 x 9.25 inches |

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Description

पुस्तक के बारे में

“एक बार एक आदमी से मेरी ख़ूब झड़प हुई। वह कड़ा आदमी था और रूसी था, तुम्हारी ही भाँति। कहने लगा– ‘जैसे मन में आये, वैसे ही आदमी को नही जीना है, बल्कि ख़ुदा की किताब में जैसे लिखा है, वैसे चलना है। अगर आदमी ख़ुदा का कहना मानकर चलता है,’ वह बोला– ‘तो ख़ुदा उसकी हर मुराद पूरी करता है।’ वह ख़ुद चिथड़े पहने था। मैंने कहा– ‘ख़ुदा से एक नया सूट क्यों नही क्यों माँग लेते?’ इसपर वह बुरी तरह बिगड़ खड़ा हुआ और गालियाँ देते हुए मुझे भगा दिया। लेकिन, कुछ ही क्षण पहले, वह उपदेश झाड़ रहा था कि मानव को अपने पड़ोसियों से प्रेम करना चाहिए, उनके प्रति उसके हृदय में क्षमा होनी चाहिए। लेकिन अगर मैंने उसे नाराज़ कर दिया था, तो उसने मुझे क्यों नही क्यों क्षमा किया? देखा, ऐसे होते हैं तुम्हारे ये उपदेशक! लोगो को तो सीख देते हैं कि कम खाओ, जबकि अपना दोज़ख़ वे दिन में दस बार भरते हैं।”

…इसी पुस्तक से…

 

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