Kazaak (The Coszacks)
कज़ाक

230.00

Author(s) — Leo Tolstoy
लेखक  — ल्येफ़ तलस्तोय

 Translator(s) —  Yougendra Nagpal
अनुवाद — योगेन्द्र नागपाल

Editor(s) — Anil Janvijay
सम्पादक  — अनिल जनविजय

| ANUUGYA BOOKS | HINDI | Total 176 Pages | 6.125 x 9.25 inches |

 

SKU: 978-93-93580-75-7 Categories: , , , , , , , , , Tags: , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , ,

Description

पुस्तक के बारे में

ल्येफ़ तलस्तोय – 09 सितम्बर 1828 को रूस के एक जागीरदार परिवार में जन्मे विश्व-प्रसिद्ध रूसी लेखक ल्येफ़ तलस्तोय के माता-पिता का देहान्त उनके बचपन में ही हो गया था। इसके बाद उनकी दूर की बुआओं ने उनका पालन-पोषण किया। 1844 में उन्होंने कज़ान विश्वविद्यालय के पूर्वी भाषा विभाग में दाख़िला लिया, लेकिन अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़कर वे रूसी सेना में भरती हो गए। कुछ वर्षों तक उन्होंने रूस के कोहकाफ़ के इलाके में पर्वतीय कबीलों के ख़िलाफ़ चलाई जा रही सैन्य कार्रवाइयों में हिस्सा लिया। सेना में काम के दौरान ही उन्होंने कहानियाँ लिखनी शुरू कर दीं। 1862 में तलस्तोय का विवाह सफ़ीया बेर्स नामक उच्चवर्गीय संभ्रांत महिला से हुआ। उनके वैवाहिक जीवन का पूर्वार्ध तो बड़ा सुखद रहा पर उत्तरार्ध कटुतापूर्ण बीता। अपनी वसीयत में दरिद्रों और असहायों की मदद के लिये तलस्तोय ने अपनी रचनाओं से रूस में होने वाली समस्त आय दान कर दी थी। इस आय में से उन्होंने अपनी पत्नी को केवल उतना अंश लेने की अनुमति दी थी जितना परिवार के भरण-पोषण के लिये अनिवार्य था। उनके उपन्यास ‘युद्ध और शांति’ का अनुवाद जब अंग्रेज़ी में हुआ तो अनुवादक ने उनके नाम ल्येफ़ (सिंह या शेर) का अँग्रेज़ी में ‘लियो’ अनुवाद कर दिया, इस तरह अँग्रेज़ी में उनका नाम लियो टॉलस्टॉय प्रकाशित हुआ और उनकी यही नाम पूरी दुनिया में चर्चित हो गया। मनोवैज्ञानिक रचनाओं में फ़्योदर दसतायेव्स्की ही तलस्तोय के समकक्ष ठहरते हैं। गाल्स्वर्दी, टामस मान, ज्यूल वेर्न और रोम्याँ रोलाँ आदि महान लेखकों पर तलस्तोय का उल्लेखनीय प्रभाव पड़ा है। परवर्ती रूसी लेखकों को भी तलस्तोय ने यथेष्ट प्रभावित किया है। लेफ़ तलस्तोय की कुछ विश्व-प्रसिद्ध कृतियाँ हैं– युद्ध और शांति, आन्ना करेनिना, पुनरुत्थान, कज़ाक, दो हुस्सार, क्रूज़र सोनाटा, नाच के बाद और इवान इल्यीच की मृत्यु। ल्येफ़ तलस्तोय का देहान्त 20 नवम्बर 1910 को हुआ।

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कज़ाक उपजाति के लोग मूलत: रूसी ही होते हैं। हालाँकि अब कज़ाकों की अपनी संस्कृति, अपना इतिहास और अपने रीति-रिवाज़ हैं। यह रूसी उपजाति उन आज़ादी पसन्द रूसी लोगों से मिलकर बनी, जो रूसी समाज के बन्धनों से मुक्ति पाने के लिए, समाज के रीतियों का विरोध करते हुए जंगलों में भाग जाते थे और अपने ढंग से रहते थे। इतिहास में सबसे पहले कज़ाकों का ज़िक्र सोलहवीं सदी में आता है, फिर 1812 में जब नेपोलियन ने रूस पर हमला किया और 1877-78 में रूस-तुर्की युद्ध के दौरान रूसी सेना में शामिल कज़ाक बटालियनों ने शत्रु से लोहा लिया। बस, इसके बाद ही कज़ाकों को ’लड़ाका प्रजाति’ कहा जाने लगा। हर उस मोर्चे पर, जिसे रूसी सेना शत्रुओं के ख़िलाफ़ कठिन मोर्चा समझती थी, कज़ाक-दस्तों को तैनात किया जाने लगा। जटिल सैन्य उद्देश्यों को पूरा करने की ज़िम्मेदारी कज़ाकों को दी जाती थी। कज़ाक परिवारों में बच्चों को दस साल की उम्र से ही तलवारबाज़ी सिखाई जाती है। हर कज़ाक पुरुष के पास अपना निजी घोड़ा होना ज़रूरी माना जाता है। तलस्तोय ने 1851 में बहुत नज़दीक से कज़ाकों के गाँव में रहकर उनके जीवन का अध्ययन किया और फिर 1860-62 यह लघु उपन्यास लिखा। यह लेफ़ तलस्तोय द्वारा लिखी गई पहली रचना है।

– अनिल जनविजय

 

 

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